बिहार में महिला सशक्तीकरण की ओर बड़ा कदम, गांव-पंचायत की महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही बैंक सखी

PATNA (BR)। बिहार में लॉकडाउन में बैंक सखी गांव-पंचायत के लिए वरदान बन गई है। जीविका समूह की ओर से संचालित बैंक सखी योजना से गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। लोग इसे महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में बड़ा कदम मान रहे हैं। बैंक सखी की ओर से महिलाओं को पर्सनल बिजनेस शुरू करने के लिए लोन दिए जा रहे हैं। ऋण (लोन) की सुविधा मिलने से ग्रामीण महिलाएं बिजनेस को रफ्तार दे रही हैं।

266 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन
आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान बैंक सखी से जुड़ी महिलाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में 266 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन किया है। यह लोन महिलाओं को सीएसपी (कस्टमर सर्विस प्वाइंट) के जरिए दिए जा रहे हैं।

सूदखोरों से मिल रही निजात
बिहार में सूदखारों का अपना मार्केट है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में भोले-भाले लोग बिजनेस के चक्कर में सूदखोरों के चंगुल फंस जाते हैं। ऐसे में बैंक सखी की पहल से वैसे लोगों को निजात मिल रही है। जीविका की परियोजना मैनेजर शिफा गुप्ता कहती हैं कि बैंक सखी की ओर से सूदखारों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए ही ग्रामीण विकास विभाग की ओर से बैंक सखी योजना की शुरुआत की गई है, जिसमें अब सफलता भी मिल रही है।

पहले की जाती है काउंसिलिंग
लोन लेने वाली महिलाओं की पहले काउंसिलिंग की जाती है। इसके बाद इन महिलाओं के आवेदन पर जीविका समूह की दीदी उनकी आर्थिक स्थिति का आकलन करती हैं।फिर 10 से 15 हजार तक का लोन दिया जाता है। इतना ही नहीं, सूत्रों की मानें तो बैंक सखी योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र की जीविका से जुड़ी महिलाओं को व्यक्तिगत ऋण के साथ ही ग्राम संगठन और क्लस्टर स्तरीय फेडरेशन को भी लोन दिया जाता है।

इन संगठन-फेडरेशन को भी लोन देने का प्रावधान
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के अनुसार, ग्राम संगठन के स्तर पर समूह को 5-10 लाख तथा क्लस्टर लेवल फेडरेशन में डेयरी जैसे कार्यों के लिए 10-15 लाख तक का लोन देने की व्यवस्था है। लॉकडाउन पीरिएड में बिहार में अब तक 266 करोड़ रुपये का ट्रांजक्शन बैंक सखी की ओर से किया गया है।

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