सुनील कुमार पाठक की पुस्तक ‘भोजपुरी कविता : रुचि आ रचाव ‘ का पटना पुस्तक महोत्सव में हुआ विमोचन

PATNA (MR) : बिहार दिवस के अवसर पर पटना के गांधी मैदान में आयोजित ‘पटना पुस्तक महोत्सव’ में आज रविवार को मुख्य मंच पर डाॅ. सुनील कुमार पाठक की भोजपुरी की दूसरी समालोचना-कृति ‘भोजपुरी कविता : रुचि आ रचाव ‘ का विमोचन किया गया। पुस्तक का प्रकाशन दिल्ली के भोजपुरी संस्थान ने किया है।

लोकार्पण समारोह में बोलते हुए मुख्य अतिथि भोजपुरी – हिंदी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि भोजपुरी काव्यालोचना को समृद्ध करने में डाॅ. सुनील पाठक का महत्वपूर्ण योगदान है। ‘छवि और छाप’ तथा ‘पढ़त-लिखत’ के बाद भोजपुरी कविता पर पूरी गंभीरतापूर्वक पाठ-केंद्रित समीक्षा की इस तीसरी कृति के जरिए भोजपुरी कविता के महत्वपूर्ण कवियों के भाव-सौंदर्य, विचार-वैभव और शिल्प-सौंदर्य पर विवेचनात्मक दृष्टि से लेखक ने अपनी गहन दृष्टि डाली है।

पुस्तक विमोचन के अवसर पर लेखक डाॅ. सुनील ने कहा कि आज प्रकाशित कृति के अलावा तीन और समालोचनात्मक कृतियों के जरिये भोजपुरी कविता की विरासत, परंपरा और समकालीनता पर गहराई से अपना अनुशीलन प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि भोजपुरी कविता का काव्य-फलक काफी विस्तीर्ण और सामाजिक प्रतिबद्घतामूलक है।

विशिष्ट अतिथि डाॅ. रामरक्षा मिश्र ‘विमल’ ने कहा कि भोजपुरी समीक्षा में डाॅ. सुनील का अवदान अत्यंत उल्लेखनीय और ऐतिहासिक है। ये काफी गंभीरतापूर्वक विषय की गहराई में उतरकर कविताओं का निष्पक्ष मूल्यांकन करते हैं। मुख्य वक्ता हिंदी भोजपुरी एवं संस्कृत के विद्वान मार्कंडेय शारदेय ने विश्वास व्यक्त किया कि जिस गति और गंभीरता से भोजपुरी काव्य- परंपरा और प्रगति का विवेचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत कर रहे हैं, वह भोजपुरी साहित्य के लिए अत्यंत शुभ एवं सार्थक है।

कार्यक्रम में बोलते हुए भोजपुरी के वरिष्ठ विद्वान प्रोफेसर पृथ्वीराज सिंह ने कहा कि सुनील पाठक की आलोचनात्मक दृष्टि काफी प्रखर और आधुनिक विचारों से ओतप्रोत है। कार्यक्रम में विभारानी श्रीवास्तव, प्रो.कमाल अहमद, गौतम गुप्ता आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन सर्वभाषा ट्रस्ट दिल्ली के अधिकारी केशव मोहन पांडेय ने किया। कार्यक्रम में अतिथियों को सम्मानित भी किया गया।