PATNA (APP) : जेडीयू में मुख्यमंत्री पद की नो वैकेंसी है। जब तक नीतीश कुमार हैं, यह पद खाली नहीं है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने खुलकर सुना दिया है। उन्होंने यह बात तब कही, जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पटना में ही थे। बात कर रहे हैं 30 जुलाई की। उस दिन नड्डा पटना में रोड शो के बहाने शक्ति प्रदर्शन प्रदर्शन कर रहे थे। वे बीजेपी के सभी मोर्चों की बैठक में पार्टी के सिद्धांत का राग अलाप रहे थे। हालांकि, ललन सिंह ने यह बात जेडीयू के ही पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के नाम पर बोल रहे थे। लेकिन पॉलिटिकल एक्सपर्ट इसे कई चश्मों से देख रहे हैं। वे खुद से सवाल भी दाग रहे हैं कि आखिर ललन सिंह किसे सुना रहे थे। वे आरसीपी सिंह को सुना रहे थे। या आरसीपी के नाम पर देश भर के उन बीजेपी नेताओं को सुना रहे थे, जो पटना में थे। अथवा, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को सुना रहे थे। आखिर ललन सिंह किसे सुना रहे थे? पॉलिटिकल एक्सपर्ट इसका जवाब खुद ही टटोल रहे हैं कि ललन सिंह कहीं एक तीर से दो जगहों पर निशाना तो नहीं लगा रहे थे।
ललन सिंह यहीं पर चुप नहीं हुए। उन्होंने आरसीपी सिंह पर कई धमाके भी किए। दरअसल, इन दिनों यह नारा सियासी गलियारे में छाया हुआ है कि ‘बिहार का सीएम कैसा हो, आरसीपी सिंह जैसा हो… बिहार का सीएम कैसा हो, रामचंद्र बाबू जैसा हो।’ यह नारा पिछले दिनों आरसीपी के स्वागत में तब लगा, जब वे जहानाबाद में आयोजित एक श्राद्ध कार्यक्रम में गए हुए थे। तब आरसीपी सिंह ने यह भी कहा था कि आज हम राजनीति करने नहीं आए हैं। जब राजनीति करने आएंगे, तब राजनीति पर खुलकर बात करेंगे। हालांकि, आरसीपी सिंह उस समय भड़क गए, जब मीडिया ने उन्हें बताया कि आप और नीतीश कुमार एक ही जिले के हैं। तब आरसीपी सिंह ने कहा था, ‘नालंदा मेरा जन्म स्थान है, लेकिन नीतीश कुमार का जन्म स्थान नालंदा नहीं, बल्कि बख्तियापुर है। नीतीश कुमार का पैतृक घर नालंदा हो सकता है, लेकिन जन्म स्थान नहीं। ‘ और जब सीएम वाला नारा लग रहा था, तब इन नारों को सुनकर आरसीपी सिंह मुस्कुरा रहे थे।
अब यह संयोग देखिए कि उसी कार्यक्रम में शनिवार 30 जुलाई को शोक संवेदना प्रकट करने ललन सिंह जहानाबाद गए थे। इस बार पत्रकारों ने ललन सिंह से सवाल किए। इसी पर ललन सिंह ने जेडीयू में मुख्यमंत्री पद की नो वैकेंसी की बात कही। उन्होंने आरसीपी सिंह पर तगड़े से सुना दिया कि बिहार में करोड़ों की आबादी है। यदि दस-बीस आदमी किसी के लिए कुछ बोल दिया तो उस पर बात करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि नारे लगाने वाले लोग जेडीयू के कार्यकर्ता नहीं हो सकते हैं।
यहां तक तो ठीक है। लेकिन, जब उनसे यह पूछा गया कि बीजेपी बिहार में शक्ति प्रदर्शन कर रही है। वह बिहार में 200 सीटों पर अपनी ताकत दिखा रही है। इसी पर ललन सिंह ने अच्छे से बीजेपी को भी सुना दिया। उन्होंने कहा- ‘200 सीट क्या, उसे 243 सीट पर तैयारी करनी चाहिए। हर दल को अधिकार है तैयारी करने का। 200 सीट पर क्यों कर रहे हैं?’ जेपी नड्डा से मुलाकात करने वाली बात पर भी वे बचते हुए कहे कि दिल्ली में तो मुलाकात तो होती ही रहती है, फिर पटना में मुलाकात की क्या जरूरत है।
