PATNA (RAJESH THAKUR) : संस्कृतिकर्मी, रंगकर्मी, अभिनेता, नाटककार, सोशल एक्टिविस्ट… और न जानें कितने नामों से नवाजे जाते हैं अनीश अंकुर। अब एक और विशेषण उनके नाम में जुड़ गया। वे अब मुकम्मल लेखक बन गए। मंच संचालन कर रहे सुशील कुमार ने उनकी किताब ‘रंगमंच के सामाजिक सरोकार’ के आने के दिन से ही अनीश अंकुर को सोशल मीडिया पर ‘मुकम्मल लेखक’ कहना शुरू कर दिया था। और जब पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित पुस्तक मेला में उनकी किताब का श्री कृष्णापुरी मंच पर विमोचन हुआ तो वहां मौजूद सारे अतिथियों ने भी समवेत स्वर में मुकम्मल लेखक बने अनीश अंकुर का ‘साहित्यिक लोहा’ माना।
गंगा तट और उसके चंद किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है गांधी मैदान। शीतलहर का मौसम, खुला-खुला माहौल और शाम 7 बजे का वक्त, देह सिहराने वाली चल रही हवाओं से आप ठंड का अंदाजा लगा सकते हैं। लेकिन मंच से लेकर दर्शक दीर्घा तक में लोगों का स्वतः स्फूर्त उत्साह देखकर ठंड कहां फुर्र हो गयी, लोगों को पता ही नहीं चला। मंच हो या दर्शक दीर्घा, हर जगह उत्साहित भीड़। दिग्गजों का जमावड़ा। सबकी जुबान पर अनीश अंकुर की ही चर्चा। उनकी किताब ‘रंगमंच के सामाजिक सरोकार’ की ही बातें।
पुस्तक विमोचन समारोह में कौन नहीं था… मंच पर ही दर्जन भर लोग। दर्शक दीर्घा में भी एक से बढ़कर एक बड़ी हस्ती। इसमें पटना के साहित्यकार, रंगकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता ही नहीं चिकित्सा और प्रशासनिक जगत के भी काफी संख्या में पुस्तक प्रेमी शामिल थे। वहीं विमोचन और करने वालों में हिंदी के प्रख्यात कवि आलोक धन्वा, साहित्य अकादमी से सम्मानित कवि अरुण कमल, चर्चित लेखक एवं नाट्य-समीक्षक हृषीकेश सुलभ, प्रगतिशील कथाकार संतोष दीक्षित, मैथिली के प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक कुणाल, भारतीय जन नाट्य संघ के राष्ट्रीय महासचिव तनवीर अख्तर, वरिष्ठ अभिनेता सुमन कुमार, जनगायक अनिल अंशुमन, कवि सह चिकित्सक डॉ विनय कुमार, प्रकाशन संस्थान के निदेशक हरिश्चंद्र शर्मा आदि प्रमुख रहे। मंच संचालन सुशील कुमार कर रहे थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रख्यात कवि आलोक धन्वा किताब के संबंध में नहीं के बराबर बोले। वे रूस और सोवियत संघ से जुड़े नाट्य प्रसंग को सुनाते रहे। हालांकि उन्होंने इतना जरूर कहा कि इस किताब को लिखने में अनीश अंकुर को काफी मेहनत करनी पड़ी है। इसे हर किसी को पढ़नी चाहिए। लेखक अनीश ने कहा कि बिहार रंगमंच पर बहुत कम किताबें हैं। यह किताब इस कमी को पूरा करने का एक छोटा-सा प्रयास है। यह पुस्तक रंगमंच और समाज के बीच के रिश्तों को समझने की कोशिश है, ताकि बिहार और देश के नए रंगकर्मियों को रंगमंच के सामाजिक सरोकारों से परिचित कराया जा सके।
साहित्य अकादमी से सम्मानित सुप्रसिद्ध कवि अरुण कमल ने कहा कि यह अनीश अंकुर की पहली मुकम्मल किताब है। यह किताब बड़े कलेवर में है। इसमें बर्तोल्त ब्रेख्त से लेकर शेक्सपियर तक हैं। यह पुस्तक बिहार की ऐतिहासिक नाट्य परंपरा को रेखांकित करती है। नाटककार और लेखक हृषीकेश सुलभ ने कहा कि मुझे लगातार लग रहा था कि रंगमंच का इतिहास लिखा जाना चाहिए और यह काम अनीश अंकुर ने कर दिखाया है। यह किताब नाट्य सक्रियता का इतिहास है। बहुत ऐसे रंगकर्मी यहां दर्ज हैं, जिनका काम लोगों के सामने अभी तक नहीं आ पाया था।
चिकित्सक सह कवि डॉ विनय कुमार ने किताब के बारे काफी विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि यह किताब बिहार की सीमा से भी बाहर है। इसमें बिहार के अलावा बंगाल समेत अन्य प्रदेशों के नाट्य इतिहास की जानकारी मिलती है। डॉ विनय ने ‘अनीश’ के उच्चारण पर भी जोर दिया और उनके मायने बताये। उन्होंने चुटकी लेते हुए यह भी कहा कि हम ‘बद्दुआ’ देते हैं कि यह किताब विवाद पैदा करे, ताकि उन्हें फिर से एक और मुकम्मल किताब लिखनी पड़े। हिंदी मैथिली के चर्चित निर्देशक और नाटककार कुणाल ने कहा कि अब तक उन्हें (अनीश) मैं एक अभिनेता के रूप में जानता था, अब उनका एक दूसरा रूप एक समीक्षक का हमारे सामने आ चुका है। उन्होंने पूरी ईमानदारी से यह श्रम साध्य कार्य किया है।
कथाकार संतोष दीक्षित ने कहा, मैं नाटक से बहुत अधिक जुड़ा हुआ नहीं हूं, इस नाते भी मैं इस किताब को पढ़ना चाहता था। आज की तारीख में हमारे सामाजिक सरोकार संकट में हैं। ऐसे में यह पुस्तक साहित्यकारों को दिशा देगी। इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव तनवीर अख्तर ने कहा, इस पुस्तक का सबसे महत्वपूर्ण अंग अलग-अलग विषयों पर संग्रहित इंटरव्यू हैं। इसके माध्यम से नाटक के सरोकार स्पष्ट होते चले जाते हैं। वरिष्ठ अभिनेता सुमन कुमार ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण किताब साबित होगी। संस्कृतिकर्मी अनिल अंशुमन ने भी अपने विचार रखे। दर्शक दीर्घा में कई महत्वपूर्ण हस्तियां मौजूद थीं। इनमें पटना के इतिहास पर दो-दो किताब लिखने वाले लेखक अरुण सिंह, पटना कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर एनके चौधरी, वरीय समाजसेवी आनंद माधव, पटना वीमेंस कॉलेज की प्रो शेफाली, PMCH के डॉ अंकित कुमार, पटना रिपब्लिक के अध्यक्ष साकेत समेत कवि मुसाफिर बैठा, अंचित, चंद्रबिंद, राजेश कमल, निवेदिता झा, निखिल आनंद गिरि समेत अन्य शामिल रहे।