बागेश्वर बाबा… बजरंग दल… जय श्रीराम… या फिर जय बजरंगवली… ये शब्द अब धार्मिक नहीं रहे। ये शब्द अब लोक-समाज के भी नहीं रहे। ये शब्द अब आपसी प्रेम-सौहार्द के भी नहीं रहे। ये शब्द अब चुनावी हो गए हैं। बिलकुल इलेक्शन वाले हो गए हैं। कहें तो राजनीतिक हो गए हैं। ये शब्द अब सियासी बयानीबाजी के एक अहम पार्ट हो गए हैं। बिहार में इन दिनों जो पॉलिटिकल सिनेरियो हो गए हैं, वह इसी बात के संकेत दे रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर किस मोड में जा रहा लोकसभा चुनाव? क्या होगा 2024 में ?
दरअसल, बागेश्वर धाम बाबा उर्फ धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अभी बिहार दौरे को लेकर सुर्खियों में हैं। उनका जब से पटना में कार्यक्रम बना है, तब से बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। बागेश्वर बाबा का पहले पटना के गांधी मैदान में कार्यक्रम बना। इसके बाद इसमें बदलाव हो गया। अब पटना से सटे नौबतपुर में उनका आना तय हुआ है। 13 मई से 17 मई तक कार्यक्रम है। इस दौरान वे प्रवचन भी देंगे और पर्ची भी निकालेंगे। इसकी जानकारी खुद बागेश्वर बाबा ने वीडियो जारी कर दी थी। लेकिन, उनके प्रवचन से ज्यादा नेताओं की बयानबाजी सुर्खियां बटोर रही हैं। खासकर इसे लेकर आरजेडी और बीजेपी में तो बैक टू बैक हमले हो रहे हैं। एक-दूसरे पर तंज कसे जा रहे हैं। ताने मारे जा रहे हैं। देख लेने से आंख निकाल लेने तक की धमकी दी जा रही है।
आपको याद होगा कि सबसे पहले मंत्री तेजप्रताप यादव ने बागेश्वर बाबा के खिलाफ मोर्चा खोला था। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने उन पर बड़ा हमला कर दिया और इस बहाने उन्होंने बीजेपी को भी खूब सुनाया। इतना ही नहीं, मुजफ्फरपुर में तो बाबा के खिलाफ परिवाद भी दर्ज करा दिये गये। इसके बाद भी बागेश्वर बाबा को लेकर आरजेडी और बीजेपी के बीच तनातनी कम नहीं हुई। यहां यह बताना लाजिमी है कि तेजप्रताप यादव ने क्या कहा था। पिछले सप्ताह उन्होंने कहा था- ‘अगर बागेश्वर बाबा हिंदू और मुसलमान को लड़वाने के लिए लिए आ रहे हैं तो उनका विरोध किया जाएगा। मैं उनका एयरपोर्ट पर घेराव करूंगा। अगर वे भाईचारे का संदेश देने आ रहे हैं, हिंदू-मुस्लिम, सिख-ईसाई हम सब हैं भाई-भाई का संदेश देने आ रहे हैं तो ही बिहार में उनको घुसने दिया जाएगा’ दूसरी ओर, आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने पिछले दिनों कहा था- ‘देश में संतों की परंपरा और जो विश्वास है, भाजपा उसे धीरे-धीरे खत्म करती जा रही है। खुद तो धार्मिक उन्मादी है ही और उन्मादी लोगों की एक ऐसी जमात खड़ी कर रही है, जो वचन और प्रवचन से हुकूमत करना चाहते हैं।’ उन्होंने यह भी कहा था कि यह संत परंपरा नहीं है। संत कभी राजनीति की बात नहीं करता है। संत कभी समाज को तोड़ने की बात नहीं करता है।’
पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो बागेश्वर बाबा हो या बजरंग दल ऐसे ही इस पर सियासत नहीं हो रही है। बातों से पता तो चल ही जाता है कि आखिर उसके पीछे की मंशा क्या है? किसी का भी धर्म हो, वह कहीं से भी ठीक नहीं है, लेकिन यदि धर्म का इस्तेमाल पॉलिटिक्स के लिए किया जाता है तो फिर उससे अधिक खतरनाक कुछ नहीं हो सकता है। दरअसल, इसी साल की शुरुआत में बागेश्वर धाम बाबा ने विश्वकल्याण और हिंदू राष्ट्र की मनोकामना के लिए नव कुंडिया अन्नपूर्णा महायज्ञ कराया था। मध्य प्रदेश में आयोजित उस कार्यक्रम में बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने शिरकत की थी। यहां तक कि बीजेपी सांसद मनोज तिवारी भी शामिल हुए थे। वे भजन भी गाए थे, साथ ही मनोज तिवारी ने बागेश्वर बाबा के हिंदू राष्ट्र के बयान का समर्थन भी किया था। और, अब यह भी कहा जा रहा है कि पटना में भी मनोज तिवारी