PATNA (MR) : पूर्वी चंपारण में है एक प्रखंड है चिरैया। वहां के किसान दोहरी नहीं, बल्कि तिहरी मार झेल रहे हैं। एक तो बारिश सही से नहीं हुई। इससे परेशान बहुत से किसानों ने किसी तरह अपनी जमा पूंजी खर्च कर रोपनी की, कुछ छोटे स्तर के किसानों ने तो इसके लिए कर्ज भी लिये। वे यह सोच कर कर्ज लिये कि फसल अच्छी होगी तो कटने के बाद पैसे लौटा देंगे।
लेकिन, किसान अब नयी समस्या में उलझ गए हैं। कहा जाता है कि धान की फसल जब पकने को तैयार हैं तो फसल में कंडुआ पीला रोग लगा गया है। इस रोग ने क्षेत्र के किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है। शस्य विशेषज्ञ की मानें तो चिरैया प्रखंड में यह रोग सैकड़ों एकड़ में लगे धान की फसल को अपनी चपेट में ले चुका है। खास बात कि इस रोग पर कीटनाशक दवा का भी प्रभाव नहीं पड़ रहा है।
स्थानीय किसानों की मानें तो इस रोग से 30 प्रतिशत फसल प्रभावित हो चुका है। शुरुआत में यह रोग खेत के कुछ हिस्सों में दिखाई पड़ा था। बाद में खेत में फैल गया, जिससे फसल में दाना नहीं आया है। किसान जैसे-तैसे फसल को काटने में लग गए हैं, ताकि जो फसल बच गयी है, वह बर्बाद नहीं हो।
किसानों का कहना है कि कंडुआ पीला रोग लगने से खेती चौपट हो गई है। दरअसल, प्रखंड के किसानों को पहले सुखाड़ झेलनी पड़ी। इसके बाद मौसम की मार झेलनी पड़ी है। कुछ किसानों ने इस विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत दिखा कर पटवन से सिंचाई की व्यवस्था कर जैसे-तैसे कुछ खेत में धान की फसल लगाई। उन्हें उम्मीद थी कि बाद में मौसम का साथ मिलेगा और पैदावार अच्छी होगी। लेकिन, अब कंडुआ कीड़ा ने पानी फेर दिया।
कृषि वैज्ञानिक के अनुसार कंडुआ या बॉलर्स स्मट एक बीज जनित रोग है। संक्रमित बीज के कारण ही यह रोग फैलता है। जब धान मे बालियां लगने लगती है तो यह रोग तेजी से फैलता है। शुरुआती दौर में ही जब खेत में कंडुआ पीला रोग दिखाई पड़े तो किसान को चाहिए कि वह धान के संक्रमित पौधे को सावधानी पूर्वक काटकर हटा दें। इस दौरान यह भी ध्यान रखना है कि बाली के निचले हिस्से में जो पीले रंग का पाउडर है, वह नहीं गिरे, जिस भी पौधा पर यह पाउडर पड़ेगा उस पौधे का संक्रमित कर देगा। जिस खेत में यह रोग दिखाई पड़े, उसमें शुरुआती दौर में ही एक लीटर पानी में ढाई ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइट या एक एमएल प्रापिकोनाजोल मिलाकर प्रति कठ्ठा लीटर के हिसाब से खेतों में छिड़काव करने से इस रोग के संक्रमण को रोका जा सकता है।
शस्य विशेषज्ञ के अनुसार, संक्रमित पौधों का हटाकर सिर्फ पानी का छिड़काव करने से भी इस रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इस रोग का प्रकोप स्वर्णा, संभा, सोनम किस्म आदि धान में अधिक देखा जा रहा है। हल्का पीला धाबा जो पत्तियों को सुखाने लगती है, उसी से धान की पैदावार अच्छी नहीं हो रही है।