Mukhiya Views : BJP बिहार में ताकत दिखाने को तैयार, 200 विस क्षेत्रों में पहुंचने का यह है मेगा प्लान

PATNA (APP) : बिहार में बीजेपी लगातार अपने सियासी ‘खेल’ में लगी हुई है। अपने हिडेन एजेंडों पर लगातार वह काम कर रही है और इस दिशा में आगे बढ़ रही है। इससे किसी को इनकार भी नहीं है। इसी कड़ी में अब बीजेपी का बिहार में सियासी मेगा शो होने वाला है। इसका काउंट डाउन शुरू हो गया है। बड़े-बड़े नेता पहुंच गए हैं। पिटना में आयोजित होने वाले दो दिनों के इस मेगा इवेंट में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहेंगे। अमित शाह भी राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर रह चुके हैं। जेपी नड्डा के पहले इस कुर्सी पर अमित शाह ही काबिज थे। पूर्व और वर्तमान दोनों राष्ट्रीय अध्यक्ष के पहुंचने को लेकर बीजेपी की पूरी बिहार इकाई काफी उत्साहित है। पटना को पार्टी के झंडों से पाट दिया गया है। सड़क-पुल सब पर पार्टी के झंडे लहरा रहे हैं। पटना में रोड शो भी होने वाला है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमाी है कि क्या बीजेपी बिहार में चुनावी शंखनाद करने जा रही है? यह शंखनाद 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर है या फिर 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर ? ऐसे ही सवाल यहां के सियासी गलियारे में तैर भी रहे हैं। इसके साथ ही लोगों के बीच यह भी कानाफूसी चल रही है कि आखिर बीजेपी बिहार में किसे अपना ताकत दिखा रही है। इसकी जरूरत क्यों पड़ी ? और इसके पीछे पार्टी का मेगा प्लान क्या है  ? 

रअसल, बीजेपी पटना में आयोजित इस कार्यक्रम से पूरे बिहार को कनेक्ट करेगी। खासकर उनका लक्ष्य सूबे के 200 विधानसभा क्षेत्रों में अपनी मजबूत पकड़ बनाने को है। इसी को लेकर पॉलिटिकल एक्सपर्ट लोकसभा चुनाव 2024 से ज्यादा इसे विधानसभा चुनाव 2025 का शंखनाद मान रहे हैं। क्योंकि, मिल रही जानकारी के अनुसार, इस मेगा इवेंट के पीछे मेगा प्लान के रूप में बीजेपी 200 विधानसभा क्षेत्रों पर फोकस कर रही है। इस कार्यक्रम से पहले बीजेपी के नेताओं ने गांवों में प्रवास किया है। वे दो दिनों यानी 28 और 29 जुलाई को गांवों में भोजन के साथ रात्रि विश्राम किया। 30 जुलाई को वे गांवों से पटना पहुंचेंगे और उन चिह्नित विधानसभा क्षेत्र के गांवों के बारे में केंद्रीय नेतृत्व के साथ ही वरीय नेताओं को फीडबैक देंगे। सामुदायिक गोलबंदी के तहत उन 200 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी आगामी चुनावों में अपनी ताकत दिखाए। इस दौरान बीजेपी नेताओं ने बिहार में रह रहे दूसरे प्रदेश के लोगों से बात की। उनके साथ सामूदायिक बैठक भी की। उन्हें नरेंद्र मोदी की सरकार और बिहार में बीजेपी के बढ़ते कद को लेकर मोटिवेट किया। इतना ही नहीं, इस दौरान बीजेपी नेता विधानसभा के एक प्रमुख कार्यकर्ता के यहां रुके और उनके यहां भोजन भी किया। इस कार्यक्रम में लगभग 750 पदाधिकारी डेलिगेट्स के रूप में शामिल हुए। 

पटना में बीजेपी के दो दिवसीय कार्यक्रम को लेकर मेन गेट पर लगाए गए बड़े नेताओं के होर्डिंग

बीजेपी के इस मेगा शो के बिहार में आयोजन का महत्व इस बात से भी बढ़ जाता है कि कार्यक्रम की मॉनिटरिंग और उस पर गंभीरता से नजर रखने के लिए बीजपी के कई अन्य राष्ट्रीय नेता भी पटना पहुंच चुके हैं। पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी मानते हैं कि बिहार में इस प्रोग्राम को करने के पीछे का एक ही लक्ष्य था कि नेताओं व कार्यकर्ताओं को आगामी चुनाव के लिए तैयार पूरी तरह करना। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बीजेपी को बिहार के 200 विधानसभा क्षेत्रों में सियासी ताकत दिखाने की क्या जरूरत पड़ गयी ? और यह ताकत वह किसे दिखाने चाह रही है ? पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो बिहार में अभी बीजेपी का जेडीयू से जबर्दस्त खटपट चल रही है। भले ही इस बाबत अधिकृत रूप से कोई कुछ नहीं बोल रहा है, लेकिन किसी सियासी तूफान के पहले की इसे ‘शांति’ समझी जा रही है। यह भी चर्चा होते रहती है कि किसी भी दिन बीजेपी को कोई बड़ा गेम कर सकती है. या फिर अकेले ही 2025 में चुनाव लड़ने की नौबत आयी तो फिर 200 विधानसभा क्षेत्रों में आज की यह तैयारी उस समय काम आएगी। ऐसे में इस मेगा शो को बीजेपी की दूरगामी तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। 

