राजद और कुशवाहा के बाद अब कांग्रेस ने दिया जदयू को झटका, चुनाव आते-आते अभी बहुत होगा खेला

PATNA (RAJESH THAKUR) : बिहार का चुनावी साल धीरे-धीरे अंगड़ाई लेने लगा है। सियासी गलियारों की हलचलें तेज होने लगी है। उठा-पटक का दौर शुरू हो गया है। सियासत की शतरंजी चालें अब पटल पर आने लगी हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रगति यात्रा तो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव संवाद यात्रा के जरिए जनता की नब्ज टटोलने लगे हैं। बीजेपी की ओर से उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी विरोधियों पर सियासी हमले कर उनकी धार को कमजोर करने में लगे हैं, वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिलीप जायसवाल NDA घटक दलों के अध्यक्ष के साथ गठबंधन को मजबूत करने में लगे हैं। लेकिन इन सबके बीच जदयू को विरोधियों के साथ ही कुछ ‘अपने लोग’ भी झटका दे रहे हैं। पहले राजद और रालोमो ने झटका दिया और नये घटनाक्रम में अब कांग्रेस भी कुछ ऐसी ही सियासी चाल चली है। सियासी पंडितों की मानें तो अभी तो यह शुरुआत है। चुनावी साल में आगे बहुत खेला होगा।

राजद और रालोमो के बाद कांग्रेस ने जदयू के एक महत्वपूर्ण चेहरे को अपनी पार्टी में मिला लिया। दिल्ली में 28 जनवरी को आयोजित एक सादे मिलन समारोह में माउंटेन मैन के नाम से ख्यातिलब्ध दशरथ मांझी के पुत्र भागीरथ मांझी और पूर्व सांसद अली अनवर ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। भागीरथ मांझी का कांग्रेस में शामिल होने का ब्लूप्रिंट उसी दिन तैयार हो गया, जब वे पटना में राहुल गांधी से मिले। राहुल पिछले सप्ताह ही ‘संविधान सुरक्षा’ कार्यक्रम में शिरकत करने पटना आए थे। तब राहुल ने उनका जोरदार स्वागत किया था। दोनों में काफी देर तक बात हुई थी। बता दें कि भागीरथ मांझी पिछले साल ही लोकसभा चुनाव के ठीक पहले जदयू में शामिल हुए थे। उनके साथ बिहार की सियासत से जुड़े कई और लोग कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इसे लेकर कांग्रेस में काफी खुशी की लहर है और इसे पार्टी ने बड़ा दिन बताया है।

मिलन समारोह में शामिल अखिल भारतीय अतिपिछड़ा संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक और कांग्रेस के युवा नेता मंजीत आनंद साहू ने बताया कि भागीरथ मांझी और पूर्व सांसद अली अनवर के अलावा लेखक विचारक और चिंतक फ्रेंक हुजूर, कुम्हार प्रजापति समाज के प्रदेश अध्यक्ष मनोज प्रजापति, डॉ. जगदीश प्रसाद सहित बड़ी संख्या में बिहार के लोग कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। उनलोगों के कांग्रेस में आने से बेशक पार्टी बिहार में मजबूत होगी, साथ ही इससे संविधान सुरक्षा सम्मेलन और राहुल गांधी के वंचित समुदाय के लिए न्याय की लड़ाई में संघर्ष को एक नयी ताकत मिलेगी। संविधान सुरक्षा सम्मलेन के संयोजक डॉ अनिल जयहिंद की पहल और सामाजिक न्याय को अमलीजामा पहनाने वाले साथियों के प्रयास से सामाजिक एवं राजनितिक परिवर्तन की दिशा में चल रहा अभियान और तेज होगा। उन्होंने बताया कि बिहार में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पूर्व 84% वंचित समुदाय के 65% आरक्षण को स्वीकार करवाना और बिहार की NDA सरकार को उखाड़ फेंकना वंचित समुदाय के संघर्ष का केंद्र बिंदु होगा।

दरअसल, बिहार की सियासत में अभी भी महागठबंधन काफी मजबूत स्थिति में है और पिछले दिनों तेजस्वी यादव ने मीडिया से कहा भी था कि महागठबंधन के लोग सब एकजुट हैं। 18 जनवरी को जब राहुल गांधी पटना आए थे और जिस होटल में वे ठहरे थे, उसी होटल के कैंपस में राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित थी। उस बैठक में राजद सुप्रीमो लालू यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सहित देशभर के बड़े नेता शामिल हुए थे। बिहार के भी तमाम दिग्गज राजद नेता जुटे थे। बीच में ही समय निकालकर तेजस्वी ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी। राहुल चाहते तो उसी होटल में लालू यादव से भी मिल सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे बाजाप्ता राबड़ी आवास पहुंचे तथा लालू यादव के साथ काफी देर तक बात किये। साथ ही उन्होंने घर के साथ ही गौशाला भी देखा। इसे लेकर विरोधियों ने कटाक्ष भी किया, लेकिन राहुल ने अपने लोगों में साफ मैसेज दिया कि NDA से निजात दिलाने के लिए बिहार की लड़ाई में कांग्रस पूरी तरह राजद के साथ है।

जहां तक जदयू को सियासी झटका देने की बात है तो कांग्रेस के पहले राजद ने उसे झटका दिया। इसी माह 17 जनवरी को पटना में मिलन समारोह आयोजित कर जदयू के वरीय नेता और धानुक समाज से आनेवाले मंगनीलाल मंडल को पार्टी में शामिल कराया। उन्हें तेजस्वी यादव ने पार्टी की सदस्यता दिलायी और कहा कि राजद इससे और अधिक मजबूत होगा। वहीं राजद की सदस्यता ग्रहण करने के बाद मंगनीलाल मंडल ने कहा कि जदयू में आंतरिक लोकतंत्र की कमी है। पार्टी का संचालन कुछ ही लोगों तक सीमित होकर रह गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जदयू वह पार्टी नहीं रही, जिसका दावा नीतीश कुमार करते हैं। जनता ठगा महसूस कर रही है।

इतना ही नहीं, भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की जयंती की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने मिलन समारोह का आयोजन पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में किया था। काफी तामझाम के साथ इस कार्यक्रम में जदयू के वरीय नेता व पूर्व विधानसभा पार्षद रामेश्वर महतो ने अपनी ही पार्टी को झटका देते हुए उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का दामन थाम लिया था। हालांकि, उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जब जदयू महागठबंधन के साथ था, तब मैं वहां से अलग होकर नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा बनाया भी और मोर्चा खोला भी। तब मैं जदयू को अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाना चाहता था। उसी समय रामेश्वर महतो से जदयू छोड़कर रालोमा के साथ आने की बात हुई थी। इसके बाद जदयू NDA में शामिल हो गया। ऐसे में लगा कि अब ये हमारे साथ रहें या नीतीश जी के साथ, कोई फर्क नहीं पड़ता है। किंतु अपने व्यक्तिगत कारण से रामेश्वर महतो हमलोगों के साथ आ गये, तो इनका स्वागत है।

बहरहाल, कांग्रेस हो या राजद अथवा NDA घटक दल में शामिल उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो, सब ने नये साल में जदयू को करारा झटका दिया है। सियासी पंडितों की मानें तो अभी इस तरह के झटके और भी दलों को लगेंगे। चुनावी साल में अभी बहुत ‘खेला’ होना बाकी है, अभी तो खेल शुरू ही हुआ है।

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