कार्यक्रम में शिरकत करेंगे और आप जानते ही हैं कि बीजेपी के एजेंडों में हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद से लेकर भारत-पाकिस्तान शामिल हैं। ऐसे में महागठबंधन खासकर आरजेडी के नेताओं को लगता है कि हिंदू राष्ट्र वाले बयान को बिहार में भी बाबा जरूर प्रचार करेंगे। यही वजह है कि आरजेडी के नेता लगातार उनके खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो बागेश्वर बाबा को लेकर महागठबंधन के नेताओं को यह भी लगता है कि उनके प्रवचन से हिंदू-मुस्लिम एकता में दरार पड़ सकती है। इससे जगह-जगह तनाव हो सकते हैं। बेवजह विवाद बढ़ सकता है। इससे वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है। उससे माय समीकरण पर भी प्रभाव पड़ सकता है। दरअसल, बागेश्वर धाम बाबा खुद को धर्म प्रचारक मानते हैं। धार्मिक कार्यक्रम कराते हैं। वे खुद को बालाजी का अवतार भी मानते हैं। हिंदू संगठन को मजबूत करने की बात करते हैं और लगभग यही ऐजेंडा बीजेपी का भी है। ऐसे में बीजेपी के नेता बागेश्वर बाबा का जबर्दस्त स्वागत कर रहे हैं। जब भी आरजेडी के नेता बयान देते हैं तो उस पर पलटवार करने बीजेपी के नेता तुरंत मैदान में कूद जाते हैं। दरअसल, बागेश्वर धाम बाबा प्रकरण से बीजेपी अंदर ही अंदर काफी गदगद हैं। वे बिहार में बागेश्वर बाबा का खूब प्रचार कर रहे हैं। साथ ही आरजेडी के नेताओं को मुंहतोड़ जवाब भी दे रहे हैं।
बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा खूब तंज कसते दो दिन पहले कहा था कि किसकी हिम्मत है कि बागेश्वर धाम बाबा को बिहार आने से रोक दें। उन्होंने लालू यादव का नाम लेते हुए कहा कि अब उनका जमाना लद गया। किसी की अब नहीं चलने वाली है। दूसरी ओर, बीजेपी के विधायक पूर्व मंत्री नीरज कुमार बबलू ने भी पिछले दिनों सुनाते हुए कहा- ‘तेजप्रताप यादव धार्मिक आदमी हैं, वह कभी भोलेनाथ बन जाते हैं, तो कभी राधे-कृष्ण मंदिर पहुंचकर राधे-राधे करते हैं। ऐसे में मुझे नहीं लगता है कि उनको इस तरह का बयान देना चाहिए। लेकिन यदि कोई बागेश्वर बाबा को रोकने की कोशिश करेंगे, ऐसे लोग हवा में उड़ जाएंगे।’ इतना ही नहीं, अब तो बागेश्वर बाबा के पक्ष में सवर्ण सेना भी मैदान में कूद गयी है। सवर्ण सेना के नेता ने साफ कह दिया कि बागेश्वर बाबा के साथ कोई गलत करेगा तो उसकी आंख निकाल लेंगे। वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से लेकर अश्विनी चौबे तक आरजेडी पर गरमाए हुए हैं।
इतना ही नहीं, बागेश्वर बाबा को लेकर अभी बिहार की सियासत गरमायी हुई ही थी कि अब बजरंग दल से लेकर बजरंगवली तक के मुद्दे बिहार में उछलने लगे। दरअसल, कर्नाटक के चुनाव में कांग्रेस ने बजरंगदल पर रोक लगाने की मांग की थी। इस मांग की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही हवा निकाल दी। उन्होंने चुनावी सभा में न केवल बजरंगवली के नारे लगाए, बल्कि बजरंगदल से भी इसे जोड़ा और यह देखादेखी बिहार में भी इसकी सियासी हलचल पहुंच गयी। बिहार में भी बजरंगदल पर बैन लगाने की मांग उठने लगी। जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार ने इस तरह की मांग की है। हालांकि, जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने इस पर सफाई देते हुए 4 मई को कहा कि हमलोगों को बजरंगदल का नहीं, बल्कि उनकी नीतियों का विरोध करते हैं। लेकिन इन सबसे परे बजरंगदल के बिहार संयोजक जन्मेजय सिंह ने साफ कह दिया कि किसकी मजाल है कि बजरंगदल पर कोई रोक लगा दे।
बहरहाल, बागेश्वर बाबा, बजरंगदल, जय श्रीराम के बाद अब बिहार में भी जय बजरंगवली के नारे गूंजने लगे हैं और ये सब चुनावी मोड में शामिल होते जा रहे हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इसकी काट में अब महागठबंधन कौन सा रूख अपनाता है…?