PATNA (SMR) : बिहार के सियासी गलियारे में कल 27 जुलाई को उस समय हलचल मच गयी, जब आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के हनुमान (Hanuman of Lalu Yadav) कहे जाने वाले भोला यादव (Bhola Yadav) को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें सीबीआई ने आईआरसीटीसी मामले में गिरफ्तार किया है। इसके अलावा उनके आवास पर इनकम टैक्स की भी रेड पड़ी। इनकम टैक्स की रेड घंटों चली। रेड में क्या-कुछ निकला, यह तो बाद में पता चलेगा। लेकिन सीबीआई और इनकम टैक्स की कार्रवाई ने बिहार पॉलिटिक्स को गरमा दिया है। इसके बाद तो बीजेपी छोड़कर बाकी तमाम पार्टियों में सनसनी मच गई। खासकर एनडीए में शामिल जेडीयू जहां इस पर मौन है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी ने खुलकर लालू यादव का समर्थन किया है। बीजेपी अपना पुराना राग ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ का राग अलाप रहा है। वहीं, इस पर आरजेडी का गुस्साना तो लाजिमी है। लेकिन इससे इतर बिहार पॉलिटिक्स में पॉलिटिकल एक्सपर्ट के बीच यह सवाल जोरों पर है कि यह सब कहीं नीतीश कुमार को डराने के लिए तो नहीं किया गया है ? इसका पुख्ता दावा तो कोई नहीं कर रहा है, लेकिन कानाफूसी में इस सवाल की चर्चा जोरों पर है। बिहार के सियासी गलियारे से वरीय पत्रकार राजेश ठाकुर की पड़ताल करती रिपोर्ट। डिजिटल मीडिया ‘Live Cities’ से साभार। अब पढ़ें आगे की अक्षरशः पूरी रिपोर्ट। 

RJD के नेताओं में उस समय खलबली मच गयी। जब लालू यादव के हनुमान कहे जाने वाले भोला यादव को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। यह वही भोला यादव हैं जो लालू के साथ साया की तरह लगे रहते हैं। जब लालू यादव रेल मंत्री थे तब भोला यादव उनके ओएसडी के पद पर थे। नौकरी के बदले जमीन लेने से संबंधित केस को लेकर यह छापेमारी की गई थी। सीबीआई की चार टीमों ने राज्य में चार ठिकानों पर छापेमारी की। रेलवे भर्ती घोटाले में सीबीआई की टीम ने भोला यादव से पूछताछ की है। रिपोर्ट के अनुसार, भोला यादव के पटना और दरभंगा स्थित ठिकानों पर छापेमारी की गई। बता दें कि इसी मामले में दो माह पहले सीबीआई ने लालू परिवार के कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। तब पटना स्थित राबड़ी आवास और दिल्ली में मीसा भारती के घर समेत कई ठिकानों पर रेड हुई थी। बता दें कि हाल ही में सीबीआई ने भोला यादव से पूछताछ भी की थी और आज उन्हें गिरफ्तार कर लिया। आपको बता दें कि आइआरसीटीसी मामले में सीबीआई ने लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव के अलावा कुछ अधिकारियों के नाम हैं। आरोप हैं कि लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में ग्रुप डी पोस्ट पर लोगों को दी गई नौकरियों के बदले जमीन ली गई। जबकि, जांच में यह भी सामने आया कि रेलवे की ओर से उन पदों पर भर्ती के लिए किसी तरह का नोटिफिकेशन नहीं निकाला गया था। 

दरअसल, आइआरसीटीसी मामला काफी दिनों से ठंडे बस्ते में था। वहीं चारा घोटालों के सभी मामलों में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को जमानत मिल गयी है। अब उन्होंने धीरे-धीरे अपनी राजनीतिक गतिविधियां बढ़ा दी हैं। हालांकि पिछले दिनों लालू यादव काफी बीमार हो गए थे। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन कर उनका हालचाल लिया था। यहां तक कि वे जब पटना आए थे तो तेजस्वी से बता करने के दौरान भी वे लालू के बारे में पूछे थे। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो उन्हें देखने के लिए अस्पताल पहुंच गए थे। तब नीतीश कुमार ने यह भी कहा था कि ये हमारे पुराने मित्र हैं। इनसे यंग एज से ही हमारा संबंध है। दोनों की मुलाकात के फोटो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हुआ था। कुछ लोगों ने यहां तक लिख दिया था कि ये लोकतंत्र की सबसे सुंदर तस्वीर है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो यह सब बीजेपी को नागवार गुजरा था। इधर आइआरसीटीसी मामले में अचानक बढ़ते सीबीआई एक्शन को देख पॉलिटिकल एक्सपर्ट यह भी कहने लगे हैं कि एनडीए में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। खासकर जेडीयू और बीजेपी के बीच पॉलिटिकल खटपट इन दिनों काफी तेज है। और नीतीश कुमार को डराने के लिए ही संभव है कि यह रेड चल रही हो। 

