सीतामढ़ी। नेपाल की बॉर्डर पर बसा है सीतामढ़ी। मां सीता की जन्मभूमि। इसी सीतामढ़ी की पावन धरती से हिमालय की चोटियों को देख लोग काफी पुलकित हैं। लोग नंगी आंखों से देख रहे हैं। फोटो ले रहे हैं। उत्साहित हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल हो रही हैं। सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया रीतु जायसवाल ने भी फोटो ली और फेसबुक पर पोस्ट भी की। उन्होंने कहा कि खुली आंखों से हिमालय की चोटियों को देख पंचायत के लोग रोमांचित हैं।
दरअसल, यह सब लॉकडाउन की वजह से हो रहा है। बिहार में 23 मार्च से ही लॉकडाउन लगा हुआ है। इसकी वजह से प्रदूषण का लेवल काफी घट गया है। ऐसे में लोगों को खुली आंखों से हिमालय की चोटियां नजर आने लगी हैं। बताया जाता है कि सीतामढ़ी मुख्यालय से भी यह नजर आ रही है, जबकि सोनबरसा, बाजपट्टी प्रखंडों समेत बॉर्डर से सटे गांवों के लोग भी हिमालय की चोटियों को खुली आंखों से देख रहे हैं। उन्हें दूरबीन या टेलिस्कोप का सहारा लेना नहीं पड़ रहा है। इतना ही नहीं, लोग इतने रोमांचति हैं कि दनादन फोटो ले रहे हैं। इलाका पिकनिक स्पॉट बन गया है।
इतिहासविद् व पुरातत्ववेत्ता रामशरण अग्रवाल के अनुसार, सीतामढ़ी व बॉर्डर के इलाकों से वर्ष 1975 तक अक्टूबर से मार्च के प्रथम सप्ताह तक हिमालय की चोटियां खुली आंखों से नजर आती थीं। तब इस कदर प्रदूषण नहीं था। बादल या कोहरा लगने के बाद ही हिमालय की चोटियां नहीं दिखती थीं। इतना ही नहीं, सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सामान्य स्थिति में बर्फीली चोटियां गुलाबी दिखती थीं। सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सूर्य की किरणें बर्फीली चोटियों पर पड़ने से वह गुलाबी दिखती थीं।
वहीं अन्य लोगों की मानें तो बॉर्डर इलाकों में केवल सीतामढ़ी ही नहीं, बल्कि शिवहर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण जैसे जिले हिमालयी रेंज में आते हैं। 1975 के पहले इन जिलों के बॉर्डर वाले गांवों से हिमालय दर्शन होता था, लेकिन प्रदूषण के बढ़ते लेवल से हिमालय दर्शन दुर्लभ हो गया। बता दें कि हवाई मार्ग से हिमालय की चोटियां सीतामढ़ी से लगभग 180 किलोमीटर दूर है, जबकि सड़क मार्ग से लगभग 400 किलोमीटर। बहरहाल, लॉकडाउन की वजह से प्रदूषण लेवल में काफी कमी आ गई है। ऐसे में सीतामढ़ी से हिमालय की चोटियां खुली आंखों से दिखने लगी हैं।