मुख्यमंत्री जी ! आपको नहीं मांगनी थी माफी…

बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सेक्स एजुकेशन पर अजीबोगरीब बयान आया था। बिलकुल ठेठ गंवई अंदाज में। उनके इस बयान ने विपक्ष ही नहीं, सत्ता पक्ष के लोगों को भी हैरत में डाल दिया था। सदन में मौजूद महिला सदस्यों को मानो काठ मार गया था। बाद में इस पर सियासत भी खूब हुई और अभी तक हो रही है। उनके बयान पर दो धाराओं में लोग बंट गए। हालांकि, भाषा के चयन पर लोगों को आपत्ति थी। वैसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दूसरे ही दिन सदन में खुद अपनी निंदा करते हुए माफी मांग ली। लेकिन, इनसे हटकर महिलाएं ही अपने तर्क से नीतीश कुमार को नसीहत देते हुए सही मान रही हैं। ‘मुखियाजी’ ईपेपर के लिए ‘गरिमा की बात’ कॉलम लिखने वाली स्वतंत्र पत्रकार गरिमा भारती की पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट।

DELHI (GARIMA BHARTI) : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने एक बयान के कारण पूरे देश में सुर्खियों में बने हुए हैं। हालांकि उन्होंने अपने इस बयान के लिए माफी मांग ली। हंगामा काफी मचा हुआ है। विपक्ष के लोग उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, पर क्या आपको लगता है जो बात उन्होंने कहने की कोशिश की वह उन्हें नहीं कहनी चाहिए थी? यह आज के पढ़े-लिखे समाज और होनहार युवा पीढ़ी के लिए किसी यक्ष प्रश्न से कम नहीं है। मैं शत-प्रतिशत इस बात का समर्थन करती हूं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिन शब्दों का प्रयोग किया, वह ठीक नहीं था। लेकिन, उनकी बॉडी लैंग्वेज में छिपी झिझक साफ दिखाई दे रही थी। लेकिन, उन्होंने जो चर्चा छेड़ी है उसे दूर तक ले जाने की सख्त जरूरत हमारे समाज में मालूम पड़ती है। ऐसे में उन्हें इसके लिए माफी नहीं मांगनी चाहिए थी, बल्कि आगे की रणनीति पर काम करने की जरूरत है।

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‘सिंदूर नहीं तो प्लॉट खाली’ को कैसे देखते हैं : दरअसल, नीतीश कुमार ने यह बताने की कोशिश की कि किस तरह से महिलाओं में शिक्षा को लेकर जागरूकता आयी तो देश की तुलना में बिहार में प्रजनन दर में काफी कमी आयी है। महिलाएं अब निर्णायक भूमिका में आ गयी हैं कि उन्हें अपने पार्टनर के साथ हुए शारीरिक संबंध से क्या चाहिए। नीतीश कुमार के तर्क को सियासी चश्मे वाले भले ही गलत ठहरा रहे हों, लेकिन उनका तर्क बिल्कुल सही था। यदि हम थोड़ा फ्लैशबैक में चलते हैं तो साफ देखते हैं कि पहले तो समाज के लोगों को यह नहीं पच रहा था कि महिलाएं खुद बाजार जाकर सेनेटरी पैड खरीदें। महिलाओं को भी लग रहा था कि सेनेटरी पैड के जरिए अपने खुद के शरीर, स्वास्थ्य और नारीत्व से जुड़ी बातों को वे खुले तौर पर कैसे स्वीकार करेंगी। सेक्स एजुकेशन से शर्माते हमने न जाने अपने समाज में कितनी ही बीमारियों को, कितने ही गर्भपात को और कितनी ही महिलाओं की मौत को न्योता दिया है। जरूरी नहीं कि हर शारीरिक संबंध किसी गर्भधारण या गर्भपात का ही अंतिम पायदान बने। बिहार में महिलाओं के बढ़ते शिक्षा के स्तर ने इस बात को साबित भी किया है।

घट गयी फर्टीलिटी रेट : बिहार में टोटल फर्टीलिटी रेट कभी 4% हुआ करती थी, वह घट कर 2.9% पर आ गई है। इसी सच को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपने बयान में रखा। इस बदलाव के पीछे महिलाओं में आयी जागरूकता को मुख्य कारण माना जा रहा है। लेकिन यह भी हकीकत है कि बदलाव इतने से संभव नहीं है। जरूरी है, ग्रामीण परिवेश में रहने वाली महिलाओं और पुरुषों को भी इसके प्रति जागरूक किया जाए, ताकि आगे कोई महिला गुप्तांगों की बीमारी को झिझक के कारण छिपा कर मौत को दावत ना दे, असुरक्षित शारीरिक संबंध से गुप्तरोगों का खतरा ना हो। हालांकि सेक्स एजुकेशन केवल महिलाओं के लिए जरूरी नहीं है, लेकिन मैं बार-बार महिलाओं का जिक्र हमारे समाज की मौजूदा स्थिति को देखते हुए कर रही हूं।

अभियान को आगे बढ़ाने की जरूरत : बहरहाल, मैं विरोध करने वालों से साफ-साफ पूछती हूं कि इसी साल बागेश्वर बाबा का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जिस महिला की मांग में सिंदूर नहीं हो, जिनके गले में मंगलसूत्र नहीं हो, वह खाली प्लॉट है, अब इस बयान को लोग किस तरह देखते हैं, जबकि इस बयान के पीछे किसी तरह का सेक्स एजुकेशन नहीं हैं। इसलिए मैं एक बार फिर कहना चाहती हूं कि नीतीश कुमार के शब्द भले गलत थे और ऐसे शब्दों से उन्हें परहेज करना चाहिए, लेकिन उनके बयानों में छिपे भाव काफी गंभीर थे और महिलाओं में आयी जागरूकता को बयां कर रहे थे। ऐसे में नीतीश कुमार को माफी मांगने की जरूरत नहीं थी, उन्हें केवल अपने शब्दों के चयन व झिझक के लिए खेद प्रकट करते हुए अपने अभियान को आगे बढ़ाने की जरूरत थी।

