PATNA (MR)। कोरोना संकट के कारण बड़ों के रोजी-रोजगार से लेकर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई तक ठप हो गया है। लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में कैद हैं। वहीं, दूसरे राज्यों से प्रवासियों का आना लगातार जारी है। अब तक 10 लाख से अधिक प्रवासी बिहार आ चुके हैं। लेकिन असली बखेड़ा तो अब शुरू हो रहा है। कहीं फसलों के बंटवारे तो कहीं अनाज की खपत को लेकर अब बिहार के गांवों में झगड़ा शुरू हो गया है। कहीं मामला ​थाना पहुंच गया है तो कहीं मुखिया-सरपंच समझौता करा रहे हैं।

पंच-सरपंच की कचहरी में पहुंच रहे मामले
प्रवासियों के गांव पहुंचते ही कलह बढ़ने लगे हैं। लॉकडाउन लगे दो माह हो गए। आंकड़े बताते हैं कि बिहार में पंच-सरपंच की कचहरी में इन दो माह में 40 हजार झगड़े के मामले पहुंच गए हैं। वे लोग सुलझाने के लिए गुहार लगा रहे हैं। इतना ही नहीं, सूत्रों की मानें तो बिहार में 8683 पंचायतों के 45 हजार गांवों और 1.13 लाख टोलों से विवाद के मामले दर्ज कराए गए हैं।

विवादों के ये हैं कारण
पैतृक संपत्ति में हिस्सा
बाग-खेत में बंटाई
खेत-बाग की बंटाई लगाने वाले व्यक्ति का चयन
पैतृक घरों के कमरों का बंटवारा
घर-आंगन में हिस्सेदारी

कहते हैं कि पंच-सरपंच संघ के अध्‍यक्ष
बिहार राज्य पंच-सरपंच संघ के अध्यक्ष हैं आमोद कुमार निराला। वे कहते हैं, दो माह में 40 हजार से अधिक घरेलू विवाद के मामले आए हैं। सभी मामलों को निबटाने की सार्थक कोशिश की गई है। कुछ मामले इगो प्रॉब्लम के कारण अटके हुए हैं। प्रवासियों के पैतृक घर लौटना आपसी विवाद का प्रमुख कारण है। प्रवासियों के घर-जमीन पर बंधु-बांधवों का कब्जा है, मालिकाना हक को लेकर कलह बढ़ गए हैं। गांव की कचहरी में ऐसे मामलों को लेकर दोनों पक्षों को समझाया जा रहा है। प्रेम से रहने की सलाह दी जा रही है।

कहते हैं भागलपुर इलाके के मुखिया
शाहकुंड प्रखंड के हाजीपुर पंचायत के मुखिया नंदलाल कुमार कहते हैं कि जमीन को लेकर कलह के ज्यादा मामले आ रहे हैं। बिहपुर प्रखंड के बभनपुर पंचायत के मुखिया विनीत कुमार सिंह कहते हैं, प्रवासी लौट रहे हैं, इससे पारिवारिक कलह भी बढ़े हैं। हालांकि ऐसे मामलों को गांव के स्तर पर ही सुलझाया जा रहा है। दरियापुर पंचायत के मुखिया आलोक कुमार की मानें तो लोग गांव छोड़कर जाते हैं, तो यह माना जाता है कि वे अपना जुगाड़ खुद कर लेंगे। अब लौटकर जमीन-जायदाद में हिस्सा मांग रहे हैं तो भाई-भाई में झगड़े की नौबत आ रही है। किशनपुर अमखोरिया के मुखिया राजेश कुमार कहते हैं, यह सही है कि कई परिवार प्रवासियों को अपने ही घर में बोझ मान रहे हैं, जो कि गलत है। लत्तीपुर दक्षिण पंचायत की मुखिया खेदनी देवी तथा राघोपुर पंचायत की मुखिया मनोरमा देवी भी कहती हैं कि विवाद तो बढ़े हैं, लोगों को समझदारी से काम करने की जरूरत है। प्रवासी भी गांव के ही अंग हैं। उनकी हिस्सेदारी है तो बेशक मिलनी चाहिए।

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