नीतीश कुमार चूंकि बेदाग छवि के हैं। उन पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। वे परिवारवाद से काफी दूर हैं। और सियासी गलियारे में नीतीश कुमार विकास पुरुष और सुशासन बाबू के नाम से फेमस हैं। बिहार की जनता के बीच नीतीश कुमार की ईमानदार छवि है। ऐसे में चाहकर भी केंद्रीय सत्ता पार्टी नीतीश कुमार के खिलाफ जांच एजेंसियों को लगा नहीं पा रही है। दूसरी ओर, इन दिनों बीजेपी के साथ आए खटास के बाद जेडीयू की नजदीकियां तेजस्वी यादव के साथ बढ़ गई हैं। पिछले कुछ माहों में इस तरह के कई केसे सामने आए हैं। चाहे जातीय जनगणना की बात हो अथवा इफ्तार पार्टी की बात हो, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एक मंच पर नजर आए। कहा तो यह भी जाता है कि जब नीतीश कुमार, लालू यादव को देखने अस्पताल पहुंचे थे तो गार्जियन की तरह तेजस्वी यादव को उन्होंने चिंता नहीं करने का आश्वासन दिया था।  

ऐसे में भोला यादव की गिरफ्तारी के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का क्या रूख रहता है। फिलहाल, नीतीश कुमार कोरोना पॉजिटिव हैं। और वे कम से कम तीन-चार दिनों तक किसी से मिल नहीं सकते हैं। नीतीश कुमार का सोमवार को कोरोना टेस्ट हुआ था। मंगलवार को आयी रिपोर्ट में वे पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके बाद से वे होम आइसोलेशन में हैं। ऐसे में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिहार दौरे पर आने के दौरान उनकी नीतीश कुमार से मुलाकात की उम्मीद नहीं के बराबर है। बता दें कि जेपी नड्डा 30 जुलाई को और अमित शाह 31 जुलाई को पटना आ रहे हैं। अमित शाह का तो पटना में रोड शो का भी कार्यक्रम है। दोनों नेताओं का नीतीश कुमार से मिलने का भी प्रोग्राम था। लेेकिन, मुख्यमंत्री के कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से इस मुलाकात पर ग्रहण लग गया है। इसे लेकर भी बीजेपी में कुछ अधिक ही छटपटाहट देखने को मिल रही है। 

यदि पिछले कुछ माहों से देखें तो बीजेपी और जेडीयू में कुछ ज्यादा ही मुंहफुलौव्वल चल रहा है। विधानसभा स्पीकर विजय सिन्हा के साथ तो नीतीश कुमार का ‘हॉट टॉक’ तो पूरी तरह वायरल है। लेकिन, इधर तीन कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शामिल नहीं होना दोनों दलों में आए खटास को जगजाहिर कर दिया। दरअसल, हाल ही में अमित शाह की तिरंगा कार्यक्रम को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंस से मीटिंग थी। इसमें नीतीश कुमार को भी शामिल होना था, लेकिन वे शामिल नहीं हुए। इसके अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की फेयरवेल पार्टी में नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए। इसके बाद वे नयी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुए। कोरोना की वजह से लोगों को शपथग्रहण में शामिल नहीं होने की बात तो समझ में आ गई, लेकिन पहले के दो कार्यक्रमों ने बीजेपी की बेचैनी को बढ़ा दिया। बीजेपी के कार्यक्रमों में शामिल नहीं होने से ज्यादा नीतीश कुमार की आरजेडी से नजदीकियों को लेकर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व में छटपटाहट है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट मान रहे हैं कि जिस तरह पॉलिटिकल सिनेरियो बन रहा है, उससे लगता है कि इस मानसून के मौसम में कोई बड़ा सियासी तूफान आए तो कोई आश्चर्य नहीं। फिर यह सियासी वज्रपात किस पर गिरेगा, अभी से नहीं कहा जा सकता है। लेकिन, पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो इस बार बीजेपी और जेडीये के बीच मामला काफी गंभीर है। और जांच एजेंसियों के नाम पर डराने से भी काम नहीं चलने वाला है। बहरहाल, इस पर सबों की चुप्पी बनी हुई है और पॉलिटिकल एक्सपर्ट वेट एंड वाच की भूमिका में हैं। साथ ही उनकी नजर जेपी नड्डा और अमित शाह के पटना दौरे पर भी टिकी हुई है।

Previous articleMukhiya Views : पटाखे के नाम पर कब तक दहलता रहेगा बिहार, इन मौतों का हिसाब कौन देगा?
Next articleMukhiya Views : BJP बिहार में ताकत दिखाने को तैयार, 200 विस क्षेत्रों में पहुंचने का यह है मेगा प्लान

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here