पटना। महाराष्ट्र मेें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का मामला फंसा हुआ था। उनका एमएलसी का कार्यकाल छह मई को खत्म होने वाला था। निर्वाचन आयोग से चुनाव की अनुमति नहीं मिल रही थी। चिंता बढ़ती जा रही थी कि यदि अनुमति नहीं मिली तो क्या होगा! सवाल उठने लगे थे कि क्या मुख्यमंत्री की कुर्सी जाएगी! उद्धव ने राज्यपाल से गुहार लगायी, इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया। इसका असर हुआ। निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र में विधान परिषद के चुनाव की अनुमति दे दी। इससे अब बिहार विधान परिषद के चुनाव को लेकर भी उम्मीद जगी है।
दरअसल, बिहार में भी विधान परिषद की नौ सीटें खाली हो रही हैं। उनका कार्यकाल भी महाराष्ट्र की तरह छह मई को समाप्त हो रहा है। इससे वे सीटें खाली हो जाएंगी। इन सीटों पर वर्तमान में अशोक चौधरी, हारुण रशीद, पीके शाही, सतीश कुमार, सोनेलाल मेहता एवं हीरा प्रसाद बिंद जदयू कोटे से विधान पार्षद हैं, जबकि राधामोहन शर्मा, कृष्ण कुमार सिंह एवं संजय मयूख भाजपा कोटे से हैं। हालांकि महाराष्ट्र में विधान परिषद के चुनाव की अनुमति देने के दौरान निर्वाचन आयोग ने कहा है कि अन्य स्थगित चुनावों के बारे में वह अगले सप्ताह विचार करेगा।
गौरतलब है कि कोरोना संकट को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। इसे दो बार अवधि विस्तार भी दिया गया है। लॉकडाउन 25 मार्च से जारी है और दूसरे विस्तार में इसे 17 मई तक बढ़ाया गया है। बिहार में केंद्र से दो दिन पहले यानी 23 मार्च से ही लॉकडाउन लागू है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर 22 मार्च को जनता कर्फ्यू हुआ था। लॉकडाउन को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने तीन अप्रैल को ही विधान परिषद चुनावों को स्थगित करने की घोषणा की थी। उसने दो अलग-अलग आदेशों के माध्यम से चुनावों को स्थगित किया था। पहले आदेश में विधायकों के वोट से भरी जाने वाली बिहार विधान परिषद की सीटों का मतदान स्थगित किया गया, जबकि दूसरे आदेश में बिहार शिक्षक एवं स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों के मतदान को कैंसिल किया गया था।