CENTRAL DESK (MR) : हर-हर महादेव के जयघोष के बीच बाबा भोले नाथ की नगरी में ‘जय कन्हैया लाल की’ खूब गूंजा। गंगा तट का माहौल पूरी तरह कृष्णमय हो गया। कन्हैया ने कालिया नाग का मर्दन किया और गोकुल के लोगों की रक्षा की। जब गंगा रूपी कालिंदी नदी से कन्हैया कालिया नाग के फन पर इठलाते हुए बाहर निकला तो कृष्ण भगवान की जय के जयघोष गंगा के तुलसी घाट पर गूंजने लगे।
दरअसल, वाराणसी में गंगा की लहरों पर सोमवार (8 नवंबर) को कान्हा कालिया नाग को नथकर उसके अहंकार का मर्दन किया। महाकवि तुलसीदास ने 450 साल से भी अधिक समय से पहले जिस परंपरा की शुरुआत कृष्ण लीला के रूप में की थी, उसे एक बार फिर वाराणसी के लोगों ने जीवंत कर दिया। इसके पहले तुलसीघाट पर रविवार को संकटमोचन मंदिर के महंत की निगरानी में नागनथैया की लीला को अंतिम रूप दिया गया।
नटवर नागर भगवान कृष्ण ने कालिया नाग को नथकर नदियों की स्वच्छता का संदेश दिया। इसकी शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण और बाल सखाओं की कंदुक क्रीड़ा से हुई। कदम की डाल की गंगा तट पर सजावट देखते ही बन रही थी। तुलसी घाट पर करीब 12 फीट लंबे कालिया नाग के प्रतिरूप का रंग-रोगन कर बांस की बीट पर सजाया गया था। सुरक्षा को लेकर नगर निगम ने अस्सी घाट से लेकर तुलसी घाट तक सीढ़ियों पर बैरिकेडिंग कर दी थी। बैरिकेडिंग के पास पुलिस, जल पुलिस और एनडीआरएफ के जवान भीड़ को कंट्रोल करने को तैनात थे। नाग मर्दन को काशी नरेश परिवार के अनंत नारायण सिंह ने भी देखा। इस दुर्लभ लम्हे को देखने काफी संख्या में लोग जुटे थे।
नागनथैया लीला को लोगों ने कैमरों में कैद कर सोशल मीडिया पर वायरल भी कर रहे हैं। वाराणसी प्रक्षेत्र के पोस्ट मास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव लिखते हैं- ‘काशी में कृष्ण की लीला : मथुरा की कृष्ण लीला जग प्रसिद्ध है। श्रीकृष्ण द्वारा कालिया नाग का मर्दन इसका एक अहम पहलू है। बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी में भी श्रीकृष्ण की यह लीला तुलसीघाट पर ‘नागनथैया लीला’ के रूप में खेली जाती है। काशी के लक्खा मेले में शुमार नागनथैया लीला के दौरान गंगा, यमुना का रूप पकडती हैं और घाटों पर उमड़े काशीवासी द्वापरयुग का एहसास करते हैं। देर शाम, मात्र पांच मिनट की इस लीला में न जाने कितने दृश्य उभरते हैं। आज हम भी काशी में इस लीला के गवाह बने और इसी बहाने काशी की एक नई परंपरा के बारे में भी जाना। वैसे भी ‘सात वार, नौ त्यौहार’ के फक्कड़ी जीवन को जीने वाली उत्सवधर्मी काशी को तो बस एक बहाना चाहिए, प्रभु की भक्ति का और फिर हर-हर महादेव का जीवंत उद्घोष !!’
वाराणसी के वरीय फोटो पत्रकार हैं अंचल अग्रवाल। उन्होंने ‘नागनथैया लीला’ के दुर्लभ नजारे को अपने कैमरे में कैद किया है। उनकी हर तस्वीर बोलती है। आप देखें कालिया नाग के मर्दन के बाद उनके फन पर इठलाते बाल गोपाल को। उनका वंशी बजाते हुए म्सनमोहक रूप बरबस ही लोगों को अपनी ओर खींच लेता है।
सभी तस्वीरें फोटो पत्रकार अंचल अग्रवाल के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से साभार