क्या कहा था बागेश्वर बाबा ने : बागेश्वर बाबा धीरेंद्र शास्त्री का इसी साल जुलाई में बड़ा विवादित बयान आया था। यह बयान सोशल मीडिया पर काफी बवाल मचाया था। वे आलोचकों के निशाने पर आ गए थे। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में उन्होंने प्रवचन के दौरान कहा था, ‘किसी स्त्री की शादी हो गई हो तो उसकी दो पहचान होती है- मांग का सिंदूर, गले में मंगलसूत्र। अच्छा, मान लो मांग का सिंदूर न भरा हो, गले में मंगलसूत्र न हो तो हम लोग क्या समझते हैं कि भाई ये प्लॉट अभी खाली है।’ बाबा यहीं पर नहीं रुके थे, बल्कि उन्होंने आगे यह भी कहा था, ‘और मांग का सिंदूर भर गया हो। गले में मंगलसूत्र लटक गया हो तो हम लोग दूर से ही देखकर समझ जाते हैं कि रजिस्ट्री हो गई है।’ बाबा के इस बयान पर कई लोगों ने ट्विटर पर लिखा था कि ऐसी बातें करने वाले न तो संत हो सकते हैं और ना ही कथावाचक। कई महिलाओं ने बाबा के इस बयान पर गुस्सा जाहिर किया था। लेकिन, बीजेपी की ओर से उन्हें केवल नसीहत दी गयी थी कि उन्हें इस तरह नहीं बोलना चाहिए।

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गिरिराज के बयान पर मचा था बवाल : केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने 2015 में सोनिया गांधी को लेकर काफी विवादित बयान दिया था। उस समय सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष थीं। तब गिरिराज सिंह ने सोनिया गांधी के गोरे रंग का हवाला देते हुए एक विवादित बयान दिया था। उस समय हाजीपुर के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि अपने गोरे रंग के कारण सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बनी है। गिरिराज सिंह ने यह भी कहा था, ‘अगर राजीव गांधी किसी नाइजीरियाई महिला से शादी किए होते, जो गोरी चमड़ी वाली नहीं होती तो क्या कांग्रेस पार्टी उनका नेतृत्व स्वीकार करती?’ इस बयान के बाद काफी बवाल मचा था। मामला गरमाता देख उन्होंने भी माफी मांग ली थी। उन्होंने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा था कि यह मेरा अधिकृत बयान नहीं है। अगर मेरे बयान से राहुल और सोनिया के साथ- साथ किसी की भावनाएं आहत हुई हैं, तो मैं उस पर खेद व्यक्त करता हूं। तब जाकर मामला शांत हुआ था।

क्या कहा डिंपल यादव ने : बिहार विधानसभा में सेक्स एजुकेशन पर दिए गए बयान के बाद सीएम नीतीश कुमार विवादों में घिर गए हैं। उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा रहा है। बीजेपी के लोग तो उन पर टूट पड़े थे। लेकिन, सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने उनके बयान का खुलकर समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ गलत नहीं है। पत्रकारों के पूछे जाने पर उन्होंने दो टूक कहा कि नीतीश कुमार सेक्स एजुकेशन पर बोल रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि आमतौर पर लोग खुलकर नहीं बोलते हैं। नीतीश जी ने अपने तरीके से बात कही है। सेक्स एजुकेशन पर खुलकर बात होनी चाहिए। भारत की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। दूसरी ओर, मुलायम सिंह की दूसरी बहू अपर्णा यादव ने इसकी निंदा करते हुए कहा था कि नीतीश कुमार को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए।

बीजेपी ने नीतीश पर साधा निशाना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रजनन दर संबंधी बयान पर बिहार में सियासत भी खूब हुई। खासकर बीजेपी के लोग जमकर उन पर निशाना साधा। प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के नेता लगातार हमला कर रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने खूब खरी-खोटी सुनायी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को क्या हो गया है। उनके सदन में दिए गए बयान से पूरा बिहार शर्मसार है। दूसरी ओर, 14 नवंबर को बापू सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने भी तीखा हमला किया।

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समर्थन में उतर आए थे तेजस्वी यादव : उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बयान आने के बाद उसी दिन सीएम नीतीश कुमार के बचाव में उतर आए थे। उन्होंने उनके बयान को सेक्स एजुकेशन से जोड़ दिया। उन्होंने कहा, ‘एक बात बता दें, इसका अगर कोई गलत मतलब निकालता है तो ये गलत बात है, जो भी मुख्यमंत्री का बयान आया वो सेक्स एजुकेशन के बारे में था और जब भी इसकी बात की जाती है तो लोग शरमाते हैं, इससे लोगों को बचना चाहिए। अब तो साइंस और बॉयोलॉजी में स्कूलों में इसकी पढ़ाई होती है। बच्चे पढ़ते हैं, उनके (नीतीश कुमार) के कहने का मतलब आबादी नियंत्रण को लेकर था जिसमें जो भी प्रैक्टिकली बात आती है वो उन्होंने किया।’ बता दें कि पूरे देश में खलबली मचने के बाद नीतीश कुमार ने खुद अपनी निंदा करते हुए माफी मांग ली थी।

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