PATNA (MR) : नाट्य संसार में रंगकर्मी मनीष महिवाल किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनका अभिनय की जितनी तारीफ की जाए, वह कम है। वहीं नाटक की कहानी सशक्त हो तो फिर क्या कहना। अभिनय और स्क्रिप्ट का कुछ ऐसा ही संगम देखने को मिला नाटक कातिल खेत। नाम से इस संशय में नहीं पड़ना है कि खेत में किसी का कत्ल हुआ होगा, बल्कि नाटक के जरिए आज की झटपट फसल उगाओ व्यवस्था पर चोट की गयी है। इसके माध्यम से किसानों के साथ ही लोगों को भी जागरूक किया गया है।

दरअसल, सीतामढ़ी रंग महोत्सव में आज गुरुवार को जिले के सप्पी स्थित गम्हरिया में लोक पंच की ओर से किसानों के जीवन पर आधारित नाटक कातिल खेत का मंचन किया गया। इस नाटक में खेती और किसान पर लालच के कारण आए संकट को बड़ी ही खूबसूरती के साथ दिखाया गया। ज्यादा और बेहतर फसल की चाहत में आज देश भर में किसान रासायनिक खादों और कीटनाशक का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। रासायनिक खाद खेतों को बंजर बना रही है तो कीटनाशक अनाज को जहरीला।

इसमें यह भी बताया गया कि रासायनिक खादों और कीटनाशक के प्रयोग ने खेती किसानी को महंगा बना दिया है। नतीजन आज किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। रासायनिक खादों के बढ़ते प्रयोग किस कदर किसानों के साथ-साथ धरती मां को भी नुकसान पहुंचा रहा है, इसकी कलाकारों ने काफी सशक्त ढंग से जीवंत प्रस्तुति दी। नाटक के द्वारा यह भी बताया गया कि किस तरह से पारंपरिक तरीके से हजारों वर्ष से खेती करने वाला किसान खुशहाल थे, लेकिन लालच में आकर जबसे उसने आधुनिकता के नाम पर रासायनिक खादों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, तब से खेती नुकसान का सौदा बन गयी।

आज रासायनिक खादों और कीटनाशक के प्रयोग के प्रयोग से जैव विविधता पर संकट आ गया और इसकी वजह से कई तरह की बीमारियां फैल रही हैं। हास्य और व्यंग्य से भरे इस नाटक के जरिये बताया कि अब भी किसान संभल जाएं तो संसार में होने वाली बड़ी परेशानी से बचा जा सकता है। इश्तियाक अहमद लिखित इस नाटक में मनीष महिवाल का निर्देशन और अभिनय दोनों सशक्त थे। इनके अलावा सोनल कुमारी, अरविंद कुमार, कृष्ण देव, रोहित चंद्र, प्रवीण सप्पू, अजीत कुमार, रजनीश पांडे, अभिषेक राज, रोहित कुमार आदि ने बेहतरीन रोल से नाटक को जीवंत बना दिया।
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