
PATNA (RAJESH THAKUR) : भूकंप (Earthquake) तो बिहार सहित भारत में सदियों से आते रहे हैं। जब इसकी तीव्रता नहीं नापी जाती थी तब भी और तीव्रता नापे जाने के ईजाद के बाद भी भूकंप आ ही रहे हैं। लेकिन आज (17 फरवरी) अहले सुबह आए भूकंप ने तो देश की राजधानी को अंदर से डरा दिया है। दिल्ली दिल से डर गयी है। बिहार के रहने वाले कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि यदि बिहार जैसा 1934 की तरह दिल्ली में भूकंप आया तो फिर क्या होगा? 1934 में आए भूकंप ने बिहार और नेपाल को काफी नुकसान पहुंचाया था। बिहार के मुंगेर और दरभंगा जिले तो पूरी तरह बर्बाद हो गये थे। लेकिन, बड़ा सवाल है कि भूकंप बराबर आते रहे हैं, लेकिन इस बार दिल्ली इतनी डर क्यों गयी, वह भी महज 4 तीव्रता वाले भूकंप से? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लोगों को सांत्वना देना पड़ा और संभावित झटकों से सतर्क रहने को कहना पड़ा। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी लिखा- ‘यह भूकंप काफी डरावना था…’ तो दिल्ली में रहने वाले एंटरप्रेन्योर आभास पाठक ने लिखा है – Very Strong Tremor…



दरअसल, राजधानी दिल्ली-एनसीआर में आज सुबह करीब 5:36 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। लोगों को लगा कि धरती के नीचे ट्रेन दौड़ रही है। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4 मापी गयी है। भूकंप के तेज झटकों से दिल्ली के अलावा नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में लोग घबराकर घरों से बाहर निकल आए। हालांकि, इससे किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं मिली है। प्रशासनिक अधिकारी इससे संबंधित विस्तृत जानकारी लेने में जुटे हैं। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इसकी जानकारी दी और बताया कि भूकंप का केंद्र नयी दिल्ली था और इसकी गहराई धरती से महज पांच किलोमीटर नीचे था। भूकंप को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया। उन्होंने लोगों से शांत रहने की अपील की। साथ ही कहा कि अधिकारी स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं। वहीं, केंद्रीय मंत्री व बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह समेत अन्य नेताओं से लेकर आमलोग तक ने इसे लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि यह काफी डराने वाला झटका था।
भूकंप क्यों आता है
सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि भूकंप क्यों आता है। दरअसल, धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। इस टकराहट से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं। फिर ज्यादा दबाव पड़ने की वजह से ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेन्स के बाद भूकंप आता है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं।
रिवर्स फॉल्ट : भूकंप के दौरान जमीन का एक हिस्सा ऊपर की तरफ उठता है।
नॉर्मल फॉल्ट : इस फॉल्ट में जमीन का एक हिस्सा नीचे की तरफ जाता है।
स्ट्राइक स्लिप फॉल्ट : इस फॉल्ट में टेक्टोनिक प्लेट्स में घर्षण होने की वजह से जमीन का एक हिस्सा आगे या पीछे की तरफ खिसकता है।
इतना ही नहीं, 0 से 1.9 तीव्रता का पता सिर्फ सिस्मोग्राफ से ही चलता है। 2 से 2.9 वाली तीव्रता में हल्का कंपन होता है। 3 से 3.9 वाली तीव्रता में लगता है कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर गया हो। यदि गहराई का केंद्र कम हो तो लगेगा कि धरती के नीचे से कोई ट्रेन गुजरी या झटके से कोई ट्रेन रुकी। इसी तरह, 4 से 4.9 वाली तीव्रता में खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं। 5 से 5.9 वाली तीव्रता में फर्नीचर जैसा भारी सामान तक हिल सकता है। 6 से 6.9 वाली तीव्रता में इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है। 7 से 7.9 वाली तीव्रता में इमारतें गिर सकती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट सकते हैं। वहीं 8 से 8.9 वाली तीव्रता में इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर सकते हैं। 9 या उससे ज्यादा वाली तीव्रता तो तबाही लेकर आती है। कहा जाता है कि कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। समंदर नजदीक हो तो सुनामी का खतरा होता है।

आखिर लोग डरे क्यों
दिल्ली में भूकंप तो पहले भी आते रहे हैं और भविष्य में भी आएंगे। आखिर ऐसा क्या हुआ कि इस बार लोगों को इतना अधिक डरा गया। दिल्ली वाले इतने अधिक सहम क्यों गये इस बार। दरअसल, आज 17 फरवरी की सुबह 5 बज कर 36 मिनट पर जो भूकंप आया, उसका केंद्र नयी दिल्ली ही था और धरती से महज 5 किमी नीचे। कहा जाता है कि धौला कुआँ के नीचे केंद्र बिंदु था। इतनी कम गहराई की वजह से ही लोगों को भूकंप के तेज झटके महसूस किये गये। वह तो गनीमत थी कि रिएक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता महज 4 थी। यदि यदि इससे थोड़ा भी अधिक रहता या 6 के आसपास रहता तो दिल्ली को जानमाल की भारी क्षति होती, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। दिल्ली समेत आसपास के कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा भी है कि अपने जीवन पहली बार इतना तेज झटका महसूस किया है और यह कम गहराई की वजह से हुआ। फिर आजकल भूकंप अवरोधी मकानों की भी कमी है। कुछ नये मकान तो भूकंप अवरोधी बन रहे हैं, लेकिन पुराने मकान आज भी अपनी पुरानी अवस्था में ही हैं। ऐसे में यदि बड़ी तीव्रता वाला भूकंप आ जाए तो आप क्षति की कल्पना खुद कर सकते हैं।

तब बिहार में क्या हुआ था
15 जनवरी 1934। यही वह काली तारीख है, जब बिहार को भारी नुकसान हुआ था। मुंगेर जिला तो पूरी तरह बर्बाद हुआ था। भयावह मंजर था। केवल मुंगेर में लगभग 1260 लोगों की मौत हुई थी। पूरे बिहार में 7 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी। जीएसआइ ने भी अपने अध्ययन में पाया था कि बिहार में उस समय भूकंप का सबसे अधिक प्रभाव मुंगेर और दरभंगा के अलावा मुजफ्फरपुर में भी काफी संख्या में लोग मरे थे। तब मुंगेर का भयावह मंजर देख महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ संपूर्णानंद पंडित, मदन मोहन मालवीय, सरोजनी नायडू, खान अब्दुल गफ्फार खान, यमुना लाल बजाज, आचार्य कृपलानी जैसी महान हस्ती मुंगेर पहुंची थी। उनलोगो ने सबसे अधिक राहत कार्य मुंगेर में चलाया था। कहा जाता है कि 1934 में आए भूकंप की तीव्रता 8.4 थी और इसका केंद्र बिंदु बिहार से सटे नेपाल के बॉर्डर इलाके में धरती से महज 10 किमी ही नीचे था। लेकिन आज 17 फरवरी को दिल्ली में आए भूकंप तो उससे भी कम यानी इसका केंद्र बिंदु एक तो घनी आबादी में और धरती से महज 5 किमी नीचे था। गनीमत थी कि इसकी तीव्रता 4 थी। यदि तीव्रता अधिक रहती तो आप खुद कल्पना कीजिये कि स्थिति कितनी भयावह होती…!