PATNA (SMR) : बिहार ही नहीं, देश के ख्यातिलब्ध साहित्यकार हैं ध्रुव गुप्त। पुलिस सर्विस में DIG साहब बने। अब तक इनकी आधा दर्जन किताबें आ गयी हैं। पुलिसिया रौब के बीच इनके मन में हमेशा साहित्य की हर विधा अंकुरित-प्रस्फुटित होते रहा। अब तो उनके मन की उर्वर भूमि से गीत-गजल ही नहीं, लेख-आलेख, गीत-संगीत से लेकर कथा-कहानी, रिपोर्ट-रिपोर्ताज… और न जानें क्या-क्या, सब उपज रहे हैं। सोशल मीडिया के तो बेताज बादशाह हो गए हैं। वे ‘बोरसी’ पर लिखे हैं। इसे गांव के लोग ही महसूस कर सकते हैं। आप भी इसे अक्षरशः पढ़ें… !!! 

हरों में बस चुके जिन लोगों की जड़ें गांवों में हैं, उन्हें जाड़े की रातों में बोरसी की आग की स्मृतियां नहीं होंगी। घर के दरवाजे पर या दालान में बोरसी का मतलब था शीत से संपूर्ण सुरक्षा। वातावरण की ठंड और आग की उष्णता के घालमेल से बच्चों को बचाने के लिए उनके शरीर के हर हिस्से में लिपटी पुराने कपड़ों की गांती हुआ करती थी। 

अब शहरों या गांवों में भी पक्के, सुंदर घरों वाले लोग धुएं से घर की दीवारें काली पड़ जाने के डर से बोरसी नहीं सुलगाते। उसकी जगह रूम हीटर ने ले ली है। मिट्टी और खपरैल के मकानों में ऐसा कोई डर नहीं होता था। बुजुर्ग कहते थे कि दरवाजे पर बोरसी की आग हो तो ठंढ ही नहीं भागती, घर में सांप-बिच्छू और भूत-प्रेत का प्रवेश भी बंद हो जाता है। 

सार्वजनिक जगहों पर जलने वाले अलाव जहां गांव-टोले के चौपाल होते थे, बोरसी को पारिवारिक चौपाल का दर्जा हासिल था। उसके पास शाम के बाद जब घर के लोग एकत्र होते थे, तो वहां पारिवारिक समस्याओं से लेकर गांव और देश की दशा-दिशा पर बहसें चलती थीं। कई मसले बोरसी के गिर्द सुलझ जाते थे। किशोरों के रूमानी सपनों को बोरसी की आग ऊष्मा देती थी। बच्चों के लिए उसका रोमांच यह था वहां मकई के भुट्टे, आलू, शकरकंद पकाने-खाने के अवसर उपलब्ध थे। बिस्तर पर जाते समय बोरसी बुजुर्गों या बच्चों के बिस्तरों के पास रख दी जाती थी। 

आज के युवाओं और बच्चों के पास बोरसी की यादें नहीं हैं। जिन बुजुर्गों ने बोरसी की गर्मी और रूमान महसूस किया है, उनके पास घरों की डिजाइनर दीवारों और छतों के नीचे बोरसी की आग सुलगाते की आज़ादी अब नहीं रही ! सच में वो भी क्या दिन थे…  

(नोट : यह संस्मरण साहित्यकार ध्रुव गुप्त के फेसबुक वाल से लिया गया है। इसमें उनके निजी विचार हैं।)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here