————– वीरेंद्र यादव ————
(यह पोस्ट 11 जून, 2016 को हमने फेसबुक पर अपलोड किया था। लालूजी के जन्म दिन पर आज फिर से इसे अपलोड कर रहे हैं। इस पोस्ट को जून 2016 के संदर्भ में ही पढ़ें, जब राजद सरकार में था।)

लालू की कहानी, लालू की जुबानी
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव। आज उनका जन्मदिन है। राबड़ी देवी के सरकारी आवास 10 सर्कुलर रोड में जश्न का माहौल। हम दोपहर करीब एक बजे 10 नंबर पहुंचे। मेन गेट खुला था, लेकिन भीड़ छंटने लगी थी। लालू यादव भी अपने कमरे में जा चुके थे। भोला यादव लोगों से आग्रह कर रहे थे कि राजद अध्यक्ष आराम करने जा चुके हैं। अब शाम को पांच बजे से लोगों से मुलाकात करेंगे। हम भी घोषणा सुनकर जाने की तैयारी में थे कि लालू यादव के कमरे की ओर देखा तो दरवाजा खुला था। हम दरवाजे की ओर बढ़े और अंदर कमरे में प्रवेश कर गए। वहां पहले से कई पत्रकार बैठे हुए हैं। हम भी लालू यादव को अभिवादन कर के बैठ गए।

संवेदना और भावना
लालू यादव समर्थकों के बीच से उठकर आराम करने के लिए कमरे में आ गए थे। पत्रकारों के साथ चर्चा में उन्होंने अपने बचपन, स्कूली और कॉलेज के दिनों के कई संस्मरण सुनाए। इस दौरान कई बार वे भावुक हो गए तो कई बार जोरदार ठहाका भी लगा। उन्होंने बताया कि जब वे बीएन कॉलेज में पढ़ रहे थे तब दारोगा की बहाली निकली थी। उन्होंने भी आवेदन किया। आवेदन में जाति का उल्लेख करना था। उन्होंने जाति की जगह पर अहीर जाति का उल्लेआख कर दिया। इस कारण वे दारोगा की बहाली में छांट दिए गए।

जन्मदिन की कहानी
राजद प्रमुख ने अपने संस्मरण की शुरुआत स्कूल के दिनों से की। जन्मदिन के संबंध में उन्होंने कहा कि स्कूल में नाम लिखाते समय मास्टर साहब ने पूछा- कितनी उम्र है। उन्होंने बताया 6-7 साल। और इसी आधार पर जन्मदिन निर्धारित कर दिया गया। स्कूल में क्लास लगने, टिफिन होने और छुट्टी होने के समय का निर्धारण धूप के गति के अनुसार होता था। पटना आने के संबंध उन्होंने बताया कि एक थे ठग मामा। उनका नाम ठग राय था। सबसे पहले वे पटना आए। इसके बाद चाचा, भाई और खुद वे आए। शेखपुरा मोड़ पर स्थित प्राइमरी स्कूल में नामांकन हुआ। प्राइमरी स्कूल से पास करने के बाद बीएमपी 5 के पास मध्य विद्यालय में नामांकन हुआ। इसमें पुलिस वाले भी क्लास लेने आते थे। खेलकूद का भी माहौल था। शारीरिक रूप से मजबूत होने के कारण खेलों में भी अव्वल आते थे। स्कूल के नाटकों में भी हिस्सा लेते थे। मीडिल स्कूल पास के करने के बाद मिलर हाई स्कू‍ल में नाम लिखवाया। वेटनरी कॉलेज से मिलर स्कूल आने काफी देर लगती थी। परेशानी भी होती है। उन्हें इसका एक हल सुझा। शेखपुरा से एक कुर्मी का लड़का आता था मिलर स्कूल। लालू यादव पैदल व वह साइकिल से। एक दिन लालू यादव ने अपने एक दोस्त से उसकी धुनाई करवा दी और फिर मददगार के रूप में सामने आ गए। इसके बाद साइकिल वाला इनका दोस्त बन गया। फिर उसकी साइकिल से स्कूल आने-जाने लगे।

एनसीसी में रहे अव्वल
नाश्ता का भी संकट था। इस कारण उन्होंने एनसीसी ज्वाइन कर लिया। एनसीसी में नाश्ता के साथ कपड़ा और जूता भी मिलता था। एनसीसी में सी सर्टिफिकेट भी हासिल किया। बीएन कॉलेज गए तो वहां भी एनसीसी में सक्रिय रहे। बीए करने के बाद उनके सामने कोई रास्ता नहीं सुझ रहा था तो उन्होंने लॉ में एडकमिशन ले लिया। लॉ में पढ़ते समय ही वेटनरी कॉलेज में जूनियर क्लर्क के रूप में नौकरी मिल गयी। नौकरी मिलने के बाद विवाह का प्रस्ताव आया। उनकी शादी राबड़ी देवी के साथ हुई। करीब दो साल बाद गौना हुआ। वसंतपचंमी का दिन था। उस समय वह छात्र राजनीति में काफी सक्रिय थे। वे कुछ दिन बाद ही पत्नी को घर पर छोड़कर पटना चले आए।

घंटा भर हुई बातचीत
करीब एक घंटा की बातचीत में लालू यादव ने कई अपने प्रांरभिक जीवन संघर्ष के कई परतों पर से आवरण हटाया। सामाजिक प्रताड़ना, मानसिक वेदना से लेकर अभाव तक के विभिन्नं पहलुओं पर बेबाक बातचीत की। बातचीत के दौरान संवाद के साथ उनकी भाव-भंगिमा और मुखाकृति से भी उनकी अभिव्यक्ति को सहज ढंग से समझा जा सकता था। कई बार पत्रकारों से सवालों पर झलाने के बाद फिर अपने लय में आ जा रहे थे और घटनाक्रम को विस्तार दे रहे थे। कई ग्रामीण कहावतों के साथ अपनी भावनाओं को जोड़कर रख रहे थे।

(नोट : यह आलेख वीरेंद्र यादव के फेसबुक पोस्‍ट से लिया गया है। यह लेखक का निजी विचार है। )

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