PATNA (SMR) : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दो साल हो गए। 17 वीं विधानसभा में 243 में से करीब 100 विधायक पहली बार निर्वाचित हुए थे। उनमें से कुछ विधायकों से बिहार पॉलिटिक्स पर पैनी नजर बनाए रखने वाले वीरेंद्र यादव ने बात की है। उनके दो वर्ष के अनुभव और अनुभूति को नजदीक से जाना। यहां हम उनके सौजन्य से ‘सियासी गलियारे से’ की सीरीज में प्रकाशित कर रहे हैं… पेश है 16 वीं कड़ी :
दरभंगा जिले के हायाघाट से विधायक हैं डॉ रामचंद्र प्रसाद। उन्होंने आजादी के बाद मैथिली कथा में राजनीतिक चेतना विषय पर पीएचडी किया है। 2006 से 2020 तक लगातार दरभंगा जिला परिषद के सदस्य रहे और जिप सदस्य रहते हुए विधायक बने। वे कहते हैं कि भाजपा में पंचायत स्तर से राजनीति शुरू की थी और राज्य परिषद सदस्य होते हुए विधान सभा तक पहुंचे हैं।
वे कहते हैं कि पिछले दो वर्षों में क्षेत्र के कई मुद्दों को सदन में उठाया और सरकार ने उसके आलोक में कई योजनाओं को स्वीकृति भी प्रदान की। लेकिन जब कार्य शुरू होने का समय आया तो पार्टी विपक्ष में चली गयी। उनको आशंका है कि नयी सरकार उनके क्षेत्र की विकास योजनाओं को लटका सकती है।
रामचंद्र प्रसाद कहते हैं कि विधान सभा सत्र के दौरान पार्टी की भूमिका बदल जाएगी। विपक्ष में जनता के मुद्दों को पूरजोर ढंग से उठाएंगे और उनके समाधान के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे। हायाघाट उनकी जन्मभूमि है और कर्मभूमि भी है, इसलिए क्षेत्र के विकास के लिए पूरी ईमानदारी से कोशिश करते हैं।
उनकी शिकायत है कि मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत बनने वाली सड़कों के निर्माण के लिए विभाग के पास पैसे नहीं हैं। अधिकारी फंड की कमी का बहाना बनाते हैं। वे कहते हैं कि अपने क्षेत्र के विकास के लिए लगातार प्रयासरत रहे हैं। क्षेत्र में उद्योग की नयी-नयी संभावनाओं की तलाश की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं।