नीतीश कुमार को लेकर टेंशन में हैं नरेंद्र मोदी ?

PATNA (SMR) : 18 जुलाई, 2023। यह तारीख ऐतिहासिक तो नहीं  लेकिन महत्वपूर्ण तो जरूर हो गयी। इस तारीख को देश के सियासी गालियारे में हलचल मच गयी। बेंगलुरु में विपक्ष तो दिल्ली में NDA ने बड़ी बैठक की। विपक्ष ने 26 दलों को एकजुट होने का दवा किया तो बीजेपी ने 38 दलों के NDA में रहने की बात कही। दलों की संख्या बताना पीएम नरेंद्र मोदी की रणनीति है या सच में वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर टेंशन में हैं ? बिहार-झारखंड की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले वरीय पत्रकार विवेकानंद कुशवाहा की पढ़िए NDA की पड़ताल करती एक रिपोर्ट। इसे उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लिया गया है और इसमें उनके निजी विचार हैं।

पोर्ट ब्लेयर के हवाई अड्डे के उद्घाटन समारोह के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी विपक्षियों पर हमलावर दिखे। आखिर एक सरकारी कार्यक्रम में मोदी के राजनीतिक रैली की तरह हमलावर रुख के क्या मायने हैं? क्या विपक्षी दलों की एकता से बीजेपी और नरेंद्र मोदी तनाव में हैं? 17 जुलाई को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी बताया कि एनडीए में 38 दल शामिल हैं। दलों की संख्या गिनाने की जरूरत भाजपा को क्यों हो रही है?

अभी की भाजपा के पालनहार और खेवनहार दोनों ही पीएम मोदी हैं। इसके बावजूद ‘ब्रैंड मोदी’ का इस्तेमाल अभी से शुरू कर देना बता रहा कि भाजपा वाकई चिंतित है। एक तरफ मोदी विपक्षी एकता को भ्रष्टाचारियों और परिवारवादी लोगों का सम्मेलन बता रहे हैं और दूसरी तरफ उनकी पार्टी बीजेपी भी एक परिवार वाली पार्टियों और भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं को अपने साथ जोड़ कर नंबर गिना रही है। जबकि, नंबर गिनाने की बारी तो विपक्षी दलों की होनी चाहिए थी। 

अब तक विपक्ष की ओर से पीएम उम्मीदवार का चेहरा तय नहीं हो पाया है। हां, राहुल गांंधी ने बीते कुछ वर्षों में विपक्ष की ओर से सबसे अधिक मेहनत की है और विभिन्न मौकों पर जनता की आवाज भी उठाई है, लेकिन ओबीसी पॉपुलेशन में कांग्रेस को लेकर आज भी उतनी अपील नहीं है। नीतीश कुमार ओबीसी में सेंधमारी कर सकते हैं, लेकिन अलट-पलट कर वे भी अपनी 90 परसेंट साख गंवा चुके हैं। बावजूद इसके मोदी जी का हमलावर रुख भाजपा की सतर्कता है या भय?

नेशन फर्स्ट की बात करने वाली भाजपा और मोदी जी का कहीं नेशन के लोगों पर से भरोसा कम तो नहीं हो रहा? महंगाई की मार से आज देश का मध्यम वर्ग बुरी तरह पीड़ित है। ऐसे में विपक्षी एकता की पहल अंत-अंत तक यदि जमीन पर उतर गयी तो भाजपा की दिक्कतें जरूर बढ़ जायेंगी।

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