DELHI (APP) : आज 22 अक्टूबर 2022 है। इस साल का धनतेरस आज है। रोशनी पर्व दिवाली से ठीक दो दिन पहले। धनतेरस पर सेाना-चांदी, गाड़ी-मोटर से लेकर नए बर्तन समेत अन्य सामानों को खरीदने की परंपरा है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि धनतेरस पर खरीदी गईं चीजें बेहद शुभ होती हैं। इस दिन सोने-चांदी के सिक्कों की खरीदारी सबसे अधिक शुभ और फलदायी मानी गयी है। लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि धनतेरस पर ही भगवान धन्वंतरि की पूजा भी काफी भक्ति भाव से होती है। उनकी कृपा से धन-दौलत के साथ उत्तम सेहत भी प्राप्त होती है। 5 पौराणिक मान्यताओं से जानते हैं कि धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि क्यों पूजे जाते हैं ?

1 धनतेरस के दिन लिये थे अवतार : कार्तिक माह की हिंदू धर्म में काफी मान्यता है और यह माह पर्व-त्योहार से भरा पड़ा है। इसी माह में दिवाली से लेकर छठ पूजा तक होती है। भाई-दूज, गोवर्धन पूजा सब। और, भगवान धन्वंतरि की भी पूजा होती है। भगवान धन्वंतरि की पूजा कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को की जाती है यानी नरक चतुर्दशी के ठीक एक दिन और दिवाली के ठीक दो दिन पहले इनकी पूजा होती है। पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि भगवान धन्वंतरि ने धनतेरस के दिन ही अवतार लिया था। इसकी वजह से धनतेरस का धार्मिक महत्व भी बढ़ गया है। पौराणिक कथाओं में यह भी कहा गया है कि सदियों वर्ष पूर्व एक धंव नाम के राजा हुए थे, जो बड़े ही प्रतापी और धर्म परायण व्यक्तित्व थे। उनका चारों तरफ काफी यश था, लेकिन संतान नहीं होने की वजह से वे काफी दुखी रहते थे। एक दिन किसी साधु के कहने पर वे संतान के लिए कठोर तपस्या करने बैठ गए थे। तब भगवान ने खुश होकर उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया था। इसके बाद उन्हें जो पुत्र प्राप्त हुआ, उसी का नाम रखा गया धन्वंतरि और कालांतर में अपनी प्रतिभा के बल पर ये भगवान धन्वंतरी बने। 

2 विष्णु अवतार के अवतार माने जाते हैं : अब बात करते हैं भगवान धन्वंतरि के विष्णु अवतार से जुड़ी कहानी की। पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि भगवान विष्णु ने ही धन्वंतरि के रूप में अवतार लिया था। हिंदू धर्म में भगवान धन्वंतरि को भक्त व श्रद्धालु भगवान विष्णु के रूप में ही पूजा करते हैं। कहा जाता है कि धनतेरस के दिन इनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करने से लंबी आयु और निरोग रहने का फल मिलता है। धन्वंतरी भगवान अपने हाथों में अमृत से भरा कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे, इसलिए धनतेरस पर बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। विष्णु भगवान की तरह ही भगवान धन्वंतरि की भी चार भुजाएं होती हैं। उनके एक हाथ में आयुर्वेद ग्रंथ तो दूसरे हाथ में औषधि कलश होता है। इसी तरह, तीसरे हाथ में जड़ी-बूटी और चौथे हाथ में शंख होता है, इसलिए लोग इन्हें विष्णु अवतार के रूप में ही पूजा करते हैं। मान्यता है कि धनतेरस की रात में जो भी व्यक्ति भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं, उसके घर धन का अभाव नहीं रहता है। धनतेरस पर धन्वंतरि स्त्रोत का जाप करने से घर धन-धान्य से भर जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि का वास रहता है और घर की तिजोरी सदैव भरी रहती है। 

3 आयुर्वेद के हैं जनक :  हिंदू धर्म में भगवान धन्वंतरि को वैद्धयम माना गया है यानी आयुर्वेद का जनक। इसलिए धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य का वरदान भी प्राप्त होता है। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में 12वां अवतार धन्वंतरि का था। मान्यता है कि देवों और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन का प्रयास शुरू किया, जिसमें से 14 रत्नों की प्राप्ति हुई। इसके लिए मंदार पर्वत को मथानी और वासुकी नाग को मथानी की रस्सी के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। यह मंदार पर्वत बिहार के बांका जिला में है। इसी समुद्र मंथन से कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि का अवतार हुआ था। यह भी कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि ने विश्वभर की वनस्पतियों पर अध्ययन कर उसके अच्छे और बुरे प्रभाव और उसके गुण को प्रकट किया था। धन्वंतरि संहिता को ही आयुर्वेद का मूल ग्रंथ माना गया है। रामायण, महाभारत, श्रीमद्भावत पुराण समेत अन्य धार्मिक ग्रंथों में इनका उल्लेख मिलता है। संसार के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में भी आयुर्वेद का प्रमाण मिलता है। 

4 भगवान का प्रिय धातु है पीतल : भगवान धन्वंतरि का प्रिय धातु पीतल माना जाता है, इसीलिए धनतेरस के दिन सोना व उसके गहने समेत पीतल के बर्तन खरीदने की परंपरा शुरू हुई है। अब तो धनतेरस पर सेाना-चांदी, गाड़ी-मोटर से लेकर नए बर्तन के अलावा जमीन और घर भी खरीदने की परंपरा शुरू हो गयी है। धनतेरस के दिन की गयी खरीदारी को काफी शुभ और फलदायी माना गया है। भगवान धन्वंतरि के साथ ही धनतेरस पर धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की भी पूजा होती है। धनतेरस पर सोने-चांदी के सिक्कों की खरीदारी सबसे अधिक शुभ और फलदायी मानी गयी है। 

5 भगवान धन्वंतरि की ऐसे होती है पूजा : धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा करने की परंपरा तो है, लेकिन इनकी पूजा आखिर करें कैसे की जाती है ? पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि धनतेरस के दिन पंचाग के मुहूर्त के अनुसार, समय तय कर लें। इसके बाद उत्तर दिशा में पूजा के लिए चौकी तैयार करें। चौकी पर भगवान कुबेर, धन्वंतरी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान कुबेर को सफेद मिठाई और धन्वंतरि भगवान को पीली वस्तु से बनी मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की भी पूजा करें। फिर धन्वंतरि स्त्रोत का पाठ करना शुरू करें। पाठ पूरा होने पर आरती के साथ ही सभी देवताओं का आशीर्वाद लेकर सुख-समृद्धि की कामना करें। यह तो सब जानते हैं हेल्थ इज वेल्थ। अच्छा स्वास्थ ही मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी है और कहा जाता है कि धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा से स्वास्थ्य काफी बढ़िया रहता है। उत्तम सेहत और रोगों के नाश की प्रार्थना कर ‘ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः का 108 बार जाप भी कर सकते हैं।

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