होम्योपैथी के जनक हैनीमेन के घर जर्मनी में जुटेंगे दुनिया भर के चिकित्सक, बिहार के डॉ नीतीशचंद्र दुबे ने संभाली कमान

PATNA (RAJESH THAKUR) : ‘इत्र से कपड़ों को महकाना कोई बड़ी बात नहीं, मजा तो तब है जब खुशबू आपके किरदार से आए…’ यह कहना है अपने किरदार से बिहार ही नहीं, देश-विदेश में अपनी खुशबू बिखेरने वाले हरिओम होम्यो क्लीनिक कल्याणपुर के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ नीतीशचंद्र दुबे का। वे एक बार फिर यही खुशबू बिखेरने जा रहे हैं सात समंदर पार विदेश में। इस बार होम्योपैथी के जनक हैनीमेन के घर जर्मनी में दुनियाभर के चिकित्सकों का जमावड़ा लगेगा। इसके लिए तारीख भी निर्धारित हो गयी है। इसी साल 10 अप्रैल को जर्मनी में बड़ा इवेंट होगा। दुनियाभर के होम्योपैथी चिकित्सकों के बीच विभिन्न बीमारियों और उसके इलाज पर मंथन होगा।

हरिओम होम्यो क्लीनिक कल्याणपुर के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ नीतीशचंद्र दुबे कहते हैं कि होम्योपैथी चिकित्सकों के लिए जर्मनी सपनों का देश है। वहां के म्युनिक स्थित प्रसिद्ध ओपेरा में हमलोग 10 अप्रैल को एक बेहतरीन सपने के साथ जुटेंगे। होम्योपैथी के जनक महात्मा हैनीमेन के घर दुनिया के सर्वश्रेठ चिकित्स्कों का जुटान होगा, जो भारतीय होम्योपैथी को एक नयी दिशा देगा।

वे कहते हैं कि एक समय के बाद दुखों की रीढ़ टूटने लगती है। उदासियां ऊंघने लगती हैं। संघर्ष चरम पर पहुंच कर खत्म होने लगता है। वे यह भी कहते हैं कि आरंभ के दिनों से ही आदमी दुनिया को एक नए सिरे से जीतता आ रहा है। कोई ऐसा युद्ध, ऐसा संघर्ष नहीं है जिसे आदमी जीत न पाया हो। जीवन को लेकर आदमी का संघर्ष कुछ ज्यादा होता है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि संघर्ष कभी खत्म नहीं होगा। अपने जीवन में संघर्ष करते हुए मैंने महसूस किया है कि जब संघर्ष अपने चरम पर होता है, वहीं से आपकी दुनिया बदलने लगती है।

डॉ दुबे कहते हैं कि जर्मनी में 10 अप्रैल को होम्योपैथी चिकित्सकों का होने वाला सेमिनार ऐतिहासिक होगा। इस ऐतिहासिक क्षण में दुनिया को बताना चाहते हैं कि हम होम्योपैथी पद्धति को कहां ले जाना चाहते हैं। इस यात्रा में सारथी चिकित्सक मित्रों तथा शुभचिंतकों का स्नेह सदा साथ रहा है। सफलता की इस यात्रा में वे अपना स्नेह और आशीर्वाद ऐसे ही बनाए रखें। बाकी माँ दुर्गा पर भरोसा रखें, सब ठीक होगा।

बता दें कि डॉ. नीतीश दुबे एक अच्छे होमियोपैथिक चिकित्सक हैं। उनकी अपनी एक सशक्त पहचान है और उतनी ही अधिक प्रसिद्धि भी है। इनका विद्यार्थी जीवन से ही होमियोपैथिक से खास लगाव रहा है। इन्होंने पुरानी और असाध्य बीमारियों मसलन, पुरुष और महिला रोग, लकवा, त्वचा, दाने, मानसिक, यौन और शारीरिक विकारों से पीड़ित लाखों रोगियों का इलाज किया है। ये कहते भी हैं कि होम्योपैथी प्राकृतिक उपचार पद्धति है, जो प्रकृति के नियम सिमिलिया सिमिलीबस क्यूरेंटुर पर आधारित है। हमारा लक्ष्य लाभ कमाना नहीं है। हमारा उद्देश्य एक ऐसा राष्ट्र बनाना है, जहां स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण कोई मौत न हो।