PATNA (SMR) : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दो साल हो गए। 17 वीं विधानसभा में 243 में से करीब 100 विधायक पहली बार निर्वाचित हुए थे। उनमें से कुछ विधायकों से बिहार पॉलिटिक्स पर पैनी नजर बनाए रखने वाले वीरेंद्र यादव ने बात की है। उनके दो वर्ष के अनुभव और अनुभूति को नजदीक से जाना। यहां हम उनके सौजन्य से ‘सियासी गलियारे से’ की सीरीज में प्रकाशित कर रहे हैं… पेश है 14 वीं कड़ी :
पश्चिम चंपारण के चनपटिया से भाजपा के विधायक हैं उमाकांत सिंह। 20 वर्षों तक मुखिया के रूप में पंचायत का प्रतिनिधित्व करने के बाद विधान सभा के प्रतिनिधि बने हैं। अपने दो वर्षों के संसदीय अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि पहले हम सत्ता पक्ष में थे और अब विपक्षी हो गये हैं।
उमाकांत सिंह ने कहा कि पहले न सत्ता पक्ष का धौंस था और न अब विपक्षी होने का विलाप है। अपने विधायी अधिकारों के तहत जनता के कार्यों के लिए दिन-रात लगे रहते हैं। मुखिया के रूप में काम का दायरा सीमित था, लेकिन विधायक के रूप में काम का दायरा बढ़ गया है। इसके कारण जिम्मेवारियां भी बढ़ गयी हैं।
विधायक के रूप में संसदीय कार्यप्रक्रिया और प्रणाली को समझने का मौका मिला। शून्य काल, प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण, गैरसरकारी संकल्प के माध्यम से जनहित के मुद्दे उठाकर उनका समाधान करने का हर संभव प्रयास किया। विधायकों के बीच आपसी वैचारिक मतभेद के बावजूद सभी जनता के प्रति जबावदेह होते हैं।
विधायक ने कहा कि जनता की समस्याओं के समाधान के लिए विधान सभा सबसे बड़ा मंच और सबसे बड़ी पंचायत है। विधान सभा तक पहुंचाने वाली जनता और पार्टी नेतृत्व के प्रति भी आभारी हैं।