PATNA (SMR) : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दो साल हो गए। 17 वीं विधानसभा में 243 में से करीब 100 विधायक पहली बार निर्वाचित हुए थे। उनमें से कुछ विधायकों से बिहार पॉलिटिक्स पर पैनी नजर बनाए रखने वाले वीरेंद्र यादव ने बात की है। उनके दो वर्ष के अनुभव और अनुभूति को नजदीक से जाना। यहां हम उनके सौजन्य से ‘सियासी गलियारे से’ की सीरीज में प्रकाशित कर रहे हैं… पेश है 11 वीं कड़ी :

बेगूसराय के मटिहानी से विधायक हैं राजकुमार सिंह। विधान सभा में सत्‍तारूढ़ के सचेतक भी हैं। मैट्रिक की परीक्षा में टॉप 10 में सातवां रैंक लाने वाले राजकुमार की आगे की पढ़ाई साइंस कॉलेज पटना और रामजस कॉलेज, दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय में हुई। पहले आईएएस की तैयारी की और फिर आईएएस परीक्षाओं के लिए कोचिंग की शुरुआत कर दी।

उन्‍होंने बताया कि 2020 में राजनीति में आये और पहले ही प्रयास में विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए। पहले लोजपा के टिकट पर निर्वाचित हुए थे, बाद में जदयू में शामिल हो गये। अभी वे लोक लेखा समिति के सदस्‍य हैं। अपने दो वर्षों के संसदीय अनुभव के संबंध में उन्‍होंने बताया कि निर्वाचन क्षेत्र के विकास के अनेक कार्य किये। हरिद्वार के हरकी पौड़ी की तर्ज पर सिमरिया धाम घाट का विकास किया जा रहा है। यहां स्‍नानघाट से मुक्तिधाम निर्माण तक की योजना को स्‍वीकृति मिल गयी है। 

वे कहते हैं, थर्मल से लेकर खरमपुर ढाला तक रिंगबांध निर्माण की स्‍वीकृति मिल गयी है। इसके ऊपर सड़क भी बनायी जाएगी। रिंगबांध इस इलाके का लाइफ लाइन हो जाएगा और इसका लाभ डेढ़ लाख की आबादी को मिलेगा।

उन्‍होंने कहा कि नये विधान सभा अध्‍यक्ष के रूप में अव‍ध बिहारी चौधरी विधायकों की सुविधाओं के लिए काफी संवेदनशील हैं। इस दिशा में लगातार प्रयास भी कर रहे हैं। 

राजकुमार सिंह ने कहा कि विधान सभा के सदस्‍य दलीय बाध्‍यता से ऊपर उठकर एक-दूसरे के अच्‍छे कार्यों की सराहना करते हैं और विकास कार्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहते हैं। कोई किसी भी दल का सदस्‍य हो, सब जनता के प्रति  उत्‍तरदायी होते हैं। दो वर्षों की विधायिकी की अवधि में कई राजनीतिक अनुभवों से दो-चार होना पड़ा। इन अनुभवों का लाभ भी मिल रहा है।

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