अनुग्रह बाबू की धरती औरंगाबाद में नये भवन का इंतजार कर रहा प्‍लस टू हाई स्कूल तेंदुआ हरकेश

AURAGABAD (SMR) : औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड में स्‍थापित है राजकीयकृत उच्‍च विद्यालय, तेंदुआ हरकेश। यह स्‍कूल अब प्‍लस टू हाईस्‍कूल (+2 High School) हो गया है। पिछले दिनों इस स्‍कूल में जाने मौका मिला। खपड़ैल भवन की जगह नये पक्‍के भवन बन गये हैं। लेकिन पुराना भवन जर्जर हो गया है। इस भवन की जगह पर भी पक्‍के भवन बनाने की आवश्‍यकता है। बता दें कि यह धरती अनुग्रह बाबू की है। वे आजादी के बाद के प्रथम उपमुख्यमंत्री थे और उनके पुत्र सत्येंद्र नारायण सिन्हा CM बने थे। 

स्‍कूल के प्रधानाध्‍यपक विकास कुमार कहते हैं कि एक हजार से ज्‍यादा छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। भवन के अभाव में पठन-पाठन बाधित होता है। विद्यालय के पास जगह-जमीन भी है। खाली जगह में नये भवन का निर्माण हो जाये तो पढ़ाई को नियमित और सुचारू करने में सहूलियत होगी। 

इस दौरान स्‍कूल के शिक्षकों के साथ बैठकर इस इलाके में शिक्षा के विकास में स्‍कूल के योगदान पर चर्चा भी हुई। इस स्‍कूल में ओबरा और बारुण प्रखंड के विभिन्‍न गावों से छात्र पढ़ने आते हैं। इस स्‍कूल के कारण ही समाज के वंचित वर्गों के लिए भी शिक्षा सुलभ हो पायी थी। इस स्‍कूल ने इस इलाके में शिक्षा की ज्‍योति जलाने में बड़ी भूमिका निभायी है। 

शिक्षकों के साथ बैठक में इस बात पर भी जरूरत महसूस हुई कि आजादी के बाद खुले स्‍कूलों के इतिहास पर भी काम किया जाना चाहिए और उन स्‍कूलों की स्‍थापना की पृष्‍ठभूमि की जानकारी हासिल की जानी चाहिए। आजादी के बाद पूरे प्रदेश में स्‍कूल खोलने की होड़ लग गयी थी। स्‍कूल के लिए लोग जमीन दान में दे रहे थे। स्‍कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति हो रही थी और पढ़ने की भूख भी बढ़ती जा रही थी। यह सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है।

आज सरकारी स्‍कूलों को उपेक्षा की दृष्टि देखा जा रहा है, लेकिन उन स्‍कूल में पहुंचकर समझ में आता है कि शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने का यज्ञ सरकारी स्‍कूल ही कर रहे हैं। स्‍कूलों में पहुंचने वाली छात्र-छात्राओं की संख्‍या काफी उत्साहजनक लगती है। यह शिक्षा के लिए शुभ संकेत है। 

(नोट : यह खबर वरीय पत्रकार एवं पॉलिटिकल एक्सपर्ट वीरेंद्र यादव के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लिया गया है।)

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