PATNA (MR) : नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा समाजवादी युवजन सभा से होती हुई केंद्रीय मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री तक हर रूप में प्रभावी रही है। पंचायतों में अतिपिछड़ों के आरक्षण का सवाल हो या महिलाओं को आरक्षण दिये जाने का मसला या फिर संपूर्ण बिहार को बिजलीकृत करने का मामला रहा हो या बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग- जनहित के हर मुद्दे पर नीतीश कुमार ने एक स्टैटसमैन की तरह निर्णय लिया और सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है। ये बातें जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना में साहित्य संसद प्रकाशन और जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना द्वारा आयोजित ‘संसद में नीतीश कुमार’ का पुस्तक लोकार्पण समारोह में शामिल वक्ताओं ने कही।
समाजविज्ञानी जगनारायण सिंह यादव द्वारा पांच खंडों में संपादित इस पुस्तक का लोकार्पण वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी, ऊर्जा एवं योजना विकास मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रो. (डॉ.) रामवचन राय, वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत, बिहार विधान पार्षद संजय कुमार, डॉ. नरेंद्र पाठक और ई. संतोष यादव और साहित्य संसद प्रकाशन के निदेशक श्यामजी ने समवेत रूप में की। जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना के निदेशक डॉ. नरेन्द्र पाठक ने आगत अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि हमारे नेता नीतीश कुमार के संसदीय वाद-वृत पर आधारित पांच खंडों की पुस्तक का लोकार्पण हो रहा है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार 2005 से बिहार को गढ़ रहे हैं। इसके बाद संस्थान की तरफ से आगत अतिथियों का शॉल एवं बुके देकर सम्मानित किया गया।
वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि हमें यह गर्व है कि नीतीश कुमार के साथ काम करने का सौभाग्य मिला है। प्रशासनिक निर्णयों को प्रभावी बनाने की क्षमता का नाम नीतीश कुमार है। उन्होंने कहा कि अपने राजनीतिक जीवन में नीतीश कुमार ने जिस जनपक्षधरता का निर्वहन पूरी दक्षता से किया है, उसी का परिणाम है कि आज बिहार विकास पथ पर अग्रसर है। विपक्षीय एकता का श्रेय नीतीश कुमार को देते हुए उन्होंने बतलाया कि इसके बाद ही भाजपा की उलटी गिनती शुरू हो गई है।
ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि नीतीश कुमार एक स्टैटसमैन रहे हैं, जिनका कार्य आने वाली कई पीढ़ियों को समृद्ध करता रहेगा। उन्होंने समाज के कमजोर वर्ग और महिलाओं को आरक्षण देने के साथ ही बिहार के समग्र विकास के लिए ऐतिहासिक काम किया है। डॉ. लोहिया को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि इस देश में तीन तरह के दुख है- मन का दुख, पेट का दुख एवं पेट और मन का संयुक्त दुख। जब तक तीनों दुख को दूर नहीं किया जाएगा, यह देश विकसित नहीं होगा। उन्होंने इंडिया गठबंधन के जरिये और जातीय जनगणना पर आए कोर्ट के फैसले को लेकर बीजेपी पर तंज भी कसा।
वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत ने कहा कि जगनारायण सिंह यादव ने बहुत ठोस और तार्किक स्वरूप में नीतीश कुमार के संसदीय भाषण का संपादन किया है। इससे उनका एक अलग जनपक्षधर स्वरूप सामने आता है। पुस्तक के संपादक जगनारायण सिंह यादव ने इस पुस्तक की रचना प्रक्रिया से अवगत कराते हुए यह बताया कि पांच खंडों में नीतीश कुमार के भाषणों को संकलित संपादित करते हुए मैं कई तरह के अनुभवों से गुजरा। आरक्षण, जातीयता और साम्प्रदायिकता के सवाल को वे जिस तरह से सदन को संबोधित करते हैं, आज के समय में बहुत प्रासंगिक है। ज्ञान, ईमान और प्रतिबद्धता से परिपूर्ण वे अपने दौर के विरल नेता हैं।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में बिहार विधान परिषद के सदस्य एवं शिक्षाविद प्रो. (डॉ.) रामवचन राय ने इस पुस्तक के स्वरूप पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह पुस्तक एक ऐसे राजनेता के जीवटपूर्ण कार्यों को सामने लाती है, जिसकी दूर दृष्टि, प्रगतिशीलता, कर्मठता और समन्वय भावना पूरी तरह भारतीयता के स्वरूप को प्रतिबिंबित करती है। संस्कृत दर्शनशास्त्र की परंपरा के हवाले से नेताओं के उन्नीस गुणों की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन सभी गुणों से न केवल युक्त है, बल्कि बदलते युग की चुनौतियों को समझने में भी सक्षम है, ऐसा नेतृत्वकर्ता मिलना बिहार का सौभाग्य है।
कार्यक्रम का मंच संचालन ई. संतोष यादव करते हुए कहा कि जगनारायण सिंह यादव ने नीतीश कुमार की शख्सियत को इस रूप में पेश किया है कि बिहार को समझने में यह एक महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ के रूप में काम आयेगा। धन्यवाद ज्ञापन रविरंजन कुमार ने किया। इस कार्यक्रम में बहुत भारी संख्या में सामाजिक, राजनीतिक एवं समाज के जागरूक बुद्धिजीवी लोगों ने हिस्सा लिया।