PATNA (RAJESH THAKUR) : बिहार पॉलिटिक्स के भीष्म पितामह के रूप में लोकप्रिय शकुनी चौधरी 89 साल के हो गए। राजनीति से संन्यास लिये हुए लगभग 10 साल हो गए। इसके बाद भी अघोषित रूप से उनकी राजनीति पर अच्छी पकड़ है। खासकर, पूर्व बिहार (भागलपुर जोन) के तमाम नेता आज भी उन्हें अपना गार्जियन मानते हैं। यही वजह है कि तारापुर विधानसभा क्षेत्र में तमाम दलों के प्रत्याशी उनसे आशीर्वाद लेना नहीं भूलते हैं।
मंत्री से विस उपाध्यक्ष तक रहे
अंग क्षेत्र के काफी लोकप्रिय नेता रहे शकुनी चौधरी का पॉलिटिकल करियर भी काफी लंबा रहा है। उनके राजनीतिक जीवन का आगाज विधायक से हुआ है। वे अपने राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। वे बिहार सरकार में मंत्री से लेकर विधानसभा उपाध्यक्ष तक रहे और खगड़िया से एक बार सांसद भी चुने गए। अपने 89 साल की उम्र में लगभग 35 साल तक सक्रिय राजनीति में रहे और उन्होंने 2015 में संन्यास लेने की घोषणा की थी। राजनीति में आने से पहले वे 15 साल तक सेना की नौकरी में रहे थे। साथ ही इंजीनियर भी रहे हैं।
7 बार MLA, 1 बार बने MP
शकुनी चौधरी वर्ष 1985 में पहली बार विधायक बने और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। वे तारापुर से सात बार विधायक और खगड़िया से एक बार सांसद बने। इसी दौरान राजद शासन में वे बिहार बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष भी बने। उनकी पत्नी पार्वती देवी भी तारापुर से एक बार विधायक बनी थीं। हालांकि, पार्वती देवी का लगभग ढाई साल पहले निधन हो गया था। उनके छोटे पुत्र सम्राट चौधरी वर्तमान में विधान पार्षद हैं तथा बिहार के उपमुख्यमंत्री के पद पर काबिज हैं। सम्राट चौधरी बिहार भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बिहार में सबसे कम उम्र के मंत्री बनने का रिकॉर्ड सम्राट चौधरी के ही नाम है। शकुनी चौधरी के बड़े बेटे रोहित चौधरी भी सक्रिय राजनीति में हैं।
लंबा रहा राजनीतिक सफर
शकुनी चौधरी सबसे पहले निर्दलीय विधायक बने थे। बाद में कांग्रेस में आ गए। वे समता पार्टी के संस्थापक सदस्य के रूप में शामिल रहे हैं। जदयू के गठन में भी उनका अहम रोल है। वे राजद में भी काफी दिनों तक रहे तथा हम पार्टी के गठन में भी उनका अहम योगदान रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू यादव, दोनों से उनका संबंध अच्छा रहा है। आज भी दोनों उन्हें खूब मानते हैं। बता दें कि 4 जनवरी 1936 को तारापुर के लखनपुर गांव में जन्म लेने वाले शकुनी चौधरी कुशवाहा समाज से आते हैं और इनकी तूती आज भी इलाके में बोलती है।