PATNA (SMR) : पूरा देश चैती नवरात्र पर मां दुर्गा की भक्ति में डूबा हुआ है। मां के सभी नौ स्वरूपों की आराधना में लोग तल्लीन हैं। प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री से लेकर नवम स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जा रही है। लेकिन यहां पर हम मां के प्राकृतिक रूपों की बात कर रहे हैं। चैती नवरात्र पर जानिए उन 9 औषधियों के पेड़-पौधों को जिन्हें नवदुर्गा कहा गया है और उनके औषधियों के सेवन से आप स्वस्थ रह सकते हैं। यह आलेख सोशल मिडिया से लिया गया है और यह लेखक का निजी विचार है।

  1. प्रथम शैलपुत्री (हरड़) : कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती है। यह देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है। यह औषधि पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है।
  1. ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी) : ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती हैइसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है। इसे मां का दूसरा रुप ब्रह्मचारिणी के रुप में माना गया है।
  1. चंद्रघंटा (चंदुसूर) : यह एक ऐसा पौधा है जो धनिए के समान होता है। यह औषधि मोटापा दूर करने में काफी लाभप्रद है, इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं। इसे देवी दुर्गा के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा के नाम से जानते हैं।
  1. कूष्मांडा (पेठा) : इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है, इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हड़ा या भूआ भी कहते हैं। इससे रक्त विकार दूर होता है। यह पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रोगों में यह अमृत समान है। यह मां का चौथा रूप कूष्मांडा है। हालंकि आजकल सैक्रीन से पेठा यानी मुरब्बा बनता है, जो हेल्थ के लिए ठीक नहीं है।
  1. स्कंदमाता (अलसी) : देवी स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात, पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है। इसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होने से इसे सभी को भोजन के पश्चात काले नमक से भूंजकर प्रतिदिन सुबह शाम लेना चाहिए। यह खून भी साफ करता है।
  1. कात्यायनी (मोइया) : देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है। जैसे अंबा, अंबालिका व अंबिका। इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं। यह औषधि कफ, पित्त व गले के रोगों का नाश करती है।
  1. कालरात्रि (नागदौन) : मां कालरात्रि नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं। यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है। यह पाइल्स के लिए भी रामबाण औषधि है। इसे स्थानीय भाषा में जबलपुर में दूधी कहा जाता है।
  1. महागौरी (तुलसी) : तुलसी सात प्रकार की होती है। सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। यह औषधि रक्त को साफ कर हृदय रोगों का नाश करती है। एकादशी को छोड़कर इसे प्रतिदिन सुबह ग्रहण करना चाहिए। यह औषधि मां का आठवां रूप है।
  1. सिद्धिदात्री (शतावरी) : दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री है, जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं। यह बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है। विशेषकर प्रसूताओं (जिन माताओं को ऑपरेशन के पश्चात अथवा कम दूध आता है) उनके लिए यह रामबाण औषधि है। उन्हें इसका सेवन करना चाहिए ।

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