PATNA (SMR) : National Girl Child Day 2022 : आज राष्ट्रीय बालिका दिवस है। गली के सितारे में आज बिहार की उस बेटी की कहानी, जिन्होंने अपनी मेहनत से सफलता की कहानी लिखी है। बिहार की राजधानी पटना में भीख मांगकर गुजारा करने वाली ज्योति मुश्किलों से लड़कर कैफेटेरिया चला रही है। 10 साल की उम्र तक स्कूल का भी मुंह नहीं देखी थी, लेकिन आज वह 12वीं की पढ़ाई कर रही है। दूसरी लड़कियों को सबल बनने की राह दिखा रही है। आशियाना-दीघा रोड में कैफेटेरिया चलाने वाली ज्योति की इस कहानी को तेजतर्रार युवा पत्रकार सविता के फेसबुक वाल से अक्षरशः लिया गया है।
पटना जंक्शन पर दर्जनों बच्चे भीख मांगते दिख जाएंगे। भूख और गरीबी के बीच इन बच्चों की पढ़ाई के साथ हुनर भी दब कर रह जाता है। लेकिन, इसी कीचड़ से निकलकर 19 वर्षीया ज्योति आज न सिर्फ मैट्रिक पास की है, बल्कि पढ़ाई के साथ कैफेटेरिया भी चला रही है। 12वीं में पढ़ने वाली ज्योति आशियाना-दीघा रोड में लेमन कैफे चला रही है।
कभी भीख मांगकर गुजारा करने वाली ज्योति आज वैसी लड़कियों के लिए प्रेरणा है, जो परिस्थितियों से हारकर गलत राह पर चली जाती हैं। कैफेटेरिया से अच्छा वेतन मिलता है, जिससे वह सबल हुई और खुद का खर्च उठाती है और पढ़ाई भी करती है।
ज्योति को यह भी नहीं पता है कि उसके माता-पिता कौन हैं। स्टेशन पर ही भीख मांगने वाली दंपती को यह मिली थी। बड़ी होने पर उनके साथ भीख मांगती थी और कचरा चुनती थी। 10 साल तक ‘क ख ग घ’ क्या होता है, यह भी नहीं जानती थी। लेकिन जिस मां ने उसे पाला, जब उसकी मौत हो गई तो जिला प्रशासन ने वहां से उसे रैंबो होम राजवंशी नगर में रखवा दिया।
ज्योति वहीं पर पढ़ाई की, इसके बाद उसने मैट्रिक की परीक्षा दी और अच्छे नंबरों से पास भी हुई। उसका हुनर ऐसा था कि उपेंद्र महारथी संस्थान में उसे मधुबनी पेंटिंग का प्रशिक्षण मिल गया। वह एक अच्छी कलाकार बन गई। उसकी मेहनत और लग्न को देखकर एक कंपनी वालों ने कैफेटेरिया चलाने का काम दिया।
ज्योति अकेले ही कैफेटेरिया चलाती है। वह कहती है- ‘सुबह से रात तक कैफेटेरिया चलाती है। खाली समय में पढ़ाई करती है। पहले शेल्टर होम में रहती थी, लेकिन अब अपने पैसे से किराये का मकान लेकर रहती है। आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए मुक्त विद्यालय से पढ़ाई कर रही है, साथ ही कैफेटेरिया भी चला रही है। वह मार्केटिंग के क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाना चाहती है।’