PATNA (RAJESH THAKUR) : कर्पूरी ठाकुर। जननायक। गुदड़ी के लाल। सामाजिक न्याय के सच्चे मसीहा। बिहार के पहले गैरकांग्रेसी समाजवादी मुख्यमंत्री। पिछले साल से भारत रत्न भी। वे आज जिंदा होते तो 101 साल के होते। सादगी के लिए ख्यातिलब्ध कर्पूरी ठाकुर आज भी सियासत के बाजार में सुपरहिट हैं। सियासी उत्सव के तौर पर बड़े से लेकर छोटे नेता और तमाम राजनीतिक संगठन उनकी जयंती मना रहे हैं। उन्हें काफी श्रद्धा से याद कर रहे हैं। पटना में तमाम दलों ने कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनायी। देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजकीय समारोह में शामिल हुए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर को याद किया।

चुनावी साल है बिहार में : बिहार में इस साल विधानसभा का चुनाव होना है। चुनावी साल होने की वजह से तमाम राजनीतिक संगठनों व नेताओं ने सियासी गलियारे को ‘कर्पूरीमय’ कर दिया। बेशक यदि आज कर्पूरी ठाकुर जिंदा होते तो इस ‘सियासी चकाचौंध’ को देखकर उनका रूह जरूर कांप जाता। जितना खर्च उन्होंने अपने पूरे जीवनयापन में नहीं किये होंगे, उनकी जयंती के नाम पर उससे कहीं अधिक पैसे पानी की तरह बहाये जा रहे हैं। एक जीप के लिए उन्हें फजीहत झेलनी पड़ी थी, लेकिन उनकी जयंती के नाम पर महंगी गाड़ियां दौड़ रही हैं। सियासी पंडितों की मानें तो यह सब वोट बैंक की महिमा है। बिहार में चुनावी साल होने की वजह से कर्पूरी ठाकुर और अधिक प्रासंगिक हो गये हैं। जिस तरह कर्पूरी ठाकुर की जयंती को तमाम राजनीतिक दलों ने व्यापक पैमाने पर मनायी है, वह यह बताने के लिए काफी है कि किस कदर उनके नाम पर दलितों-पिछड़ों में पैठ बनाने की होड़ चल रही है।

सब वोट बैंक का खेल : दरअसल, बिहार में लगभग 36% अतिपिछड़ा वोट बैंक है। अतिपिछड़ा वोट बैंक जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाता है। जननायक कर्पूरी ठाकुर बिहार में अतिपिछड़ों के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। इस वोट बैंक को लुभाने के लिए ही सभी राजनीतिक दल कर्पूरी जयंती के बहाने यह बता रहे हैं कि कर्पूरी ठाकुर उनके ‘अपने’ हैं और वे भी कर्पूरी ठाकुर के ‘अपने’ हैं। फिर चुनाव में महंगाई, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता अब मरे हुए मुद्दे हो गए हैं। इनके नाम पर वोट को गोलबंद करना संभव नहीं है। ऐसे में जाति ही एक ऐसा राजनीतिक मुद्दा है, जिससे नेता चुनावी वैतरणी पार कर सकते हैं। इसी वजह से कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जयंती को नेताओं ने पटना समेत पूरे बिहार में ‘सियासी महोत्सव’ की तरह मनाया।

6 जगह शामिल हुए CM : जननायक कर्पूरी ठाकुर को 101वीं जयंती पर राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने समारोह आयोजित कर श्रद्धापूर्वक याद किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आधा दर्जन समारोह में शामिल हुए। सबसे पहले मुख्यमंत्री बिहार विधानमंडल परिसर के राजकीय समारोह में पहुंचे। फिर वे कर्पूरी ठाकुर स्मृति संग्रहालय गए। इसके बाद जदयू कार्यालय में उन्होंने जननायक कर्पूरी ठाकुर के चित्र पर माल्यार्पण किया। इसी तरह वे समस्तीपुर के कर्पूरी ग्राम में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। कर्पूरी-फुलेश्वरी महाविद्यालय तथा प्रभावती रामदुलारी इंटर विद्यालय के परिसर में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। उनके साथ विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, उपाध्यक्ष नरेंद्र नारायण यादव, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा, मंत्री विजय कुमार चौधरी, मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, मंत्री श्रवण कुमार, मंत्री मंगल पांडेय, मंत्री लेशी सिंह, मंत्री शीला कुमारी, मंत्री जनक राम आदि ने भी श्रद्धांजलि दी। कर्पूरी ग्राम में आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, केंद्रीय मंत्री मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर भी शामिल रहे।

लालू-मांझी-बीजेपी ने भी किया याद : राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय में कर्पूरी ठाकुर के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। जयंती समारोह की अध्यक्षता प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने की। इस अवसर पर सांसद डॉ. मीसा भारती, डॉ. रामचन्द्र पूर्वे, विजय कृष्ण, अरुण कुमार, सारिका पासवान आदि ने भी माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। दूसरी ओर, प्रदेश भाजपा मुख्यालय में ओबीसी मोर्चा की ओर से कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जयंती मनायी गयी। मौके पर मंत्री प्रेम कुमार, मंत्री हरि सहनी, राज्यसभा सांसद भीम सिंह, संजीव चौरसिया, भीखू भाई दलसानिया, बलराम मंडल, निखिल आनंद, आजाद गांधी, अनामिका पासवान समेत अन्य मौजूद रहे। पूर्णिया में आयोजित कार्यक्रम में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सह भूमि सुधार मंत्री डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने उन्हें याद किया। हम (से.) के अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ की ओर से भी जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनायी गयी। अध्यक्षता प्रो. राधेश्याम प्रसाद एवं संचालन डॉ. अनिल कुमार ने की। मौके पर पार्टी के संरक्षक सह केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी, मंत्री संतोष सुमन सहित अन्य मौजूद रहे। विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने भी जननायक को नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

विभिन्न संगठनों ने भी दी श्रद्धांजलि : जनसुराज ने तो चुनावी साल में काफी धूमधाम से कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनायी। पटना के मिलर स्कूल में सबसे बड़ा आयोजन किया। कार्यक्रम में पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव, विधान पार्षद अफाक अहमद, पूर्व विधान पार्षद रामबली चंद्रवंशी, वरीय अधिवक्ता वाईवी गिरी, कर्पूरी ठाकुर की पौत्री डॉ. जागृति ठाकुर, एनके मंडल, महिला अध्यक्ष सुभद्रा सहनी, डॉ. एजाज अली आदि ने कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धासुमन अर्पित किये। जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा के नेतृत्व में जदयू कार्यालय में भी जयंती मनायी गयी। वक्ताओं ने कहा कि भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की राह पर चलकर ही बिहार का विकास होगा। कर्पूरी ठाकुर ने अपना संपूर्ण जीवन शोषितों, पिछड़ों, दलितों और वंचित समाज के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने राज्य में सामाजिक विषमता को समाप्त कर समतामूलक समाज की स्थापना की। दूसरी ओर, रालोजपा कार्यालय में कर्पूरी जयंती पूरी श्रद्धा व हर्षोल्लास के साथ मनायी गयी। मौके पर केंद्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष सूरजभान सिंह, प्रदेश अध्यक्ष प्रिंसराज पासवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल, केशव सिंह, विरेश्वर सिंह आदि मौजूद रहे। एक दिन पहले पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में राष्ट्रीय लोक मोर्चा की ओर से कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनायी गयी। राज्यसभा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा सहित पार्टी के वरीय नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। हालांकि यह कार्यक्रम पूरी तरह चुनावी था।