DELHI / BIHAR (APP) : शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) आज सोमवार 26 सितंबर से शुरू हो गयी है। कलश स्थापना के साथ माँ दुर्गा के मंत्रोच्चार से मंदिर व घर गूंजने लगे हैं। देवी मंदिरों के अलावा घरों में भी कलश स्थापना की परंपरा है। इस बार माँ दुर्गा हाथी पर आयी हैं और हाथी पर ही जाएंगी। माँ का हाथी पर आना शुभ माना गया है और हाथी पर जाना भी शुभ है। पंडितों के अनुसार, दिन के अनुसार माँ की सवारी निर्धारित है और उसी के अनुसार फल शुभ और अशुभ होता है। दुर्गापूजा की धूम सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल और बिहार में होती है। खास बात कि इस नवरात्रि (Navratri 2022) में कोई भी तिथि नहीं घट रही है, इसलिए इस बार ये पर्व पूरे नौ दिनों का रहेगा। इनमें खास तिथियां जैसे दुर्गाष्टमी 3 अक्टूबर, महानवमी 4 अक्टूबर और दशहरा 5 अक्टूबर को मनेगा।
माँ दुर्गा की पूजा का विधान हर नवरात्र में समय और दिन के हिसाब से तय होता है। माँ नवरात्र के पहले दिन अपने खास वाहन पर सवार होकर आती हैं। माता के वाहन की भी अपनी परंपरा है। यह तो आप देखते ही होंगे कि हर तस्वीर, हर फोटो या मूर्ति में मां शेर पर सवार रहती हैं। लेकिन, शास्त्रों और पुराणों के हिसाब से माँ दुर्गा की सवारी दिन के अनुसार तय होती है। मां दुर्गा की हर सवारी का एक विशेष फल होता है।
देवी भागवत ग्रंथ के श्लोक में इन सब का विस्तार से वर्णन किया गया है। ‘शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे, गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता…’ इसका हिंदी में यह अर्थ होता है कि सोमवार या रविवार को कलश स्थापना होने पर माँ दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार या मंगलवार को नवरात्रि की शुरुआत होने पर माँ का वाहन घोड़ा होता है। इसी तरह, गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र प्रारंभ होने पर देवी माँ डोली में बैठकर आती हैं। बुधवार को कलश स्थापना होने पर होने पर मां दुर्गा की सवारी नाव होती है। इस बार 26 सितंबर सोमवार को माँ आयी हैं। इसका मतलब है कि इस बार उनकी सवारी हाथी है।
पंडितों के अनुसार, कुछ वाहन शुभ फल देने वाले और कुछ अशुभ फल देने वाले होते हैं। देवी भागवत में लिखे गए इस श्लोक में शुभ-अशुभ का वर्णन देखने को मिलता है। श्लोक है- गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे, नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्… इसका हिंदी में अर्थ है- ‘जब माँ दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो पानी ज्यादा होता है यानी बारिश ज्यादा होती है। माँ जब घोड़े पर आती हैं, तो देश में राज भंग होने की आशंका होती है और युद्ध का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह, देवी माँ नौका पर आती हैं तो सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यदि माँ डोली पर आएं तो ज्यादा संख्या में मृत्यु होती है या महामारी का भय बना रहता हैं। इन सभी का वर्णन देवी भागवत ग्रंथ में किया गया है।
बता दें कि इस बार नवरात्रि में कई शुभ योग बन रहे हैं। इस बार तिथि, वार, नक्षत्र और ग्रहों से मिलकर दो सर्वार्थसिद्धि, एक द्विपुष्कर और तीन रवियोग बने हैं। इन दिनों खरीदारी के लिए 8 शुभ मुहूर्त भी हैं। इनमें प्रॉपर्टी में निवेश के लिए दो और व्हीकल खरीदारी के लिए तीन दिन शुभ हैं। इतना ही नहीं, इस बार केदार, भद्र, हंस, गजकेसरी, शंख और पर्वत नाम के शुभ योग हैं। इन 6 राजयोग में नवरात्रि की शुरुआत हुई है। सूर्य, बुध, गुरु और शनि से बनने वाले इन शुभ योगों में कलश स्थापना होना शुभ संकेत हैं।