सियासी गलियारे से – 13 : 2015 में BJP से हार गए थे, 2020 में कांग्रेस से पहली बार जीते विश्वनाथ राम

PATNA (SMR) : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दो साल हो गए। 17 वीं विधानसभा में 243 में से करीब 100 विधायक पहली बार निर्वाचित हुए थे। उनमें से कुछ विधायकों से बिहार पॉलिटिक्स पर पैनी नजर बनाए रखने वाले वीरेंद्र यादव ने बात की है। उनके दो वर्ष के अनुभव और अनुभूति को नजदीक से जाना। यहां हम उनके सौजन्य से ‘सियासी गलियारे से’ की सीरीज में प्रकाशित कर रहे हैं… पेश है 13 वीं कड़ी :

क्‍सर जिले के राजपुर से कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित विश्‍वनाथ राम कहते हैं कि पहले हम विपक्ष में थे, अब हमारी पार्टी सत्‍ता पक्ष में आ गयी है। इसलिए जनता की अपेक्षा बढ़ गयी है। इस अपेक्षा को पूरा करने का हरसंभव प्रयास करते हैं। 

कोरोना के कारण विधायकों को मिलने वाली विकास राशि में कटौती कर दी गयी थी। इस कारण क्षेत्र में विकास कार्य प्रभावित हुआ है और जनता के छोटे-छोटे काम लंबित पड़े हुए हैं। कोरोना की वजह से ग्रामीण कार्य विभाग के भी काम प्रभावित हुए थे।

उन्‍होंने बताया कि 1991 से 1998 तक विधान सभा में नौकरी करते थे। इसके बाद नौकरी छोड़ दी। पिता राम नारायण राम राजपुर से भाजपा के विधायक हुआ करते थे। भाजपा ने 2015 में विश्‍वनाथ राम को राजपुर से टिकट दिया था, लेकिन पराजित हो गये थे। 2020 में कांग्रेस में शामिल हो गये और उसी के टिकट पर चुनाव लड़ा और‍ निर्वाचित हुए। वे विरासत समिति के सदस्‍य हैं।

वे कहते हैं कि विधान सभा सदस्‍य के रूप विधायी प्रक्रिया में प्रत्‍यक्ष रूप से शामिल हुए और इसमें अपनी भागीदारी निभायी। अपने सवाल और सुझाव के माध्‍यम से जनहित के मुद्दे उठाये और उस पर सरकार ने कार्रवाई भी की। इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती  मिलती है। 

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