बिहार केे छोटे से गांव से आती है ज्‍योति, ट्रंप की बेटी इवांका हुई मुरीद; मिलने लगे हैं ऑफर

PATNA (MR)। बिहार की बिटिया। जिला दरभंगा। गांव कमतौल। नाम ज्योति कुमारी। उम्र 15 साल। पिता मोहन पासवान ऑटो ड्राइवर। मां फूलो देवी आंगनबाड़ी सेविका। छोटे से गांव सिरहुल्ली से आने वाली यह बिटिया ब्रांड बिहार बनने की ओर अग्रेसर है। इसकी पूरा देश सराहना कर रहा है। अब तो सात समंदर पार से भी प्रशंसा होने लगी है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने ट्वीट कर इसे प्रोत्साहित किया है। साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से ऑफर मिला है। इससे ज्योति काफी खुश है। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव इसकी सहनशीलता के लिए एक लाख रुपये की मदद की है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की बेटी इंवाका ने ट्वीट कर ज्योति की प्रशंसा की है।

दरअसल, दरभंगा के कमतौल की रहने वाली ज्योति अचानक मीडिया की नजरों में तब आयी, जब वह गुरुग्राम से अपने पिता मोहन पासवान को साइकिल पर बिठाकर बिहार के लिए निकल पड़ी। 1200 किलोमीटर की दूरी उसने सात दिनों में तय की। रास्ते में बीमार पिता की देखभाल भी करती रहीं और सकुशल अपने गांव पहुंच गयी। उसके पिता मोहन पासवान अभी भी क्वारंटाइन में हैं। बेटी समेत पूरे गांव को उनके घर पहुुंचने का इंतजार है।

ज्योति को साइकलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से मिले ऑफर के बाद उसकी रोशनी सात समंदर पार पहुंच गयी है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की बेटी इंवाका ने ट्वीट कर ज्योति की प्रशंसा की है। उन्होंने ट्विटर पर ज्योति का फोटो भी शेयर किया है। फोटो में वह अपने पिता को साइकिल पर बिठाकर ले जा रही है। इंवाका ने ट्वीट में लिखा है कि 15 साल की ज्योति ने अपने जख्मी पिता को साइकिल से सात दिनों में 1200 किमी दूरी तय करके अपने गांव ले गयी। उसकी सहनशक्ति और प्यार की इस वीरगाथा ने इंडियन्स और साइकलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया को आकर्षित किया है।

आठवीं की पढ़ाई बीच में ही छोड़ चुकी है, लेकिन कोरोना संकट और लॉकडाउन ने उसकी जिंदगी चमका दी।

कमतौल के सिरहुल्ली गांव के रहने वाले मोहन पासवान की बेटी ज्योति पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर है तथा घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण आठवीं की पढ़ाई बीच में ही छोड़ चुकी है, लेकिन कोरोना संकट और लॉकडाउन ने उसकी जिंदगी चमका दी। वहीं, साइकलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से फोन आने के बाद से वह खुशी से फूले नहीं समा रही है। ज्योति के अनुसार उसने साइकिलिंग के बारे में तो कभी सोचा ही नहीं था। अब वह रात-दिन मेहनत कर नाम रोशन करेगी। साइकिलिंग के जरिए अपना ड्रीम पूरा करेगी। आंगनबाड़ी में कार्यरत मां फूलो देवी कहती हैं कि बेटी ने हौसला बढ़ाया है। अब अच्छे दिन आने वाले हैं।

गौरतलब है कि ज्योति के पिता मोहन पासवान गुरुग्राम में रिक्शा चलाते थे। इसी साल जनवरी में वे बीमार पड़ गये। तब दरभंगा से ज्योति अपनी मां और बहनोई के साथ पिता को देखने के लिए गुरुग्राम गयी। बीच में मां अपने दामाद के साथ लौट आयी, जबकि ज्योति वहीं रह गयी। बीच में कोरोना व लॉकडाउन ने मुसीबत खड़ी कर दी। रोजी रोजगार बंद हो गए। भोजन पर भी आफत हो गयी।

तब ज्योति ने साइकिल से घर लौटने की ठानी। 1200 किलोमीटर की दूरी देख पिता ने मना किया, लेकिन उसने नहीं मानी। पिता ने किसी तरह पैसे का जुगाड़ कर साइकिल खरीद दी। इसके बाद 10 मई की रात गुरुग्राम से बिहार के लिए निकली। सात दिनों बाद घर पहुंच गई। उसे प्रोत्साहित करने के लिए यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने एक लाख रुपये से मदद की। वहीं बिहार में जाप प्रमुख पप्पू यादव ने 20 हजार रुपये की सहायता राशि दी है।

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