Blood Moon On Holi 2025 : बिहार में चांद भी रंगा होली के रंग में, लेकिन थोड़ा-थोड़ा; पटना में सचिन ने किया कैमरे में कैद

PATNA (RAJESH THAKUR) : Blood Moon On Holi 2025… ठीक पढ़ रहे हैं। अबकी होली चांद भी अपना रंग थोड़ा बदला, लेकिन थोड़ा-थोड़ा। ‘यह जो हल्का-हल्का सुरूर है…’ गाना टाइप का। भई होली है तो कुछ सुरूर रहेगा ही, चाहे प्रेयसी हो या फिर चांद हो। चंदा को यदि बच्चों का मामा मानेंगे तो फिर होली में आप उसे ‘कुछ’ भी कह सकते हैं। वैसे तो इस साल की बड़ी खगोलीय घटना में चांद के रंग बदलने की बात पहले से ही प्रचारित थी और यह भी लोगों को पता था कि यह घटना भारत में नहीं दिखेगी। जब भारत में नहीं दिखेगी तो बिहार के बारे में कल्पना ही नहीं कर सकते थे कि यहां यह खगोलीय घटना दिखेगी।

जैसा कि नाम है ब्लड Moon। नाम से ही पता चल जाता है कि चांद पूरी तरह खूनी लाल होगा। साहित्य की भाषा में इसे ‘सुर्ख लाल’ कह सकते हैं और गांव की भाषा में ‘टुह-टुह लाल’। यह खगोलीय घटना रंगों के त्यौहार होली पर होनी निर्धारित थी। यानी रंगों के त्यौहार होली पर अपना रंग बदलते हुए चांद बिलकुल सुर्ख लाल दिखने वाला था और दिखा भी। लेकिन भारतीय को इससे कोई मतलब नहीं था। दरअसल, आज दिन में विदेशों में पूर्ण चंद्रग्रहण लगा था। यह सुबह 09:29 बजे से शुरू होकर दोपहर 3.29 बजे तक चला। इस दरम्यान लगभग 65 मिनट तक चांद सुर्ख लाल नजर आया। मिल रही जानकारी के अनुसार इस बार का चंद्रग्रहण ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक आर्कटिक महासागर सहित अफ्रीका के अधिसंख्य शहरों तथा पूर्वी एशिया आदि के शहरों में देखा गया।

बिहार में लालिमा लिये हुए चांद दिखेगा, इसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते थे। दरअसल, बिहार में होली कंफ्यूजन में दो दिन हो गयी। मेरी जन्मभूमि हवेली खड़गपुर में आज 14 मार्च को होली हो गयी, जबकि मेरी कर्मभूमि पटना में कल 15 मार्च को है। सबसे बड़ी बात कि मेरी जन्मभूमि से महज 38 किमी दूर जिला मुख्यालय मुंगेर में भी 15 मार्च को ही है। मैं शाम में अनमने ढंग से कंकड़बाग ऑटो स्टैंड के पास टहल रहा था। चूंकि होली की वजह से गाड़ी नहीं चल रही थी, इसलिए जंक्शन की ओर नहीं जा सका। इसी बीच फोन से किन शहरों में होली मनायी गयी, इसकी जानकारी ले रहा था, ताकि कुछ खबर बना सकूं। तभी पूरब दिशा की ओर उदित होते चांद पर नजर पड़ी।

चांद को देखकर मैं चौंक पड़ा। उसका रंग टुह-टुह लाल तो नहीं था, लेकिन 70% लालिमा लिये हुए था। तुरंत वहां मौजूद राजीव नामक एक लड़के को ‘लाल चांद’ को दिखाया। आनन-फानन में मोबाइल निकाला। लेकिन, काफी निराशा हुई। मोबाइल से उसका फोटो सही से नहीं आ रहा था। तब तक चांद फिर से अपना रंग बदलने को तैयार होने लगा। धीरे-धीरे सफेद होना शुरू हो गया था। इसी बीच पटना के लोकप्रिय फोटो एडिटर सचिन को अपने मोबाइल से कॉल किया। उन्हें तुरंत चांद की तस्वीर उतारने को कहा। तब उन्होंने बताया कि उनकी बेटी ने Blood Moon के बारे में बताया था, लेकिन उन्हें याद ही नहीं था। मेरे फोन करते ही सचिन ने अपने कमरे की खिड़की से झट से आकाश में चमकते चांद की तस्वीर उतार ली। सत्यता के लिए उन्होंने एक तस्वीर अपने कमरे में लगे बल्ब के साथ चांद का फोटो क्लिक किया। इसके बाद उन्होंने फोटो को भेजकर मुझे फोन भी कर दिया।

बता दें कि Blood Moon की खबर मुखियाजी डॉट कॉम पर पिछले सप्ताह प्रमुखता से छपी थी। उस पर देश के वरीय पत्रकार अनिल सिंह ने कहा कि अगली बार इसी साल 7 सितंबर को फिर से चंद्रग्रहण लगेगा, उस दिन भी Blood Moon होगा। उस दिन बिहार समेत देश भर के लोग खगोलीय घटना का नजारा देख सकेंगे।

ज्ञातव्य हो कि खगोलीय घटना में ब्लड मून वह स्थिति होती है, जब चंद्रग्रहण के दौरान चांद लाल रंग का दिखाई देता है। आमतौर पर यह तब होता है, जब पृथ्वी की परछाई सूर्य की रोशनी को रोक देती है। किंतु वातावरण में मौजूद धूल, गैस और अन्य कणों की वजह से केवल लाल रंग की किरणें ही चांद तक पहुंच पाती हैं। इस वजह से चंद्रमा गहरे लाल रंग का दिखाई देता है। इस लाल रंग की वजह से ही इसे ब्लड मून (Blood Moon) कहा जाता है। बहरहाल, लाल चांद को देखकर मन ही मन गुनगुना रहा था- मेरा चांद मुझे आया है नजर, ऐ रात जरा थम-थम के गुजर। हालांकि रात तो अपने निर्धारित समय के अनुसार ही गुजरती रही, लेकिन चांद ने एक बार फिर अपना रंग बदलते हुए सफेद-सा हो गया था।