UPSC 2022 : बिहार की बेटियों का यूपीएससी में परचम, फर्स्ट टॉपर इशिता तो सेकंड गरिमा, टॉप-10 में 3 बिहारी

DELHI / PATNA (APP) : यूपीएससी 2022 (UPSC 2022) का रिजल्ट आते ही एक बार फिर बिहार सुर्खियों में आ गया। यहां की प्रतिभाएं निखर कर सामने आयीं। यहां की मेधाशक्ति का लोहा फिर से लोग मानने लगे। चारों तरफ बिहार की चर्चा होने लगी। दरअसल, बिहार ने एक बार फिर यूपीएससी में अपना परचम लहराया। यहां की बेटियों ने अपने झंडे बुलंद किए। यूपीएससी 2022 में टॉप-10 में तीन बिहारियों ने कब्जा जमाया। इनमें से पहले दो स्थानों पर बिहार की बेटियां ही रहीं। फर्स्ट टॉपर इशिता किशोर (Ishita Kishore) बनीं तो सेकंड टॉपर गरिमा लोहिया (Garima Lohia) रहीं। वहीं 10वें स्थान पर मुजफ्फरपुर के राहुल श्रीवास्तव (Rahul Shrivastava) रहे। खास बात कि सबलोग बक्सर की गरिमा लोहिया को बधाई दे रहे थे​। बाद में पता चला कि फर्स्ट टॉपर इशिता किशोर भी बिहार की ही हैं। लेकिन, दुर्भाग्य तो यह भी रहा कि इशिता की जाति को लेकर दावे पर दावे किये जा रहे थे और उन्हें लोग भूमिहार, दलित से लेकर यादव तक बता दिया था। बाद में चला कि वह कायस्थ जाति से आती हैं।

आइएएस टॉपर इशिता किशोर के बारे में पटना सिटी के वरीय पत्रकार अनिल कुमार अपने सोशल प्लेटफॉर्म पर लिखते हैं कि इशिता किशोर का पटना सिटी में पुश्तैनी घर है और वहां दरवाजे पर अभी भी उनके पिता और दादा के नाम का बोर्ड लगा हुआ है। वे लिखते हैं कि रिजल्ट आने के बाद उसी दिन दोपहर 3:30 बजे पटना सिटी के सीनियर फोटो जर्नलिस्ट सचिन का फोन आया- ‘भैया यूपीएससी टॉपर पटना सिटी की ही हैं। मेरे मन में भी खुशी ठिकाना नहीं रहा। मेहनत व लगन से एक बेटी ने वो कर दिखाया, जो हजारों-लाखों का सपना होता है। वह देश की अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणा बन गईं। बेटी किसी की हो देश के किसी कोने में नाम करती है तो उससे पिता, सगे-संबंधी, मोहल्ला, जिला, राज्य का नाम होता है।

वे आगे लिखते हैं, ‘जानकारी होते ही मैं बेचैन हो उस सफल बेटी के घर खोजने लगा। चार घंटे भटकने के बाद जानकारी मिली कि इशिता का घर चौक थाना क्षेत्र के लोदीकटरा पुलिस चौकी के पास हरनाहा टोला में है। सभी मीडियावाले खबर के लिए भटक रहे थे। मैं उस गली में जब रात आठ बजे पहुंचा तो किसी को जानकारी ही नहीं थी कि इसी गली की बेटी यूपीएससी में टाप की है। मैंने दरवाजा खटखटा टॉपर की छोटी दादी प्रतिमा देवी को जानकारी दी तो वे फूले नहीं समायी। गली में रहनेवाले सभी खुशी इजहार करने लगे। आइएएस टॉपर इशिता किशोर का भले ही पटना सिटी में जन्म नहीं हुआ हो, लेकिन उसके घर के बाहर विंग कमांडर पिता स्वर्गीय संजय किशोर तथा दादा सेवानिवृत चीफ टेलकाम सुपरवाइजर स्वर्गीय नवल किशोर प्रसाद के नाम का लगा बोर्ड इस बात के गवाह है कि उसका पुश्तैनी घर सिटी और रिश्ता पटना सिटी से जुड़ा है।’ बता दें कि इशिता और गरिमा दोनों ही दिल्ली विश्वविद्यालय की पासआउट हैं।

