PATNA (SMR) : बिहार में जाति के बिना राजनीति अधूरी है। चाहे बात विधानसभा-विधान परिषद की हो या गांव की सरकार की। यहां हम बात कर रहे हैं पंचायत प्रतिनिधियों की। औरंगाबाद जिले के 11 प्रखंडों में 202 और रोहतास जिले 19 प्रखंडों में 229 पंचायतें हैं। मुखिया पद पर अनुसूचित जाति, जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए सीटें आरक्षित हैं। इस आरक्षण के कारण ग्रामीण स्तर पर सामाजिक सत्ता पूरी तरह बदल गयी है। इसका असर राजनीतिक सत्ता पर भी दिखता है।
मुखिया पद पर अनुसूचित जाति, जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए सीटें आरक्षित हैं। इस आरक्षण के कारण ग्रामीण स्तर पर सामाजिक सत्ता पूरी तरह बदल गयी है।
वीरेंद्र यादव न्यूज और वीरेंद्र यादव फाउंडेशन ने ग्रामीण स्तर की सामाजिक सत्ता और उसमें हिस्सेदारी को लेकर अध्ययन किया। यह अध्ययन दो स्तरों पर था। पहले स्तर पर रोहतास और औरंगाबाद जिले के पैक्स अध्यक्षों की सामाजिक हिस्सेदारी की गणना की थी। इस पद पर आरक्षण नहीं है। इस कारण तीन-चार जातियों में ही अध्यक्ष पद का बंदर बांट हो गया। इन्हीं दो जिलों में मुखिया पद की जातिवार गणना की। इसमें परिणाम अलग तरह का आया। आरक्षण के कारण वंचित जातियों की हिस्सेदारी बढ़ी। कुछ अनारक्षित सीटों पर आरक्षित श्रेणी के लोग भी निर्वाचित हुए। हालांकि दोनों जिलों को मिलाकर ऐसे लोगों की संख्या दर्जन भर भी नहीं होगी।
मुखिया पद पर 10 प्रमुख जातियों की हिस्सेदारी गणना की गयी। औरंगाबाद की बात करें तो जिले में 202 पंचायतों में यादव जाति के मुखिया की संख्या 37 है, जबकि राजपूत की संख्या 32 है। अन्य प्रमुख जातियों की बात करें तो दुसाध-24, चमार-14, बनिया-15, भूमिहार-11, ब्राह्मण-2, मुसलमान-16, कोईरी-9 और कुर्मी-3 (यानी लवकुश-12) जाति के मुखिया हैं। इन 10 जातियों के मुखिया की कुल संख्या 163 होती है। शेष पदों पर अन्य जतियों के लोग शामिल हैं। बनिया में बीसी और ईबीसी दोनों को एक साथ जोड़ा है।
इसी तरह, रोहतास जिले में 229 मुखिया हैं। इस जिले में सबसे अधिक 45 मुखिया राजपूत जाति के हैं। इसके बाद 27 यादव जाति के मुखिया हैं, जबकि 26 मुखिया बनिया समाज से हैं। इस जिले में अतिपिछड़ी जाति में बनियों का दबदबा है। इस जिले में दुसाध जाति के 19, ब्राह्मण जाति के 17, मुसलमान समाज के 11, लवकुश से 24 (कोईरी-13, कुर्मी-14), चमार जाति के 11 और भूमिहार जाति के 3 मुखिया हैं। इन 10 जातियों के मुखिया की कुल संख्या 186 है। बहरहाल, दोनों जिलों के आंकड़े यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि दबंग, साधन संपन्न और बड़ी आबादी वाली जातियों का दबदबा स्थानीय निकाय के चुनाव में बना हुआ है।