TARAPUR (MR) : बिहार की दो सीटों पर उपचुनाव ने NDA के साथ ही महागठबंधन में भी hal हलचल मचा दी। खासकर, कुशेश्वर स्थान की तुलना में पूरे देश की नजर तारापुर पर लग गयी थी। इस सीट से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा जुड़ गयी थी और इसके साथ ही पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी की भी प्रतिष्ठा जुड़ गयी। लास्टली NDA की जीत हो गयी। और सबों ने राहत की सांस ली। वरीय पत्रकार राजेश ठाकुर की स्पेशल रिपोर्ट लाइव सिटीज से साभार।
बिहार उपचुनाव की दोनों सीटों पर एनडीए की ओर से जेडीयू ने जीत दर्ज की। तारापुर से नवनिर्वाचित विधायक राजीव कुमार सिंह और कुशेश्वर स्थान के नवनिर्वाचित विधायक अमन भूषण हजारी ने आज शुक्रवार को शपथ भी ले ली। शपथग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहे। खास बात कि दोनों सीटों में तारापुर हॉटशीट बन गया था. यहां की काउंटिंग वनडे क्रिकेट मैच की तरह चलता रही।
तारापुर में ‘जीत-हार’ के बीच इस कदर ‘उठा-पटक’ चल रही थी कि चुनावी पंडित भी चकरा गए थे। लेकिन जेडीयू पर अंत भला तो सब भला वाली बात लागू हुई। तारापुर विधानसभा की जनता ने एक बार ‘नीतीशे कुमार’ पर अपनी मुहर लगा दी। इस जीत में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की पूरी टीम लगी हुई थी। बीजेपी के भी कई दिग्गज नेता एनडीए प्रत्याशी के प्रचार में लगे हुए थे। लेकिन, इसमें बीजेपी के कद्दावर नेता व पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी भी जी-जान से जुटे थे।
दरअसल, तारापुर विधानसभा उपचुनाव की जब घोषणा हुई तो उस समय तारापुर विधानसभा के दो प्रखंडों तारापुर व टेटिया बंबर में पंचायत चुनाव हो चुके थे। राजीव सिंह के छोटे भाई संजय सिंह की पत्नी मुखिया पद की चुनाव जीत गई थी। पंचायत की पॉलिटिक्स के कारण मामला फंस गया था। वहीं आरजेडी से वैश्य को टिकट दे देने की वजह से भी समीकरण गड़बड़ा गया था। सवर्ण वोट तो एनडीए की ओर था ही, लेकिन वैश्य और स्वजातीय कुशवाहा वोट को एकजुट करने में पेंच ही पेंच नजर आ रहा था। ऐसे में उसी जाति से आने वाले पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने मोर्चा संभाला। 2020 के चुनाव में भी सम्राट चौधरी तारापुर के गांव-गांव घूमे थ। उस समय मेवालाल चौधरी प्रत्याशी थे। उनके आकस्मिक निधन के बाद ही यह सीट खाली हुई थी और इस बार जेडीयू ने राजीव कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया था।
कुशवाहा वोट के बिगड़ते समीकरण को देखते हुए सम्राट चौधरी तारापुर विधानसभा के गांव-गांव घूम गए। उन्हें रिपोर्ट मिली कि बैजलपुर, लौना समेत कई गांवों के वोटरों में एकजुटता नहीं है। इसके बाद वे अपनी पूरी टीम के साथ पहुंच गए। अपने स्वजातीय वोटरों को भी साधा। सबको एकजुट किया। वैश्य वोटरों के लिए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद, पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी समेत अनेक नेता चुनावी मैदान में कूद गए और कई गांवों में रोड शो किया. हवेली खड़गपुर, तारापुर, संग्रामपुर ही नहीं, टेटिया बंबर तक में रोड शो किया गया। टेटिया बंबर की यह स्थिति थी कि गली और अड्डे पर नेता एक-दूसरे से भेंटा जाते थे।
मामला तब फंस गया, जब तारापुर की राजनीति के भीष्म पितामह समझे जाने वाले शकुनी चौधरी ने मीडिया में कह दिया, ‘हमारे लिए तो दोनों ही उम्मीदवार बराबर हैं। राजीव सिंह और अरुण साह दोनों ही हमारे चेले हैं. जिसने अच्छी शिक्षा ली होगी, वह जीत जाएगा.’ इसे लेकर उनके समर्थक वोटर असमंजस में पड़ गए. लेकिन तब तक शकुनी चौधरी के बड़े बेटे रोहित चौधरी भी जेडीयू में शामिल हो गए थे। वे भी राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के साथ गांव-गांव घूम रहे थे। इससे असमंजस वाले वोटरों की उहापोह खत्म हुई। इसका असर रिजल्ट में दिखा भी। बहरहाल, तारापुर में वोटिंग परसेंटेज भले ही 50 परसेंट रही। लेकिन, कुशवाहा ने बढ़-चढ़ कर वोट किया, जबकि यादव वोट बैंक की सुस्ती पर कोई बोलना नहीं चाह रहा है। वहीं, वैश्य का एक बड़ा वर्ग आरजेडी के साथ जाते नहीं दिखा। यही वजह रही कि हवेली खड़गपुर और संग्रामपुर प्रखंड में वैश्यों की अच्छी आबादी के बाद भी जेडीयू लीड कर गया। कुशवाहा की हाइस्पीड वोटिंग की वजह से ही असरगंज में आरजेडी 3 हजार से कम का लीड ले सका। यह अलग बात है कि तारापुर प्रखंड के समीकरण में आंशिक उलटफेर हो गया. इसी की वजह से तारापुर की काउंटिंग वनडे क्रिकेट मैच की तरह अंत-अंत तक उठापटक चलता रही. 28वें राउंड के बाद निर्णायक बढ़त मिली और 29वें राउंड यानी अंतिम राउंड के बाद ही एनडीए के लोगों ने राहत की सांस ली.