सुपौल। बेटे ही परंपरा निभाएंगे का जमाना अब लद गया। हमारी बेटियां भी अब बेटों से कम कम नहीं। वे जॉब से लेकर सामाजिक दायित्वों को भी निभा रही हैं। ऐसा ही मामला बिहार के सुपौल में देखने को मिला है। लॉकडाउन में पिता का निधन हो गया, तो बड़ी बेटी ने अपना कर्तव्य निभाया। उन्होंने न केवल अपने पिता को मखाग्नि दी, बल्कि उनके कर्मकांड में भी वह भाग ले रही है। इसके लिए लॉकडाउन में परमिशन लेकर वह यूपी से बिहार पहुंच गयी।
बिहार के सुपौल की रहने वाली है योग्यता। वार्ड नंबर 10 निवासी समाजसेवी अश्विनी कुमार सिन्हा का अचानक निधन हो गया। उन्हें पुत्र नहीं था। बड़ी बेटी योग्यता देहरादून में ही लॉकडाउन के कारण फंसी हुई थी। वह देहरादून में पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की छात्रा है। पिता के निधन की सूचना मिलते ही योग्यता ने वहां के डीएम से मदद मांगी। डीएम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बिहार के सुपौल भेजने की व्यवस्था की।
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए योग्यता ने पिता को मुखाग्नि दी। उन्होंने श्राद्ध का भोज नहीं करने का निर्णय लिया। साथ ही यह भी कहा कि वह पिता की इच्छा पूरी करने और पारिवारिक जिम्मेदारी संभालने में कोई कसर नहीं रखेगी।
दिवंगत अश्विनी कुमार सिन्हा के छोटे भाई नलिन जायसवाल ने बताया कि 17 अप्रैल को जब योग्यता के पिता का निधन हुआ तो वह देहरादून में थी और देश में लॉकडाउन था। तीन बहनों में रिया और आकांक्षा से योग्यता बड़ी है। बड़ी बेटी होने के नाते उसका घर आना जरूरी था। लेकिन प्रशासन के सहयोग से बेटी सही समय पर घर पहुंच गयी और 19 अप्रैल को अंतिम संस्कार हुआ। बेटी ने मुखाग्नि दी। उसने कर्मकांड का भी दायित्व को निभाया।