PATNA (GAURI) : बिहार में पहली बार हुआ भारत हेरिटेज ओलंपियाॅड (Bharat Heritage Olympiad)। पटना के रवींद्र परिषद भवन में इसका आयोजन 18 दिसंबर को किया गया। बिहार के ख्यातिलब्ध IPS विकास वैभव (Vikas Vaibhav) इस कार्यक्रम के मुख्य कर्ता-धर्ता थे। इसके आयोजक-संयोजक दोनों थे। Lets Inspire Bihar अभियान के तहत 30 हजार बच्चे-बच्चियों के बीच प्रतियोगिता करायी गयी। इनमें से 250 प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। इसमें बेटियों की भी उड़ान देखते ही बन रही थी।
वर्ल्ड हेरिटेज वीक (World Heritage Week) के अवसर पर राजधानी पटना के 40 प्रमुख विद्यालयों में अध्ययनरत लगभग 30 हजार बच्चों के विरासत पर प्रतियोगिता करायी गयी। यह प्रतियोगिता इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गयी कि अब तक गणित तथा विज्ञान के ओलंपियाॅड होते रहे हैं। पहली बार बिहार की ऐतिहासिक विरासत पर हो रही थी।
IPS विकास वैभव कहते हैं- ‘सभी विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों तथा विद्यालयों के लिए भी यह एक नया अनुभव था। गणित तथा विज्ञान के ओलंपियाॅड के विषय में तो सबने पहले से सुन रखा था, परंतु विरासत पर आधारित ओलंपियाॅड की तो किसी ने परिकल्पना ही नहीं की थी। Lets Inspire Bihar के पटना अध्याय (चैप्टर) की ओर से तथा Heritage Society और Madhubun Books के सहयोग से आयोजित इस प्रतियोगिता से बिहार की ऐतिहासिक विरासत में समाहित दृष्टि को विद्यार्थियों को समझने का अवसर मिला। इसमें भाग लेने वाले सभी विद्यार्थियों ने बिहार के भविष्य पर अपना दृष्टिकोण (Vision) साझा किया।
विकास वैभव ने बच्चों व उनके अभिभावकों को सक्सेस मंत्रा को विस्तृत रूप में समझाया। उन्होंने 3Ds (Desire या इच्छा, Dedication या निष्ठा तथा Determination या दृढ़ निश्चय) के सिद्धांत की जानकारी दी। भारतवर्ष के इतिहास में बिहार के महत्वपूर्ण भूमिका से उन्हें अवगत कराया। उन्होंने कहा- ‘बिहार की भूमि प्राचीन काल से ही ज्ञान, शौर्य एवं उद्यमिता की प्रतीक रही है। हम उन्हीं यशस्वी पूर्वजों के वंशज हैं, जिनमें अखंड भारत के साम्राज्य को स्थापित करने की क्षमता तब थी, जब न आज की भांति विकसित मार्ग थे, न सूचना तंत्र और न उन्नत प्रौद्योगिकी। यह हमारे पूर्वजों के चिंतन की उत्कृष्टता ही थी, जिसने बिहार को ज्ञान की उस भूमि के रूप में स्थापित किया, जहां वेदों ने भी वेदांत रूपी उत्कर्ष को प्राप्त किया। वह ऊर्जा निश्चित रूप से आज भी वही है, आवश्यकता केवल चिंतन की है कि उसका प्रयोग हम कहां कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा- ‘हम चिंता नहीं अपितु चिंतन करें, आपस में संघर्ष नहीं अपितु सहयोग करें, तो उज्ज्वलतम भविष्य के निर्माण का भला अवरोध कौन कर सकेगा। आवश्यकता यह है कि हम केवल स्वयं तक सीमित मत रहें और बिहार की विरासत में समाहित इस अद्भुत प्रेरणा का प्रसार करें। 3Es यथा शिक्षा (Education), समता (Egalitarianism) तथा उद्यमिता (Entrepreneurship) के विकास में योगदान कर उज्ज्वलतम भविष्य का निर्माण हम सामुहिक रूप में कर सकते हैं। आवश्यकता संघर्ष को मिटाकर पारस्परिक सहयोग की भावना को बढ़ाने का है।’ उन्होंने अपना पुराना मंत्र भी दिया- ‘पूर्व प्रेरणा करे पुकार, आओ मिलकर गढ़ें नव बिहार।’