VARANASI (MR) : काशी का ऐतिहासिक लक्खा मेला व भरत मिलाप देखने शनिवार (16 अक्टूबर) को पूरा बनारस उमड़ पड़ा। पांच मिनट के इस दुर्लभ पल को लोग मानो जिंदगी भर के लिए अपनी आंखों में बसा लेना चाहते थे। नाटी इमली में यह मेला 1796 से लगता आ रहा है। आप भी देखें भरत मिलाप और लक्खा मेले की 10 जीवंत तस्वीरें। ये तस्वीरें ली गयी हैं वाराणसी के वरीय फोटोग्राफर आंचल अग्रवाल के फेसबुक वाल से।
लक्खा मेले की जानें 10 बातें
- विजया दशमी के ठीक अगले दिन भरत मिलाप का होता है आयोजन।
- पूर्व काशी नरेश महाराज उदित नारायण सिंह ने 1796 में की थी इसकी शुरुआत।
- राज परिवार की पांच पीढ़ियों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन करने इस बार महाराज अनंत नारायण सिंह पहुंच।
- काशी महाराज भीड़ को देखते हुए शाही सवारी हाथी के बजाय कार से पहुंचे।
- 223 सालों से काशी नरेश शाही अंदाज में इस लीला में शामिल होते चले आ रहे हैं।
- नाटी इमली का विश्व प्रसिद्ध भरत मिलाप विजया दशमी (दशहरा) के अगले दिन होता है। लंका विजयी होकर भगवान राम लौट कर भाई भरत से गले मिलते हैं।
- 5 मिनट का यह मिलन लाखों लोगों को आंखों को तृप्ति दे जाता है।
- कहा जाता है कि शेरशाह सूरी और तुलसीदास के काल में सन 1543 में रामलीला की शुरूआत से ही यह भरत मिलाप होता आ रहा है। लेकिन 1796 में नाटी इमली में इसे वृहत रूप दिया गया।
- आयोजन के दौरान श्रीराम चरित मानस में उद्धृत चारों भाइयों के मिलन के प्रसंग का पाठ किया जाता है। इस बार भरत मिलाप शाम 4:40 बजे हुआ, जिसे देख निहाल हो उठी पूरी काशी।
- रामनगर दुर्ग में रहता है राज परिवार और नाटी इमली में लगता है मेला। पिछले बार कोरोना की वजह से नहीं लगा था। लहटिया स्थित अयोध्या भवन में केवल प्रतिकात्मक आयोजन किया गया था।
भरत मिलाप की देखें 10 तस्वीरें