PATNA (APP) : बिहार बीजेपी के नए ‘सम्राट’ बिहार के ‘चौधरी’ बनेंगे क्या? यह सवाल तेजी से सियासी गलियारे में कौंधने लगा है? दरअसल, बिहार के नए प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी का 26 मार्च को जिस तरह पटना में भव्य स्वागत हुआ, उससे कुछ इसी प्रकार के संकेत मिलने लगे हैं। सम्राट चौधरी के स्वागत में बीजेपी के तमाम बड़े नेता मौजूद तो रहे ही, उनके समर्थकों का भी जबर्दस्त सैलाब उमड़ पड़ा था। पटना एयरपोर्ट से लेकर बीजेपी मुख्यालय तक केवल बीजेपी के ही झंडे-बैनर दिख रहे थे। पूरी राजधानी भगवामय हो गयी थी। पटना में उनकी बड़ीे-बड़ी हॉर्डिंग लगी हुई थी और इसी बीच कुछ समर्थक जोर-जोर से नारे लगा रहे थे कि बिहार का सीएम कैसा हो, सम्राट चौधरी जैसा हो। इतना ही नहीं, बिहार के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल भी कह रहे थे कि 2025 की चुनावी लड़ाई सम्राट चौधरी के नेतृत्व में लड़ी जाएगी। इसके दूसरे दिन ही जहां सम्राट चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, वहीं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने रोहतास में कहा कि अगली लड़ाई सम्राट चौधरी के नेतृत्व में होगी। ऐसे में बेशक सवाल तो उठना ही है कि क्या बिहार बीजेपी के नए ‘सम्राट’, बिहार के नए ‘चौधरी’ बनेंगे? क्या वे बीजेपी के सीएम फेस होंगे ?
दरअसल, पहले आपको यह दिखाते हैं कि केवल नित्यानंद राय की ही बात नहीं है, बल्कि सम्राट चौधरी के अभिनंदन समारोह में भी नित्यानंद राय से लेकर पूर्व अध्यक्ष संजय जायसवाल, हरीश द्विवेदी, रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह, शाहनवाज हुसैन, नंदकिशोर यादव व अन्य नेताओं में जिस तरह गुणगान किया, उससे भी उनके अघोषित सीएम फेस के होने के संकेत मिलने लगे हैं। वे साफ कह रहे थे कि आज बिहार के लिए बड़ा दिन है और बीजेपी के लिए तो बहुत बड़ा दिन है। बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिला है। नए प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के नेतृत्व में लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव कराए जाएंगे और 2025 में बिहार में बीजेपी की अपनी सरकार होगी।
बता दें कि बिहार में जब एनडीए की सरकार थी, तब 2019 में सबसे पहले सम्राट चौधरी ने ही बिहार में अपनी सरकार होने की हुंकार भरी थी। उन्होंने तब समस्तीपुर के एक कार्यक्रम में बीजेपी के मुख्यमंत्री होने की वकालत की थी। दरअसल, समस्तीपुर में भारतीय जनता युवा मोर्चा का कार्यक्रम था। उसी में सम्राट चौधरी भी शामिल हुए थे। बैठक में ही उन्होंने कहा था कि आपलोग ऐसी तैयारी कीजिये कि 2025 में बीजेपी का अपना CM हो। इसके बाद स्थिति ऐसी बनी कि अब तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर बिहार के नए प्रभारी विनोद तावड़े भी अपना मुख्यमंत्री होने की बात कहने लगे हैं। जबकि कटिहार से लेकर दरभंगा तक में अब यह आवाज उठने लगी कि बीजेपी का बिहार में अब अपना सीएम होगा। ऐसे में सियासी गलियारे में यह सवाल तेजी से कौंध रहा है कि जिस सीएम फेस की बात अमित शाह सीमांचल दौरे पर कही थी, क्या वह फेस अब बीजेपी को सम्राट चौधरी के रूप में मिल गया है…? तो क्या बिहार के नए ‘सम्राट’ ही 2025 में बीजेपी की ओर से बिहार के ‘चौधरी’ होंगे या फिर यूपी की तरह केशव प्रसाद मौर्या के रहते हुए बीजेपी ने योगी आदित्य के नाम पर अपनी मुहर लगा दी थी, कहीं ऐसा तो नहीं होगा? क्योंकि 2017 में यूपी में केशव प्रसाद मौर्या के ही सीएम बनने की भविष्यवाणी की जा रही थी। हालांकि, सम्राट चौधरी ने अभिनंदन समारोह में पटना में जिस तरह अपनी ताकत दिखायी है और जिस प्रकार दिग्गज नेता उनके स्वागत में पहुंचे हैं, उससे पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी मानने लगे हैं कि सम्राट चौधरी को अब इग्नोर करना बीजेपी के लिए आसान बात नहीं होगी, क्योंकि यह यूपी नहीं है।