अब बात करते हैं बिहार की सेकंड टॉपर गरिमा लोहिया की। इशिता की तरह गरिमा भी डीयू से ही पढ़ाई की हैं। लेकिन ये आज भी बक्सर में ही रहती हैं तथा कोरोना के बाद से ही दिल्ली छोड़कर बक्सर आ गयी थीं। बक्सर के वुडस्टॉक स्कूल से मैट्रिक पास करने के बाद वह पढ़ने के लिए बनारस और फिर दिल्ली चली गयी थीं। दिल्ली के किरोड़ीमल महाविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री ली। गरिमा ने बाद में मीडिया को बताया कि उन्होंने इस सफलता का श्रेय अपनी मां को देते हुए कहा कि उसी से प्रेरणा मिली। उनके पिता का निधन 2015 में दिल का दौरा पड़ने से हो गया था और उन्होंने अपने तीनों बच्चों को संभाला। गरिमा का छोटा भाई अभी बनारस में रहकर बीबीए कर रहा है। यूपीएससी की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को संदेश देने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हो सकता है कि प्रारंभिक दौर में असफलता मिले, लेकिन असफलता से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि फिर से पूरी ताकत से प्रयास करना चाहिए। सफलता जरूर मिलेगी। वह यह भी कहती हैं कि उन्होंने कभी प्रॉपर कोचिंग नहीं ली। वे यूट्यूब तथा अन्य मेटेरियल्स से ही तैयारी करती रहीं।

मूलरूप से मुजफ्फरपुर निवासी राहुल श्रीवास्तव को 10वां स्थान आया है। उनका पटना के गर्दनीबाग में भी घर है। राहुल ने चौथे एटेम्पट में यूपीएससी को क्रैक किया। उन्होंने भी मीडिया को बताया कि इसके लिए उन्होंने भी कोई कोचिंग नहीं की। सेल्फ स्टडी और ऑनलाइन वीडियो देखकर उन्होंने इसे क्रैक किया और ये रैंक हासिल किया। उन्होंने कोचिंग बस टेस्ट सीरीज के लिए ही इस्तेमाल किया था। राहुल ने 10वीं की पढ़ाई पटना के संत कैरेंस स्कूल से की। फिर उन्होंने अपनी 12वीं डीएवी बीएसईबी, पटना से दी। उनके पिता बसंत कुमार कैनरा बैंक के एक रिटायर्ड अधिकारी हैं, वहीं मां मधुबाला सहाय एक गृहिणी हैं। उनकी एक बड़ी बहन हैं जो यूएसए में रहती हैं।

क्या कहते हैं बिहार के टॉपर्स
मैं बहुत खुश हूं। मेरा सपना साकार हुआ है। मैं अपने परिवार की आभारी हूं। दो बार विफल रहने के बाद उन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया। यह मेरे कठिन परिश्रम का परिणाम है। मैंने उत्तर प्रदेश कैडर को अपनी प्राथमिकता में रखा है : इशिता किशोर, फर्स्ट टॉपर

छोटे शहरों के लोगों के भी ख्वाब बड़े होते हैं। इंटरनेट के जमाने में गरीब और धनी, छोटे और बड़े शहरों का फासला कम हुआ है। मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा मेरी मां हैं। पहली बार असफल रहने पर उन्होंने मेरा भरोसा बढ़ाया। वह चाहती थीं कि मैं आइएएस अफसर बनूं। मैं चाहूंगी कि मुझे बिहार कैडर ही मिले। मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि समाज से जो कुछ हासिल किया, उसे लौटा सकूं : गरिमा लोहिया, सेकंड टॉपर

मैं इससे काफी खुश हूं। यूपीएससी में सफलता के लिए रिवीजन बहुत जरूरी है। उसी से एग्जाम क्लियर होता है। ऐसे में स्टूडेंट्स को इन सब चीजों पर जरूर ध्यान दें। मेरा मकसद यही है कि जो भी सर्विस हमें मिलगी, हम उसमें अपना बेस्ट देंगे और देश की सेवा करेंगे : राहुल श्रीवास्तव, 10वां टॉपर

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