DELHI (APP) : 28 मई 2023 । देश के लिए ऐतिहासिक दिन। नए संसद भवन के उद्घाटन का दिन। 140 करोड़ भारतीयों के सपनों के प्रतिबिंब का दिन। 60 हजार मजदूरों के श्रेष्ठ भारत के दर्शन का दिन। गरमागरम सियासत के बीच रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया। इस तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक बताया। वहीं विरोधियों ने इसे ‘काला दिन’ बताया। 19 पार्टियों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया, तो 20 से अधिक दल इसमें शामिल हुए। पीएम नरेंद्र मोदी इस नए संसद भवन (New Parliament House Inauguration) को संबोधित करने वाले पहले प्रधानमंत्री बने। उन्होंने अपने संबोधन में नवीन प्रण का संकल्प लिया तो विरोधियों पर इशारों में तंज भी कसा। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी (PM Narendra Modi) की कही गयी 5 प्रमुख बातों को बताते हैं।
नए रास्तों पर चलकर ही नए कीर्तिमान गढ़ें : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज की तारीख को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि देश ने आज इतिहास रचने का काम किया है। उन्होंने कहा- ‘आज सुबह ही संसद भवन में सर्वधर्म पंथ प्रार्थना हुई। मैं सभी देशवासियों को इसकी बहुत-बहुत बधाई देता हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा- ‘यह संसद भवन सिर्फ एक भवन नहीं है, बल्कि यह 140 करोड़ भारतीयों का प्रतिबिंब है। ‘नए रास्तों पर चलकर ही नए कीर्तिमान गढ़े जाते हैं। आज नया भारत नए लक्ष्य लेकर नए रास्ते गढ़ रहा है। नया जोश है, नया उमंग है, नया सफर है, नई सोच है। दिशा नई है, दृष्टि नई है, संकल्प नया है और विश्वास भी नया है।’
कुछ पल हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- ‘हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं जो हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं… कुछ तारीखें, समय के ललाट पर इतिहास का अमिट हस्तक्षर बन जाती हैं। आज 28 मई 2023 का यह दिन ऐसा ही शुभ दिन है। देश आजादी के 75 साल होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। इस अवसर पर देश को यह नया संसद भवन उपहार में मिला है।’ उन्होेंने कहा- ‘गुलामी के बाद भारत ने बहुत कुछ खोकर नई यात्रा शुरू की थी। वो यात्रा कई उतार-चढ़ाव से भरी रही, कई चुनौतियों से पार पाते हुए वह यात्रा आजादी के अमृतकाल में पहुंच गई है। आजादी का यह अमृतकाल देश को नई दिशा देने का अमृतकाल है, यह अंसख्य आशंकाओं को पूरा करने का अमृतकाल है।’
60 हजार मजदूरों का अमर योगदान : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस इमारत को बनाने वाले मजदूरों को भी याद किया। उनके योगदान को ‘अमर योगदान’ बताया। उन्होंने कहा- ‘इस संसद भवन ने 60 हजार श्रमिकों को रोजगार दिया। इस इमारत के लिए मजदूरों ने अपना पसीना बहाया है। उनके श्रम को समर्पित एक डिजिटल गैलरी भी संसद में बनायी गयी है। संसद निर्माण में उनका योगदान भी अमर हो गया है। कोई भी एक्सपर्ट पिछले 9 वर्षों का आंकलन करे तो पाएगा कि भारत में 9 साल नवनिर्माण और गरीब कल्याण के रहे हैं। हमें नई इमारत का गर्व है। 9 साल में चार करोड़ गरीबों के घर बनने का गर्व भी है। आज जब हम इस भव्य इमारत को देखकर अपना सिर ऊंचा कर रहे हैं तो मुझे बीते नौ साल में बने 11 करोड़ शौचालयों का भी संतोष है, जिन्होंने महिलाओं की गरिमा की रक्षा की, उनका सिर ऊंचा कर दिया।
विरासत, वास्तु, कला… सब हैं : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे गौरव का पल बताया। उन्होंने कहा- ’21वीं सदी का नया भारत बुलंद हौसले से बड़ा हुआ भारत है। अब गुलामी की उस सोच को पीछे छोड़ रहा है। आज भारत प्राचीन कला की उस गौरवशाली धारा को एक बार फिर अपनी तरफ मोड़ रहा है। संसद की नई इमारत इस प्रयास का जीवंत उदाहरण बनी है। आज नए संसद भवन को देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है। इस भवन में विरासत भी है, वास्तु भी, इसमें कला भी है, कौशल भी है। इसमें संस्कृति भी है और संविधान के सुर भी हैं। राज्यसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है। संसद के प्रांगण में हमारा राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है। हमारे देश की अलग-अलग विविधता को समाहित किया है। इस भवन के कण-कण में हमें एक भारत श्रेष्ठ भारत के दर्शन होते हैं।’
मुक्त मातृभूमि को नवीन प्रण चाहिए : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विरोधियों पर इशारों ही इशारों में तंज भी कसा। उन्होंने कहा- ‘जो रूक जाता है, उसका भाग्य भी रूक जाता है, जो चलता जाता है उसका भाग्य बुलंदियों को छूता है, इसलिए चलते रहो, चलते रहो। इस दौरान उन्होंने अपने अलग अंदाज में कविता का भी रंग जमाया। कविता के माध्यम से नवनिर्माण का पीएम मोदी ने मैसेज भी दिया। उन्होंने गाते हुए सुनाया, ‘मुक्त मातृभूमि को नवीन प्रण चाहिए, नवीन पर्व के लिए नवीन प्रण चाहिए।’ उन्होंने साफ कहा कि आप रुकिये मत, वरना आपका भाग्य भी रुक जाएगा, इसलिए चलते रहिए, चलते रहिए और नवीन पर्व की तरह भारत के भविष्य को उज्जवल बनाने वाली इस कार्यस्थली को भी उतना ही नवीन और आधुनिक होना चाहिए।