PATNA (RAJESH THAKUR) : देश के 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने पद्म सम्मान की घोषणा की है। 100 से अधिक हस्तियों को यह सम्मान मिला। इसकी सूची जारी कर दी गयी है। इस सूची में बिहार की 7 हस्तियां भी शामिल हैं। इनमें से 3 को यह सम्मान मरणोपरांत दिए गये हैं, बाकी 4 इन सम्मान को स्वयं ग्रहण करेंगे। सूची के अनुसार स्वर कोकिला शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को मरणोपरांत पद्म भूषण तथा धार्मिक न्यास के निदेशक रहे आइपीएस आचार्य किशोर कुणाल को मरणोपरांत पद्म श्री देने की घोषणा हुई। वहीं बिहार की 4 अन्य हस्तियों को भी पद्म श्री देने की घोषणा हुई है। ये अभी जीवित हैं। इनमें एक नाम है निर्मला देवी का। यहां हम बात कर रहे हैं कला के क्षेत्र में अपनी खास पहचान बनाने वाली निर्मला देवी कौन हैं और किस तरह उन्होंने सफलता की कहानी लिखी है और उन्होंने अपने कार्यों से बिहार का परचम दुनिया भर में लहरा रही हैं।

दरअसल, निर्मला देवी को बिहार की सुजनी कला को बचाने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी पहचान दिलाने के लिए पद्म श्री सम्मान देने की घोषणा हुई है। सुजनी जैसी विलुप्त होती परंपरागत विधा को निर्मला देवी ने जिस लगन और मेहनत से अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलायी है, इसके लिए उन्हें सैल्यूट देना तो बनता ही है। ‘बिहार के पद्मश्री कलाकार’ पुस्तक के लेखक व बिहार म्यूजियम के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा निर्मला देवी के संघर्षमय सफर को काफी नजदीक से देखा है।

बिहार म्यूजियम के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा कहते हैं कि निर्मला देवी 77 साल की हो गयी हैं। उनका जन्म 15 अगस्त 1947 को हुआ था। उसी दिन देश आजाद हुआ। वह एक ऐतिहासिक दिन था और आज 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर उन्होंने एक नया इतिहास रच दिया, जब केंद्र सरकार ने सुजनी कला के लिए उन्हें ‘पद्मश्री’ देने की घोषणा की है। पुराने कपड़ों को सुजनी का नया रूप देकर उसे स्वतंत्र पहचान दिलाने वाली निर्मला देवी का जन्म मुजफ्फरपुर जिले के भुसरा गांव में हुआ था। पिता बारूनी प्रसाद सिंह गांव में ही रहते थे। बाल्यावस्था से ही निर्मला प्रखर एवं विलक्षण बुद्धि की थी।

वे बताते हैं कि निर्मला अपनी मां जानकी देवी के साथ रहते खेलते-कूदते घर में चीजों को देखती-समझती थी। उसी दौरान, मां द्वारा निर्मित सुजनी को निहारती रहती थी। जब कभी खाली समय मिलता, उनकी मां पुराने कपड़े को एक-दूसरे पर साटकर सूई-धागे से सिलाई करती थी। सिलाई के दौरान रंग-बिरंगे धागे एवं उससे उभरी रंग-बिरंगी आकृतियां निर्मला के मन को मोहती थी। निर्मला कभी धागे को देखती तो कभी आकृतियों को। ऐसी परिस्थिति में बाल मन में सुजनी की छवि तत्समय बैठ गयी। मां जब सुजनी बनाती तो निर्मला उनकी सहायता करती। इस प्रकार वह जान गयी कि सुजनी किस तरह तैयार होती है। धीरे-धीरे निर्मला देवी इस विधा में निपुण होती चली गयीं। इस कला को उन्होंने बिहार से देश और फिर विदेशों में पहुंचाया। आज सुजनी कला का परचम दुनिया भर में लहरा रहा है और साथ में निर्मला देवी और बिहार का भी नाम रोशन हो रहा है।

बहरहाल, निर्मला देवी के अलावा बिहार से भीम सिंह भवेश, हेमंत कुमार और विजय नित्यानंद सुरिश्वर जी महाराज को भी पद्मश्री देने की घोषणा हुई है। बता दें देश भर में कुल 139 हस्तियों को पद्म सम्मान देने का ऐलान किया गया है। इनमें 7 पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण तथा 113 पद्म श्री शामिल हैं। बिहार में जिन 3 हस्तियों शारदा सिन्हा, सुशील मोदी और आचार्य किशोर कुणाल को मरणोपरांत ये सम्मान दिए गये हैं, उन तीनों का निधन पिछले साल ही हुआ है।

