PATNA (SMR) : पशु-पक्षी भी जीव हैं। उनमें भी आत्मा बसती है। हर प्राणी की अपनी अहमियत है। यही वजह है कि लोगों का पशु-पक्षियों से गहरा लगाव है। बहुत से ऐसे भी लोग हैं, जो उनकी भाषा-व्यवहार तक को समझते हैं, वहीं कुछ पशु-पक्षी भी आम आदमी के स्नेह-प्यार को बखूबी महसूस करते हैं। ऐसे ही व्यक्तित्व के मालिक हैं बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले महेंद्र प्रधान जी। पशु-पक्षियों से इतना अधिक लगाव है कि उन्होंने हथिनी की स्टैच्यू तक बनवा दी है। महेंद्र प्रधान से जुड़े इस आलेख को दूरदर्शन पटना के असिस्टेंट न्यूज डायरेक्टर अजय कुमार के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से अक्षरशः लिया गया है। इस आलेख में उनके निजी विचार हैं।

शु-पक्षियों से लगाव और प्रेम को संस्थानिक मालकियत में बदल लेना भी बडा शौक है। हाथी, घोडा, ऊंट और रेयर किस्म के पक्षियों को पालना-संभालना और मछलियों के लिए कुंआ जैसे खर्चे और तामझाम… सचमुच! बूते की बात है। 

ऐसे समय में, जब ऐसे शौक डिजायरलेस बना दिए जाए तो फिर उस शौक के क्या कहने। जानवरों के प्रति अहिंसा सम्मोहित करती है। हिप्नोटाइज करती है। एक तरह से यह चेतना का अलग ही तल है। समस्तीपुर में ऐसे ही व्यक्ति हैं महेन्द्र प्रधान जी। पालतू हाथी मर गयी तो उसकी स्टैच्यू बनवा दिए। याद में। जैसे कोई अपना ही पूर्वज हो।

स्वर्गीय इंदिरा गांधी से लेकर आदरणीय रामविलास पासवान जी, पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा जैसे ख्याति प्राप्त नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स, अनगिनत संस्थाओं से पशु-पालक प्रेमी का खिताब पाये महेंद्र प्रधान प्रिय हाथी रानी के मरने के शोक भुला नहीं पाए हैं। 

सोनपुर मेले में प्रधान जी का अलग ही जलवा रहता है। मेले के व्यवस्थापक तक गुजारिश करते हैं कि आप मेला छोडकर न जाएं। आपसे मेले की रौनक बढ जाती है। पर्यावरण से जुड़े कई फिल्मी विज्ञापनों में महेंद्र प्रधान के कट-वेज प्रयोग हुए हैं। उनका यह संस्थानिक प्रयास समस्तीपुर में आम-जनों के लिए दर्शनीय स्थल बन रहा है।

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