PATNA (APP) : बिहार में चुनावी शंखनाद के बाद बीजेपी ने अपना मंथन तेज कर दिया है। दिल्ली में इसी माह हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद अब बिहार में बड़ी बैठक हुई है। दरभंगा में हुई बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में सबसे अधिक नीतीश कुमार निशाने पर रहे। चुनावी ब्लूप्रिंट अब दिखने लगा है। दिल्ली की कुर्सी पर लगातार तीसरी बार कब्जा जमाने के लिए बिहार बीजेपी ने अहम योगदान देने का निर्णय लिया है। बीजेपी ने बिहार में मिशन-36 को टार्गेट किया है और इसके लिए उसने JDU की जीती हुई 16 सीटों को झटकने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही बीजेपी ने यह भी कह दिया है कि अब नीतीश कुमार के लिए उसकी पार्टी में एंट्री के दरवाजे बंद हो गए हैं।
दरअसल, बिहार में धीरे-धीरे चुनावी लड़ाई तेज होने लगी है। हर दल मजबूती से आगे बढ़ने लगा है। इसी कड़ी में बीजेपी की दरभंगा में हुई बैठक को देखा जा रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ ही 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी बीजेपी की नजर है। दोनों ही चुनावों पर बीजेपी नें मंथन किया है। लेकिन, सबसे ज्यादा फोकस लोकसभा चुनाव पर रहा। चुनावों के ब्लूप्रिंट से लेकर बूथ लेवल तक पर विचार किए गए और मिशन-36 पर जमकर चर्चा हुई और इसे टार्गेट में शामिल किया है।
2019 का लोकसभा चुनाव आपको याद होगा। बिहार में 40 में से 39 सीटें एनडीए के खाते में गयी थीं। इन सीटों में बीजेपी ने 17 तो जेडीयू ने 16 सीटों पर कब्जा जमाया था, जबकि 6 सीटें लोजपा के खाते में गयी थी। वर्तमान में भले ही लोजपा दो फाड़ हो गयी है, लेकिन दोनों ही खेमे बीजेपी के साथ जुड़े हुए हैं। इनमें पशुपति कुमार पारस का खेमा तो पहले ही एनडीए में शामिल है, जबकि चिराग पासवान अपने खेमे के साथ बीजेपी के साथ ‘कभी हां कभी ना’ की स्थिति में हैं। बाकी जेडीयू की 16 सीटों पर बीजेपी की पैनी नजर बनी हुई है।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो बीजेपी की बैठक में इसी विषय पर सबसे ज्यादा मंथन हुआ है। महागठबंधन और जेडीयू में चल रही उठापटक के बाद भी बिहार बीजेपी के मैक्सिमम नेता चाहते हैं कि नीतीश कुमार की वापसी एनडीए में नहीं हो और बैठक में मुहर भी लग गयी है। बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने क्लियरली कह दिया कि अब नीतीश कुमार के साथ कभी भी गठबंधन नहीं होगा। हालांकि, पिछले दिनों सुशील मोदी ने यह भी कहा था कि आलाकमान का फैसला बिहार विंग को मानना मजबूरी है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी मानते हैं कि बीजेपी केंद्रीय टीम के मन में यह उम्मीद अब भी बरकरार है कि नीतीश कुमार को एनडीए में लाया जाए। लेकिन, बीजेपी अंदर ही अंदर जेडीयू की जीती सीटों को झटकने की भी रणनीति पर मंथन कर रही है।
बता दें कि 2019 में जेडीयू को बांका, भागलपुर, गया, गोपालगंज, जहानाबाद, झंझारपुर, काराकाट, कटिहार, मधेपुरा, मुंगेर, नालंदा, पूर्णिया, सीतामढ़ी, सीवान, सुपौल और वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र में सफलता मिली थी और इन सीटों पर बीजेपी की नजर बनी हुई है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो जब तक बीजेपी इन सीटों को नहीं जीतेगी, तब तक उसका ‘मिशन थर्टी सिक्स’ पूरा नहीं होगा। लेकिन, सबसे बड़ी चुनौती तो बीजेपी को अपनी सीटों की बचाने की भी होगी। 2019 के रिकॉर्ड के अनुसार, बीजेपी ने तब 17 सीटों पर कब्जा जमाया था। इनमें उसे अररिया, आरा, औरंगाबाद, बेगूसराय, बक्सर, दरभंगा, मधुबनी, महाराजगंज, मुजफ्फरपुर, पश्चिमी चंपारण, पाटलिपुत्र, पटना साहिब, पूर्वी चंपारण, सारण, सासाराम, शिवहर और उजियारपुर में बीजेपी के सांसद चुने गए थे। जिस तरह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह लगातार डेटा क्रंचिंग की बात कर रहे हैं, वह भी बीजेपी के लिए बड़ी टेंशन है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो ‘मिशन थर्टी सिक्स’ तभी सफल होगा, जब बीजेपी जेडीयू के साथ ही अपनी सीटों को भी बचाने में सफल होगा।
बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने अपने संबोधन में कार्यकर्ताओं को विभिन्न विषयों से रूबरू करवाते हुए कहा कि जेडीयू के साथ हमारा गठबंधन रहा है। आरजेडी के द्वारा बिहार पर थोपे गए जंगलराज को हटाना हमारी जिम्मेदारी थी और उसके निर्वहन के लिए हम जेडीयू के साथ गए थे। यह एक प्रामाणित सत्य है कि हमने बिहार को हत्या, लूट, अपहरण, प्रशासनिक अराजकता और भ्रष्टाचार की विकराल परिस्थितियों से बाहर निकालने में सफल हुए थे। आज जब नीतीश कुमार उसी जंगलराज की शरण में जा चुके हैं, तब बिहार की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत में बिहार की भागीदारी की उम्मीदें लगाए बैठी है और हमें इसमें खरा उतरना है। इसके साफ संकेत है कि बीजेपी एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी। संजय जायसवाल के अलावा प्रदेश कार्यकारिणी को बिहार प्रभारी विनोद तावड़े, केंद्रीय मंत्री आरके सिंह, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी, राज्यसभा सांसद सुशील मोदी, तारकिशोर प्रसाद, रविशंकर प्रसाद आदि ने भी संबोधित किया।
बैठक में सम्राट चौधरी ने दो टूक कहा कि नीतीश कुमार बिहार की राजनीति से अप्रासंगिक हो चुके हैं। बिहार में उनकी राजनीति समाप्त हो गई है। अब वह कोई भी बहाना बनाएं, नहीं चलने वाला। हम तो भगवान राम की पूजा करने वाले हैं और वे लोग राम के रामचरितमानस का विरोध करने वाले हैं, इसलिए स्पष्ट है कि पूरे बिहार में भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने के लिए सभी जातियों का वोट भाजपा के नेतृत्व में आने के लिए काम करेंगे… उन्होंने यह भी कहा कि उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार के बीच हो रही बयानबाजी पर भी हमलोगों की नजर है। वहीं नीतीश कुमार ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि कोई ऐसा सगा नहीं, जिसे उन्होंने ठगा नहीं। अकेले में जो-जो लोग बात करेंगे, उनका राजनीतिक हत्या नीतीश जी जरूर करेंगे, इसलिए 2024 आते-जाते उनका सभी लोग साथ छोड़ देंगे। इन सारी परिस्थतियों को देखते हुए बीजेपी को अपनी रणनीति बनानी होगी। बता दें कि सम्राट चौधरी ने पिछले दिनों मुरैठा बाँधा था और कहा था कि जब तक नीतीश कुमार सत्ता से हटेंगे नहीं, वे अपना मुरैठा नहीं खोलेंगे।
बहरहाल, लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए बिहार में बीजेपी ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं। दरभंगा के लहेरिया में हुई प्रदेश कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक के बाद अब सबों की नजर केंद्रीय मंत्री अमित शाह की बिहार यात्रा पर टिक गयी है। अमित शाह आगामी 25 फरवरी को बिहार आ रहे हैं। पहले यह दौरा 22 फरवरी को होने वाला था। पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो बैठक में चुनावी तैयारियों के अलावा बिहार की ताजा राजनीतिक स्थितियों पर भी मंथन हुआ है। यह भी चर्चा हुई है कि यदि उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी में शामिल होते हैं तो उनका क्या रोल रहेगा। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में बीजेपी और क्या रूख अपनाती है, लेकिन उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती जेडीयू को ठिकाने लगा है।