
PATNA (RAJESH THAKUR) : बिहार के लिए 2025 चुनावी साल है। विधानसभा चुनाव को लेकर यहां का सियासी पारा चढ़ता ही जा रहा है। इसे लेकर तरह-तरह की बयानबाजी हो रही है। राजद सुप्रीमो लालू यादव ने सीएम नीतीश कुमार के लिए ‘दरवाजा’ खोल दिया तो मुख्यमंत्री ने प्रगति यात्रा के दौरान कई बार सफाई दी कि अब वे ‘इधर-उधर’ नहीं जाएंगे। महागठबंधन और एनडीए के बीच संभावित चुनावी लड़ाई के दरम्यान इस बार चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज भी जोरदार ढंग से एंट्री मारी है। बाकी पार्टियों की भी गतिविधियां बढ़ गयी हैं। लेकिन, यहां हम बात कर रहे हैं बिहार में होनेवाले त्रिस्तरीय पंचायत की। यह चुनाव 2026 के अंत में होगा। पंचायत चुनाव होने में डेढ़ वर्ष से अधिक का समय है।

पंचायत चुनाव 2026 को लेकर बिहार में अंदर ही अंदर प्रशासनिक तैयारी शुरू हो गयी है। मुखिया, जिला पार्षद समेत 6 पदों के लिए हर पांच साल पर चुनाव कराए जाते हैं। इसमें 8054 मुखिया पद के लिए वोट डाले जाएंगे। वहीं 1161 पदों के लिए चुनाव कराए जाएंगे। इसी तरह, पंच, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य और वार्ड सदस्य के भी दो लाख से अधिक पद हैं। इन सारे पदों के लिए एक साथ 2026 में चुनाव कराये जायेंगे। खास बात कि इस बार आरक्षण के रोटेशन में बदलाव होगा। फिर से आरक्षण निर्धारित किये जाएंगे। इसके पहले 2016 में बदलाव किये गये थे। मिल रही जानकारी के अनुसार, 2026 में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सभी आरक्षित कोटि के पदों के रोटेशन नए सिरे से तय होगा। यह जनगणना के आधार पर होगा। वर्ष 2016 और वर्ष 2021 के चुनावों में जिन कैटेगरी को आरक्षण का लाभ मिला था, उनका रोटेशन अब नये सिरे से फाइनल होगा। ऐसे में पिछले दो चुनावों में जिन पदों पर जिस कोटि के प्रत्याशियों को आरक्षण का लाभ दिया गया था, अब वहां पर आरक्षण का रोटेशन बदल जायेगा।
बता दें कि बिहार के त्रिस्तरीय पंचायत आम चुनाव में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और महिलाओं को अधिकतम 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। राज्य में होनेवाले पंचायत चुनाव में तीसरी बार आरक्षण के रोटेशन में बदलाव होगा। पंचायती राज अधिनियम में प्रावधान है कि दो आम चुनावों के बाद आरक्षण का रोटेशन बदल जाता है। वर्ष 2006 में पहली बार सभी पदों पर आरक्षण का प्रावधान किया गया था, जिसका चक्र 2011 के आम चुनाव में समाप्त हो गया। फिर वर्ष 2016 में यह बदलाव किया गया। इसका चक्र 2021 के पंचायत आम चुनाव में पूरा हो गया। अब वर्ष 2026 में पंचायत आम चुनाव होना है। इस चुनाव में पिछले दो चुनावों का आरक्षण चक्र बदल जायेगा। सूत्रों के अनुसार, 2021 में जहां पर जिस कोटि के प्रत्याशियों के लिए पद आरक्षित थे, उसे समाप्त कर जनगणना के आधार पर नये सिरे से आरक्षण का लाभ दिया जायेगा।
यह है आरक्षण की गाइडलाइन
गौरतलब है कि त्रिस्तरीय पंचायतों में पदों का आरक्षण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उसकी जनसंख्या के अनुपात में दिया जाता है। अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की आबादी 25 प्रतिशत है, तो वहां उस कोटि के पदों का आरक्षण भी 25 प्रतिशत होगा। शेष पदों में अत्यंत पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशियों को 20 प्रतिशत के निकट होगा। पदों का आरक्षण जिला दंडाधिकारी द्वारा विहित रीति से तैयार किया जाता है। आरक्षण की गाइडलाइन के अनुसार पंचायत सदस्यों का आरक्षण ग्राम पंचायत के कुल पदों के आधार पर तैयार किया जायेगा, जबकि मुखिया के पदों का आरक्षण एक पंचायत समिति के अंदर आनेवाली ग्राम पंचायतों के आधार पर तैयार किया जायेगा। इसी प्रकार से पंचायत समिति के सदस्यों का आरक्षण उस पंचायत समिति के कुल सदस्यों के आधार पर तैयार किया जायेगा। प्रखंड प्रमुख का आरक्षण प्रत्येक जिला के कुल पदों का 50 प्रतिशत होगा। इसी प्रकार, जिला परिषद सदस्यों का आरक्षण हर जिले के कुल सदस्यों की संख्या का 50 प्रतिशत होगा। जिला परिषद अध्यक्ष के पदों का आरक्षण राज्य में जिला अध्यक्षों के कुल पदों का 50 प्रतिशत होगा।
