Loksabha Election 2024 : बिहार में चौथे चरण का इम्तिहान, जानिए 13 मई को कहां-कहां पड़ेंगे वोट

PATNA (KUNAL ARYA) : बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर नेताजी जितने उत्साहित हैं, उतने ही ज्यादा सुस्त यहां के वोटर हैं। यह उत्साह लगभग तमाम दलों के नेताओं में देखने को मिल रहा है। चाहे बात भारतीय जनता पार्टी की हो अथवा राजद-जदयू समेत अन्य छोटे-बड़े दल की। नेताओं के उत्साह का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार प्रदेश अध्यक्ष सह उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी तक लगातार बिहार में चुनावी सभाएं कर रहे हैं। वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी वीआईपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी के साथ एक दिन में तीन-तीन सभाएं कर रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन से लेकर राहुल गांधी तक बिहार में कार्यक्रम कर चुके हैं और आगे भी आएंगे। नेताओं की सियासी गर्मी के आगे मौसम की 42-43⁰ वाली गर्मी भी फेल है।

इधर, बिहार में 7 चरणों में चुनाव कराए जा रहे हैं। पहले, दूसरे और तीसरे चरण का इम्तिहान के बारे में आप पढ़ चुके हैं। अब आप यहां चौथे चरण का इम्तिहान पढ़ेंगे। चौथे चरण में भी बिहार में 5 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे। इनमें तीन दरभंगा, उजियारपुर और समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र मिथिलांचल का पार्ट है, जबकि मुंगेर अंग प्रदेश के अधीन है। वहीं बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र दोनों ही जोन को कनेक्ट करता है। इन सीटों पर इसी माह के दूसरे सप्ताह में चुनाव होगा। 13 मई को मतदान की तिथि निर्धारित है। इसके लिए निर्वाचन आयोग भी अपने स्तर से प्रशासनिक तैयारी कर रहा है। घरों से वोट देने के लिए मतदाता निकलें, इसके लिए उन्हें जागरूक किया जा रहा है।

दरभंगा का रण : मिथिलांचल में दरभंगा काफी पुराना लोकसभा क्षेत्र है। यहां से कभी क्रिकेट में बिहार का परचम लहराने वाले कीर्ति आजाद भी सांसद बने थे। 2024 की लड़ाई में एनडीए की ओर से यहां भाजपा ने एक बार फिर गोपाल जी ठाकुर पर दांव लगाया है, जबकि इंडिया गठबंधन की ओर से राजद ने ललित यादव पर भरोसा जताया है। बता दें कि 2019 में राजद ने राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव के नजदीकी व अल्पसंख्यक कौम से आने वाले बड़े कद के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी को चुनाव मैदान में उतारा था। हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। तब गोपाल जी ठाकुर ने सिद्दीकी को 2,67,979 वोट से पराजित किया था। भाजपा को जहां सवर्ण वोटों के अलावा वैश्य समेत पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज पर पूरा भरोसा है, वहीं राजद को माय समीकरण के अलावा पिछड़ा-अतिपिछड़ा वोटों से उम्मीद है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि 2024 की लड़ाई का बादशाह कौन होगा।

उजियारपुर का रण : अब बात करते हैं उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र की। यह लोकसभा क्षेत्र भी मिथिलांचल का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां के चुनाव मैदान में दो दिग्गज नेता आपस में फरिया रहे हैं। यहां से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय लगातार तीसरी बार जीतने के फाइट कर रहे हैं। उन्हें 2014 तथा 2019 में सफलता मिली थी। दरअसल, उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र का गठन 2008 के परिसीमन में हुआ है। इसमें वैशाली और समस्तीपुर के कुछ विधानसभा क्षेत्रों को रखा गया है। नित्यानंद से फरियाने के लिए चुनाव मैदान में राजद ने एक बार फिर पूर्व मंत्री आलोक मेहता पर भरोसा जताया है। खास बात कि नित्यानंद राय जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के काफी नजदीकी माने जाते हैं, वहीं आलोक मेहता राजद सुप्रीमो लालू यादव के काफी नजदीकी हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी हवा का रुख क्या होता है और यह 4 जून को ही पता चलेगा कि बाजी मारने में कौन कारगर रहा।