बताते चलें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 23 मार्च को अधिसूचना जारी कर सम्राट चौधरी के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मनोनयन किये जाने की जानकारी दी थी। इसके तुरंत बाद वे दिल्ली चले गए थे। दिल्ली में सम्राट चौधरी ने तमाम दिग्गज नेताओं से मुलाकात की। सबसे पहले उन्होंने जेपी नड्डा से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया। इसके बाद वे अन्य नेताओं से भी मिले। इन नेताओं से मिलने की तस्वीरें उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर भी किए और लिखा भी कि दिल्ली प्रवास के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, धर्मेंद्र प्रधान, राधामोहन सिंह, मनोज तिवारी से काफी आत्मीय मुलाकात हुई।
इसके बाद 26 मार्च को वे पटना लौटे तो एयरपोर्ट से ही रोड शो करते हुए सम्राट चौधरी बीजेपी मुख्यालय पहुंचे और पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, लगभग पौने तीन बजे प्रदेश अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया। इस दौरान उन्होंने फिर से अपनी बातों को दोहराया कि बिहार में बीजेपी सभी 40 सीटों पर कब्जा जमाएगी। वहीं 2025 में बीजेपी की प्रदेश में अपनी सरकार होगी। पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो सम्राट चौधरी का जिस अंदाज में भव्य स्वागत किया गया, वह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के भव्य स्वागत की याद दिला दी। ललन सिंह जब दो साल पहले जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे तो कुछ इसी अंदाज में उनका भी पटना एयरपोर्ट से लेकर जेडीयू मुख्यालय तक समर्थकों का सैलाब उमड़ पड़ा था। हालांकि, उस समय जेडीयू एनडीए में था, लेकिन अब स्थिति बदल गयी है। जेडीयू और बीजेपी दोनों अलग राह पर हैं। ऐसे में बीजेपी का यह शक्ति प्रदर्शन कई मायनों में महत्वपूर्ण हो जाता है।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व ने सम्राट चौधरी को आगे लाकर एक साथ कई तीर चले हैं और इनके पीछे बिहार प्रभारी विनोद तावड़े का बड़ा रोल बताया जा रहा है। दरअसल, बिहार में बीजेपी के प्रभारी बदल गए हैं। भूपेंद्र यादव की जगह विनोद तावड़े आ गए हैं। ऐसे में पार्टी अब अपना कलेवर चेंज कर रही है। विनोद तावड़े की रणनीति भी अब दिखायी पड़ने लगी है। लवकुश के रूप में बीजेपी के नए एक्सपेरिमेंट के पीछे विनोद तावड़े की ही रणनीति बतायी जा रही है। अब पार्टी का फोकस गैर यादव पिछड़ी जातियों पर हो गया है। बता दें कि विनोद तावड़े महाराष्ट्र के काफी कड़क नेता माने जाते हैं और ओबीसी समाज से ही आते हैं। कास्ट फैक्टर को देखकर ही उन्हें भूपेंद्र यादव की जगह पर लाया गया है। उन्होंने पिछले माह दरभंगा में पार्टी की बड़ी बैठक की थी और उन्होंने ही सबसे पहले ऐलान किया था कि अब नीतीश कुमार से कोई समझौता नहीं होगा। बीजेपी में उनके लिए सदा के लिए दरवाजे बंद कर दिए गए हैं। बाद में उनकी ही बात पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुहर लगा दी।
