सियासी गलियारे से – 4 : मुखिया से MLA बने हैं वीरेंद्र पासवान, रोसड़ा से जीते हैं

PATNA (SMR) : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दो साल हो गए। 17 वीं विधानसभा में 243 में से करीब 100 विधायक पहली बार निर्वाचित हुए थे। उनमें से कुछ विधायकों से बिहार पॉलिटिक्स पर पैनी नजर बनाए रखने वाले वीरेंद्र यादव ने बात की है। उनके दो वर्ष के अनुभव और अनुभूति को नजदीक से जाना। यहां हम उनके सौजन्य से ‘सियासी गलियारे से’ की सीरीज में प्रकाशित कर रहे हैं… पेश है चौथी कड़ी :

मस्‍तीपुर जिले के रोसड़ा से भाजपा के विधायक हैं वीरेंद्र पासवान। पहली बार निर्वाचित हुए हैं। आरएसएस की पृष्‍ठभूमि वाले वीरेंद्र 1999 से करीब 10 वर्षों तक प्रचारक रहे थे। 2011-16 के बीच वारिसनगर प्रखंड की रामपुर विशुन पंचायत के मुखिया भी रहे थे। इसके बाद संगठन में विभिन्‍न दायित्‍वों का निर्वाह करते हुए विधान सभा तक पहुंचे।

वे कहते हैं कि दो वर्षों में विधायी कार्यों को समझने का अवसर मिला। विधान सभा के अध्‍यक्ष सभी प्रश्‍नों का उत्‍तर सदन को उपलब्‍ध करवाने का पूरा प्रयास करते हैं। अब सदस्‍यों को सौ फीसदी प्रश्‍नों का उत्‍तर मिलने भी लगा है, लेकिन सरकार कई बार गलत उत्‍तर देकर सदन को गुमराह करती है। गलत उत्‍तर देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जानी चाहिए। 

वीरेंद्र पासवान कहते हैं कि कृषि सब्सिडी में धांधली होती है। प्राइवेट स्‍कूलों में गरीबों के नामांकन के नाम पर पैसे का बंदरबांट होता है। वे कहते हैं कि विधान सभा गेट के सामने सचिवालय थाना के बाहर जब्‍त गाडि़यों का कबाड़ा निकल रहा है। कई शहरों में थाने कबाड़ा में तब्‍दील हो गये हैं, जिससे जाम की स्थिति उत्‍पन्‍न होती है। इस संबंध में विधान सभा में कई बार सवाल उठाया गया, लेकिन सरकार इस ओर ध्‍यान नहीं दे रही है। 

विधायक ने कहा कि विधान सभा के माध्‍यम से अपने क्षेत्र की समस्‍याओं को उठाया और उसका समाधान भी किया गया। विधायिकी अवधि में काफी कुछ सीखने को मिला और इसका लाभ भी मिलेगा।

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