PATNA (SMR) : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दो साल हो गए। 17 वीं विधानसभा में 243 में से करीब 100 विधायक पहली बार निर्वाचित हुए थे। उनमें से कुछ विधायकों से बिहार पॉलिटिक्स पर पैनी नजर बनाए रखने वाले वीरेंद्र यादव ने बात की है। उनके दो वर्ष के अनुभव और अनुभूति को नजदीक से जाना। यहां हम उनके सौजन्य से ‘सियासी गलियारे से’ की सीरीज में प्रकाशित कर रहे हैं… पेश है पहली कड़ी :
मधेपुरा के सिंहेश्वर से RJD के विधायक हैं चंद्रहास चौपाल (Chandrahas Chaupal)। मास्टरी छोड़ पहले मुखिया बने। फिर मुखिया की कुर्सी छोड़ बने विधायक। 2020 में वे विधान सभा की शून्यकाल समिति के सभापति बनाये गये थे। सरकार बदलने के बाद लोकलेखा समिति के सदस्य हैं।
चंद्रहास चौपाल बताते हैं कि शंकरपुर प्रखंड की रायभीर पंचायत के मुखिया 2011-16 तक रहे। इसके बाद दलगत राजनीति में आये और विधायक बने। पहले वे विपक्ष में थे और अब सत्ता पक्ष में आ गये हैं।
वे कहते हैं कि पहले विपक्ष का दर्द नहीं था और अब सत्ता पक्ष का मद नहीं है। एकभाव से जनता की सेवा में जुटे हुए हैं। आजादी के बाद पूरे प्रदेश में पान-चौपाल जाति के अकेला और पहला विधायक बने हैं, इसलिए सामाजिक जिम्मेवारी भी ज्यादा है।
चंद्रहास चौपाल कहते हैं कि विधायक के रूप में संसदीय प्रक्रिया के संबंध में बहुत कुछ सीखने को मिला। सत्र के दौरान विभिन्न मोशन के माध्यम से जनहित के मुद्दों को उठाने का मौका मिला। इसके कारण क्षेत्र में कई विकास योजनाओं की शुरुआत हुई। सत्र के दौरान स्थानीय निकाय के प्रतिनिधियों के मानदेय बढ़ाने की आवाज उठायी। वे कहते हैं कि शून्यकाल समिति के सभापति के रूप में विधायी कार्यों को समझने का मौका मिला। इन सब अनुभवों का लाभ संसदीय राजनीति में मिलता रहेगा।