ललन सिंह के इसी जवाब पर पॉलिटिकल एक्सपर्ट अब मंथन कर रहे हैं। दरअसल, बीजेपी का बिहार में चार दिनों से शक्ति प्रदर्शन चल रहा है। दो दिनों तक पार्टी ने 200 विधानसभा क्षेत्रों में अपनी ताकत दिखायी, जबकि कल 30 जुलाई से पटना में शक्ति प्रदर्शन चल रहा है। कल नड्डा ने पटना में रोड शो किया। पांच मिनट का यह सफर तय करने में लगभग डेढ़ से दो घंटे लगे। रथ पर फूलों की बारिश होती रही। खास बात कि जेपी नड्डा ने कल कई जगहों पर संबोधित किया। यहां तक कि नीतीश सरकार में शामिल बीजेपी कोटे से बने तमाम मंत्रियों के साथ मंत्रणा की। मीडिया को भी संबोधित किया, लेकिन इस दौरान जेपी नड्डा ने कल के अपने भाषण या संबोधन में एक बार भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया। आज रविवार 31 जुलाई को गृहमंत्री अमित शाह पटना पहुंचे। वे रात लगभग 10 बजे तक रहे। उसके बाद दिल्ली लौट गए। दोपहर में पटना एयरपोर्ट पर अमित शाह का बीजेपी नेताओं ने शाही अंदाज में स्वागत किया। पटना एयरपोर्ट पर अमित शाह के लिए फूलों की चादर बिछायी गयी थी। इससे बीजेपी नेताओं के उत्साह का अंदाजा लगा सकते हैं।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी मानते हैं कि बीजेपी तो आर-पार की लड़ाई के मूड में लगभग आ गयी है, लेकिन उसे इस बात का हमेशा डर बना रहता है कि जेडीयू फिर से आरजेडी के साथ जा सकता है। ऐसे में बीजेपी को खामियाजा उठाना पड़ेगा। सवाल यह भी उठता है कि बीजेपी आखिर चाहती क्या है और जेडीयू से अलग होकर उसका भविष्य क्या है? बीजेपी बिहार में अपने पांव फैलाने में जरूर लगी है, लेकिन उसे पता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वोटों के बगैर आगामी लोकसभा चुनाव में उसे मुश्किल से गुजरना होगा। बिहार में बीजेपी के कथित सवर्ण वोटर केवल 11 परसेंट ही हैं, इसलिए उसके लिए नीतीश कुमार के वोट बैंक का साथ जरूरी है। यह किसी से छिपी नहीं है कि नीतीश कुमार की छवि आज भी बिहार में सुशासन बाबू की है। नीतीश कुमार के वोट केवल पिछड़ों में ही नहीं हैं, बल्कि उन्हें सवर्ण भी काफी पसंद करते हैं। उनके खिलाफ न तो कोई भ्रष्टाचार का मामला है और न ही परिवारवाद का मामला है। नीतीश कुमार हमेशा सिद्धांत की लड़ाई रहते हैं और सिद्धांत से कोई समझौता नहीं करते हैं। उनकी बीजेपी हो या आरजेडी, दोनों से सिद्धांत की ही लड़ाई है, दोनों से वैचारिक लड़ाई है। और, पिछले कुछ माह से जेडीयू की बीजेपी के साथ वैचारिक लडाई चरम पर है।
दरअसल, बीजेपी सरकार में रहते हुए भी अपने सहयोगी जेडीयू को असहज करने वाले मुद्दों व प्रसंगों को सार्वजनिक रूप से उठाने से परहेज नहीं कर रही है। वहीं जेडीयू भी जवाब देने में पीछे नहीं रहता है। हर मुद्दा पर जेडीयू की ओर से बीजेपी को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। ताजा मामला मुस्लिम स्कूलों में शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश का है। इसका बीजेपी विरोध कर रही है। इस पर जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सुना दिया है कि बीजेपी को केवल मुद्दा बनाना आता है, जबकि संस्कृत यूनिवर्सिटी में पहले से ही प्रतिपदा और अष्टमी को अवकाश मिलता रहा है। ऐसे में बीजेपी व जेडीयू नेताओं के सबकुछ ठीक होने के दावों के बीच गठबंधन में वैचारिक दरार स्पष्ट दिखती रही है। जेडीयू के बड़े नेताओं ने बीजेपी को साफ सुना दिया है कि पार्टी अपने मूल सिद्धांतों से कभी पीछे नहीं हटेगी, तो कल के संबोधन में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी कह दिया है कि बीजेपी अपने एजेंडों से कभी भी पीछे नहीं लौटेगी। इसी एजेंडों की बदौलत बीजेपी आज दो सीटों से यहां तक पहुंची है। आज बीजेपी की केंद्र में भी सरकार है और लगभग 18 राज्यों में भी सत्ता है। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी के शक्ति प्रदर्शन के बाद अब बिहार की सियासत में आगे क्या…. ? इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।