PATNA (MR) : भगवान भोले नाथ तमाम देवताओं में सबसे ज्यादा जनप्रिय और प्रकृति के देवता हैं। भोलेनाथ पूर्ण परिवार के देवता हैं। उनका दांपत्य जीवन सबसे सफल और अनुकरणीय है। साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे ध्रुव गुप्त लिखते हैं- ‘पर्वत उनका आवास है। आकाश उनकी छत। वन उनका क्रीड़ा-स्थल। उनकी जटाओं में गंगा, माथे पर चंद्रमा और गले में सांप है।’
वे आगे लिखते हैं- ‘भगवान भोले नाथ के पुत्र गणेश का मस्तक हाथी का है। बैल नंदी उनका वाहन है। मोर और चूहे उनके परिवार के सदस्य हैं। उनकी पूजा महंगी पूजन-सामग्रियों से नहीं होती है, बल्कि प्रकृति में बहुतायत से मौजूद बेलपत्र, भांग और धतूरे से होती है।’
शिव का जीवन इस बात का प्रमाण है कि प्रकृति की शक्तियों से सामंजस्य बिठाकर कोई शक्ति, बुद्धि, कला, संगीत, सौंदर्य और आध्यात्मिक ज्ञान सहित कोई भी उपलब्धि हासिल कर सकता है। यह प्रकृति से एकात्मकता ही है कि शिव इतने करुणामय, उदार और भोले हैं।
यही आकर्षण था कि देवी पार्वती ने अपने पिता के महलों के ऐश्वर्य का त्याग कर औघड़ शिव के साथ जीवन बिताना चुना था। यह प्रकृति के साहचर्य से प्राप्त करुणा,सरलता और पारदर्शिता ही है कि दोनों की पृष्ठभूमि और जीवन-शैली में इतनी विभिन्नताओं के बावजूद उनका दांपत्य जीवन देवताओं में सबसे सफल और अनुकरणीय माना जाता है। शिव और पार्वती के विवाह की रात महाशिवरात्रि प्रकृति का सम्मान और उसके साथ एकात्मकता का संदेश है।
यहां आपको बता दें कि शंकर भगवान को एक बेटी भी है। पद्म पुराण में भगवान शिव की बेटी अशोक सुंदरी का जिक्र किया गया है। माना जाता है कि देवी पार्वती अपने अकेलेपन और उदासी से मुक्ति पाने के लिए कल्प वृक्ष से पुत्री की कामना की, जिससे एक सुंदर पुत्री का जन्म हुआ, इसलिए उसका नाम अशोक सुंदरी रखा गया।
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