इसी बीच विनोद तावड़े ने बीजेपी के नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक की ग्राउंड रिपोर्ट ली। उनसे मिले फीडबैक के आधार पर जिलों और नगरों के अध्यक्षों का मनोनयन किया गया। इसमें भी कास्ट फैक्टर का खास ख्याल रखा गया और उसी के बाद कुशवाहा जाति से आने वाले सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया। पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी मानने लगे हैं कि विनोद तावड़े के आने के बाद से बिहार में बीजेपी कुछ अधिक ही एग्रेसिव हो गयी है। सम्राट चौधरी के तल्ख तेवर के बाद पार्टी के बाकी लोगों में भी गजब का जोश बढ़ा है और अब तो पार्टी में आरजेडी-जेडीयू से सीधे टकराने की रणनीति बनायी जा रही है। उसी जोश की परिणति पटना की सड़कों पर देखने को मिली।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो अब बीजेपी की सारी रणनीति 2024 के चुनाव में अधिक से अधिक लोकसभा क्षेत्रों पर कब्जा जमाने और 2025 में अपने दम पर सत्ता हासिल करने पर है। इसके लिए वह सधी चाल से कदम भी बढ़ा रही है और इसमें अमित शाह का भी फुल सपोर्ट है। यही वजह है कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से अब तक वे तीन बार बिहार दौरे पर आ चुके हैं और चौथी बार दो अप्रैल को आ रहे हैं। इस बार वे नवादा और सासाराम जाएंगे। इसके पहले अमित शाह सीमांचल, चंपारण और पटना में अपनी सभाएं कर चुके हैं और उन्हें भी सम्राट चौधरी पर पूरा भरोसा है। कहा जा रहा है कि सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनवा कर यह मैसेज दिया जा रहा है कि पार्टी कुशवाहा समेत पिछड़ों की सबसे बड़ी शुभचिंतक है। यह तो सबको पता है कि बिहार में कुर्मी-कुशवाहा जेडीयू का कोर वोट बैंक है और पिछले चुनावों में बीजेपी को इसका पूरा समर्थन मिला था।
लेकिन, अब नीतीश कुमार अलग हो गए हैं। वे महागठबंधन के साथ हैं, लेकिन जेडीयू के लिए इससे भी बड़ी बात यह है कि वहां से कुर्मी समाज से आने वाले आरसीपी सिंह और कुशवाहा समाज से आने वाले उपेंद्र कुशवाहा पार्टी से अलग होकर नई राह पकड़ ली है। हालांकि, दोनों का झुकाव बीजेपी की ओर ही है। लेकिन, कहा जाता है न कि ‘अपना हाथ जगन्नाथ’ होता है। दरसअल, उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह क्या करेंगे, कहना मुश्किल है। ऐसे में सम्राट चौधरी ही बीजेपी के लिए सबसे अधिक भरोसेमंद हैं। फिर जेडीयू से आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के अलग होने के बाद बीजेपी के लिए इस वोट बैंक पर शत प्रतिशत कब्जा जमाने का इससे बढ़िया सुनहरा अवसर फिर कब मिलेगा। बीजेपी सम्राट चौधरी के जरिये इस अवसर को भुनाना चाह रही है। बाकी ओबीसी समाज से आने वाले विनोद तावड़े तो कास्ट फैक्टर को साध ही रहे हैं। बहरहाल, सम्राट चौधरी ने भी अपनी ताजपोशी के बाद पटना की सड़कों पर अपनी सियासी ताकत दिखा दी है। हालांकि, इसके पहले भी वे सियासी ताकत दिखाने में सफल साबित हो चुके हैं। तब उन्होंने पिछले साल ही सम्राट अशोक जयंती पर बिहार में दिग्गज नेताओं को जुटाकर मैसेज दिया था कि उन्हें मौका मिले तो वे अपने नाम को सार्थक करने में कभी भी पीछे नहीं हटेंगे। वे ‘सम्राट’ और ‘चौधरी’ दोनों में सफल हो सकते हैं और उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने के बाद कहा भी है कि वे बिहार में बीजेपी की सरकार बनाकर सबका कर्ज उतारेंगे।