बीजेपी के चुनाव चिह्न से पटा ज्ञान भवन

दरअसल, यूपी में योगी सरकार आने के बाद से ही बीजेपी को लग रहा है कि बिहार में वह ठगा गयी है। यहां उसके सबसे अधिक विधायक रहने के बाद भी उसका अपना मुख्यमंत्री नहीं है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो बीजेपी इसी सोच को लेकर लगातार वैसे-वैसे एजेंडों को उठा रही है, जिससे जेडीयू कभी समझौता नहीं कर सकता है। इसके संकेत कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी दिए हैं और बाकी के वरीय नेता भी देते आ रहे हैं। जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने तो कई बार इसे लेकर बीजेपी को साफ-साफ सुना दिया है कि बीजेपी के कुछ एजेंडों से जेडीयू इत्तेफाक नहीं रखती हैl ताजा मामला सीमांचल का है बीजेपी वहां के स्कूलों में शुक्रवार को ही रही साप्ताहिक अवकाश का मुद्दा बनाया है। इसे लेकर बयानबाजी भी तेज हो गयी है। इसके पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल बिहार की शिक्षा व्यवस्था से लेकर यहां की कानून व्यवस्था पर अपनी भड़ास निकाल चुके हैं। इसके अलावा बीजेपी नेता कभी अजान तो कभी खुले में नमाज से लेकर जनसंख्या नियंत्रण कानून के मुद्दे उछालते रहते हैं, जिस पर दोनों दलों के बीच बयानबाजी भी तेज हो जाती है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो बीजेपी के कई एजेंडों पर तो नीतीश कुमार खासे नाराज हैं। 

कार्यक्रम की तैयारी का जायजा लेते प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल।

सूत्रों की मानें तो 2020 के विधानसभा चुनाव में NDA में सबसे ज्यादा सीटें प्राप्त कर उभरी बीजेपी अब 2025 के चुनाव में अपने नंबर गेम को और ज्यादा बढ़ाना चाहती है। बीजेपी के पास अभी 77 विधायक हैं। इनमें से 74 चुनाव के समय जीते थे, जबकि मुकेश सहनी की पार्टी (VIP) के तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे। कहा जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व ने महसूस किया है कि बिहार में जातीय समीकरण को बैलेंस कर ही उसकी पार्टी ऐसा कर सकती है और अपने दम पर बिहार में कब्जा जमा सकती है। खासकर बोचहां उपचुनाव में बीजेपी को मिली करारी हार से पार्टी के वरीय नेता अब तक असहज हैं। यही वजह रही कि एमएलसी चुनाव में भी इसका असर देखा गया। पार्टी के वरीय नेता कितना असहज हैं, आपको राज्यसभा सांसद व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के दो माह पहले आए ट्वीट से भी पता चल गया होगा। जब उन्होंने खुले मन से स्वीकार किया था कि उनकी पार्टी से सवर्ण समेत कुछ पिछड़े तबकों के वोट छिटक गए हैं और इस पर केंद्रीय नेतृत्व को विचार करने की जरूरत है। अब पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी nमान रहे हैं कि बिहार में बीजेपी जो सियासी ताकत दिखाने का मेगा प्लान किया है, वह उसी का अगला कदम है। ऐसे में अब जेडीयू इसे किस रूप में लेता है। अभी तो नहीं कहा जा सकता है, लेकिन आने वाले एक पखवारे या कुछ दिनों में ही देखने को मिल जाएगा। ऐसे में हमारे साथ पॉलिटिकल एक्सपर्ट को भी बीजेपी के मेगा इवेंट के आयोजन का इंतजार है और इसका काउंट डाउन शुरू हो चुका है। बिहार के चिह्नित किये गये 200 विधानसभा क्षेत्रों में एक कार्यकर्ता के यहां भोजन और रात्रि विश्राम के बाद बीजेपी के नेता पटना आने के लिए निकल चुके हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी के इस कार्यक्रम का लोगों पर कितना असर पड़ा। वहीं पॉलिटिकल एक्सपर्ट इस पर भी नजर बनाए हुए हैं कि बीजेपी के इस मेगा प्लान को कहीं जेडीयू पानी न फेर दे। 

बहरहाल, आपको यह भी बता दें कि आखिर बीजेपी का पटना में क्या कार्यक्रम है और इसकी तैयारी कैसी है ? दरअसल, बीजेपी पटना में 30 और 31 जुलाई को राष्ट्रीय मोर्चा की संयुक्त कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक होने जा रही है। इस बैठक को पार्टी मेगा इवेंट का रूप दे रही है। बीजेपी ने प्रयोग के तौर पर पहली बार सभी 7 मोर्चों को इसमें शामिल किया है। इसमें पहले दिन के कार्यक्रम में 30 जुलाई को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल होंगे। वहीं 31 जुलाई को गृह मंत्री और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मौजूद रहेंगे। वे दोनों कार्यक्रम को संबोधित भी करेंगे। पटना के ज्ञान भवन में इस दौरान अमित शाह की मौजूदगी में पार्टी के सभी नेता रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को सुनेंगे। संभव है कि बिहार के इस मेगा इवेंट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कुछ राजनीतिक संकेत दें। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी चुनावों को लेकर वे कुछ ऐसी बातों को रख सकते हैं, जो सीधे बिहार से कनेक्ट करते हों। मन की बात को सुनने के लिए जेपी नड्डा भी रहेंगे। इतना ही नहीं, बिहार में बीजेपी के नवनिर्मित 16 जिला कार्यालय का उद्घाटन और 7 जिलों में कार्यालयों का शिलान्यास भी होगा। बता दें कि बिहार में लगभग 12 साल के बाद बीजेपी का इस तरह का कोई बड़ा राष्ट्रीय कार्यक्रम हो रहा है। 

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