समस्तीपुर का रण : मिथिलांचल में सबसे अधिक रोचक मुकाबला समस्तीपुर में ही है। यहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के दो बड़े सियासी कद वाले दिग्गज नेता की संतान चुनाव लड़ रही है। लोजपाआर के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने चचेरे भाई सिटिंग एमपी प्रिंस कुमार का टिकट काटकर बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने भी जवाब में जदयू के ही दिग्गज नेता महेश्वर हजारे के बेटे सन्नी हजारे को टिकट दिया है। जदयू के एनडीए में शामिल रहने की वजह से अशोक चौधरी तो बेटी के पक्ष में खुलकर प्रचार कर रहे हैं, लेकिन महेश्वर हजारे दल की प्रतिबद्धता की वजह से बेटे का साथ नहीं दे पा रहे हैं। पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी मानते हैं कि यहां की लड़ाई कुछ ज्यादा ही रोचक है। बहरहाल, समस्तीपुर में मुकाबला शांभवी और सन्नी के बीच ही होगा और दोनों में कोई भी जीते, लेकिन असली जीत तो ‘परिवारवाद’ की ही होगी।

बेगूसराय का रण : मिथिलांचल और पूर्वांचल को कनेक्ट करने वाले बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में भी लड़ाई इस बार रोचक होने की उम्मीद है। दरअसल, बेगूसराय में इस बार की चुनावी लड़ाई ‘लेफ्ट-राइट’ के बीच है। भारतीय जनता पार्टी ने यहां के सिटिंग एमपी व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को उतारा है। उनसे फरियाने को सीपीआई ने अवधेश राय को टिकट दिया है। हालांकि, 2019 में भी यहां से गिरिराज सिंह के खिलाफ मैदान में सीपीआई ही थी। उसने युवा तुर्क तथा JNUSU के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को टिकट दिया था। तब राजद भी पूरी मुस्तैदी से चुनाव लड़ रहा था। इस आपसी फुट की वजह से दोनों बुरी तरह हारे थे। 4 लाख से भी अधिक वोटों से गिरिराज सिंह चुनाव जीत गए थे। लेकिन इस बार का सियासी समीकरण बदला हुआ है। सीपीआई के साथ दोनों वामदल के अलावा राजद-कांग्रेस भी हैं। अंतिम समय में मुकेश सहनी भी शामिल हो गए हैं।

मुंगेर का रण : दानवीर कर्ण की भूमि है मुंगेर। राजनीतिक रूप से मुंगेर को उर्वर भूमि माना गया है। मीरकासिम के जमाने में भी यहां खूब राजनीति होती थी। उनका बनाया किला आज भी उस काल की गाथा को बयां कर रहा है। आजादी के बाद श्री बाबू के रूप में बिहार को पहला मुख्यमंत्री देने वाला मुंगेर जिला ही है और वर्तमान में दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा भी मुंगेर प्रमंडल से ही हैं। उसी मुंगेर की धरती पर चुनाव की सियासी शतरंज बिछ चुकी है। एनडीए की ओर से जदयू के टिकट पर वर्तमान सांसद ललन सिंह चाल पर चाल चल रहे हैं तो उन्हें मात देने के लिए इंडिया गठबंधन की ओर से राजद ने अपने समय के दबंग रहे अशोक महतो की पत्नी अनीता कुमारी को चुनाव मैदान में उतारा गया है। ललन सिंह भूमिहार तो अनीता कुमारी लवकुश समाज से आती हैं। यहां की चुनावी लड़ाई को ‘अगड़ा-पिछड़ा’ का रूप दिया जा रहा है।